Doctors Strike: हजारों डॉक्टर हड़ताल पर, दिल्ली के 6 सरकारी अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की परेशानी

ओमिक्रॉन की दहशत के बावजूद देशभर के सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले हजारों रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और FORDA के बीच गतिरोध जारी है और रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी और इमरजेंसी सहित सभी चिकित्सा सेवाओं से अपना नाम वापस ले लिया है. दिल्ली में कम से कम 6 सरकारी अस्पताल इस हड़ताल का खामियाजा भुगत रहे हैं.

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दिल्ली में प्रदर्शन करते डॉक्टर. दिल्ली में प्रदर्शन करते डॉक्टर.

अमित भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:29 AM IST
  • 17 दिसंबर से हड़ताल पर हैं RDAs
  • NEET PG 2021 काउंसलिंग की मांग

देश में COVID-19 के नए वैरिएंट Omicron की दहशत के बावजूद भी देशभर में सरकारी अस्पतालों के हजारों रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. उन्होंने ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं सहित सभी चिकित्सा सेवाओं से अपना नाम वापस ले लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने कम से कम चार दौर की बैठकें की हैं, लेकिन गतिरोध अभी भी बरकरार है.

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17 दिसंबर से चल रही रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (Resident Doctors Association) की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण दिल्ली के 6 सरकारी अस्पतालों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार के सफदरजंग अस्पताल, एलएनजेपी, आरएमएल और लेडी हार्डिंग के RDAs आधिकारिक तौर पर हड़ताल में शामिल हो गए हैं.

आंदोलन में कूदे इतने डॉक्टर

RDAs के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के कम से कम 3 से 5 हजार रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. उन्होंने ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं सहित सभी चिकित्सा सेवाओं से अपना नाम वापस ले लिया है. सफदरजंग अस्पताल आरडीए के अनुसार, उनकी एसोसिएशन में करीब 1800 रेजिडेंट डॉक्टर हैं और उनमें से अधिकांश चल रही हड़ताल में शामिल हो गए हैं. आरएमएल अस्पताल में, लगभग 1000 रेजिडेंट डॉक्टर आरडीए का हिस्सा हैं और वे भी आंदोलन का हिस्सा हैं.

इमरजेंसी सेवाओं पर असर

सफदरजंग आरडीए के अध्यक्ष डॉ. माणिक सेठ ने इंडिया टुडे को बताया, “सफदरजंग अस्पताल के 1800 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. अस्पताल के ओपीडी विभाग में औसतन 5000 मरीज रोजाना आते हैं, और इस काम का कम से कम 70 प्रतिशत हमारे कंधों पर है. हम (रेजिडेंट डॉक्टर) सिस्टम की रीढ़ हैं. फोर्डा समर्थित आंदोलन के कारण नियमित सर्जरी में देरी हो रही है, ओपीडी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हो रही हैं.
 

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40 से 45 हजार डॉक्टर्स का इंतजार

फोर्डा के अध्यक्ष डॉ मनीष ने इंडिया टुडे को बताया, “नीट पीजी 2021 की काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी के कारण लगभग 40 से 45 हजार नए डॉक्टर वर्कफोर्स में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं. इस वजह से रेजिडेंट डॉक्टरों के काम का बोझ बढ़ा हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि 27 नवंबर से FORDA और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच चार अनिर्णायक बैठकें ही हुई हैं.

NEET PG 2021 में देरी बनी वजह 

डॉ. मनीष ने कहा, “FORDA के प्रतिनिधियों और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच आखिरी बैठक 20 दिसंबर को हुई थी. उन्होंने उन मुद्दों को हल करने के लिए हमसे एक सप्ताह का समय मांगा, जो NEET PG 2021 काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में देरी का कारण बन रहे हैं. हालांकि, उन्होंने हमें एक लिखित आश्वासन देने से इनकार कर दिया, जिसने हमें अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे चरण को जारी रखने के लिए मजबूर किया.
 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय दफ्तर के बाहर विरोध-प्रदर्शन

इस बीच, फोर्डा की अगुवाई वाले रेजिडेंट डॉक्टरों ने निर्माण भवन स्थित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यालय के बाहर धरना दिया. विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों ने थालियों को पीटा गया. सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले की फास्ट-ट्रैकिंग की मांग करते हुए नारे लगाए, जिसमें नीट पीजी प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटा प्रदान करने के मानदंड को चुनौती दी गई है और काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की गई है.

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तीसरी लहर से कैसे निपटेंगे 


FORDA के विरोध का हिस्सा डॉ. अनुज अग्रवाल ने बताया, “पहली लहर में हमारे पास पीपीई किट जैसे अनुभव और बुनियादी उपकरणों की कमी थी. दूसरी लहर के दौरान, देश ऑक्सीजन संकट से जूझ रहा था. अब अगर महामारी की तीसरी लहर आती है, तो देश को मरीजों की देखभाल करने वाले रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ सकता है. NEET PG 2021 काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी से वह कमी आएगी.''

 

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