दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा 4 सितंबर को होने वाले एमसीडी वार्ड समिति के चुनावों को रोकने के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना को मंगलवार देर शाम कदम उठाना पड़ा. एमसीडी कमिश्नर की ओर से जारी एक निर्देश में कहा गया कि उपराज्यपाल ने आदेश दिया है कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और स्थायी समिति के सदस्यों के पदों के लिए चुनाव निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होंगे. दरअसल, दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर ने वार्ड समितियों के चुनाव कराने के लिए 30 अगस्त को नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया खत्म होते ही मेयर के पास पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने के लिए फाइल भेजी थी.
मेयर शैली ओबेरॉय ने मंगलवार देर शाम चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें 'अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया' में भाग लेने की अनुमति नहीं देती है. पीठासीन अधिकारी नियुक्त नहीं करने के पीछे तर्क देते हुए मेयर ने कहा, 'केवल एक दिन के नोटिस के कारण मुझे नामांकन दाखिल करने में असमर्थ पार्षदों से कई ज्ञापन मिले हैं. लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए नामांकन के लिए पर्याप्त समय प्रदान करना आवश्यक है.'
एमसीडी कमिश्नर ने पूरे प्रकरण से दिल्ली के उपराज्यपाल विजय कुमार सक्सेना को अवगत कराया. उन्होंने मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय के संज्ञान में लाया. गृह मंत्रालय ने मंगलवार रात राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल को पीठासीन अधिकारी नियुक्त का अधिकार देने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी. इस गजट नोटिफिकेशन में कहा गया, 'राष्ट्रपति ने दिल्ली के लिए संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों के तहत किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय में सदस्यों को बनाने और नियुक्त करने की शक्ति दिल्ली एलजी को सौंपी है.' इसके बाद एमसीडी कमिश्नर ने रात करीब 11 बजे उपराज्यपाल के आदेश से सभी जोन के डिप्टी कमिश्नर को वार्ड समितियों के चुनाव 4 सितंबर को कराने के निर्देश जारी कर दिए.
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उपराज्यपाल के आदेश में अब यह निर्धारित किया गया है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक जोन के डिप्टी कमिश्नर पीठासीन अधिकारी की भूमिका निभाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने बीते अगस्त में एक आदेश में कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के साथ किसी भी परामर्श के बिना एमसीडी में एल्डरमेन की नियुक्ति कर सकते हैं. शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद 19 महीने की देरी से एमसीडी में 12 वार्ड कमेटियों के चुनाव का रास्ता खुला. आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के 60 पार्षद 12 एमसीडी जोन में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और स्थायी समिति सदस्य के पद की दौड़ में हैं.
दिल्ली एलजी के फैसले से कैसे पलटा पूरा खेल?
दिल्ली में कल 12 वार्ड कमेटियों के चुनाव होंगे, जो नगर निगम दिल्ली (MCD) की सबसे शक्तिशाली मानी जाने वाली स्टैंडिंग कमेटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. एमसीडी सदन में आम आदमी पार्टी का बहुमत होते हुए भी, विभिन्न वार्ड कमेटियों में संख्या बल में अंतर है. वार्ड कमेटियों में 10 एल्डरमैन भी वोट डाल सकते हैं, जिनकी नियुक्ति का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल को दे दिया है. उपराज्यपाल ने इन एल्डरमैन की नियुक्ति उन वार्ड कमेटियों में की है जहां AAP को मामूली बहुमत था. एमसीडी में दल बदल कानून लागू नहीं है, जिससे AAP को यह डर है कि बीजेपी उनके कुछ पार्षदों को अपनी तरफ कर सकती है.
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इस स्थिति में अनुमान लगाया जा रहा है कि 12 वार्ड कमेटियों में से 7 या 8 कमेटियों पर बीजेपी का कब्जा हो सकता है. इसी आशंका को देखते हुए मेयर ने प्रत्याशियों को नॉमिनेशन का समय नहीं मिलने का हवाला देकर पीठासीन पदाधिकारी की नियुक्ति से इनकार कर दिया था. लेकिन उपराज्यपाल ने पिछले साल संसद में कानून में किए गए परिवर्तनों का उपयोग करते हुए एमसीडी कमिश्नर के माध्यम से पीठासीन पदाधिकारी की नियुक्ति कर दी. इस निर्णय ने एक नई दिशा दी है और अब 12 वार्ड कमेटियों के चुनाव परिणाम यह तय करेंगे कि एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी में कौन प्रभावी होगा.
कुमार कुणाल