दिल्ली हाई कोर्ट में सोमवार को छह नव नियुक्त जजों के शपथग्रहण के साथ ही जजों की तादाद कुल स्वीकृत संख्या की दो तिहाई से ज्यादा हो जाएगी. दिल्ली हाई कोर्ट में जजों की कुल स्वीकृत संख्या 60 के मुकाबले चीफ जस्टिस सहित 41 जज हो जाएंगे. शपथ ग्रहण के साथ ही हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति करने वाला कॉलेजियम भी बदल जाएगा.
सोमवार को जस्टिस वेल्लूरी कामेश्वर राव, जस्टिस नितिन वासुदेव सांबरे, जस्टिस विवेक चौधरी, जस्टिस अनिल खेत्रपाल, जस्टिस अरुण मोंगा और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल शपथ लेंगे. जस्टिस राव अब कर्नाटक हाई कोर्ट से अपने मूल दिल्ली हाई कोर्ट में वापस आ गए हैं.
किसका हुआ है तबादला?
जस्टिस सांबरे बॉम्बे हाई कोर्ट से, जस्टिस चौधरी और जस्टिस शुक्ला, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से जस्टिस खेत्रपाल और राजस्थान हाई कोर्ट से जस्टिस मोंगा का ट्रांसफर किया गया है.
जून में हाई कोर्ट की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, यहां की विभिन्न पीठों के समक्ष लंबित मुकदमे करीब सवा लाख हैं. बीते महीनों में कुछ जजों के रिटायरमेंट और तबादलों की वजह से दिल्ली हाई कोर्ट में जजों की संख्या एकदम से घट गई थी.
कॉलेजियम का पुनर्गठन
दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठतम जज जस्टिस विभु बाखरू 16 जुलाई को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए हैं. इस वजह से दिल्ली हाई कोर्ट के तीन सदस्यीय कॉलेजियम का भी पुनर्गठन होगा.
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अभी तक चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय के साथ कोलेजियम में जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस प्रतिभा एम सिंह थीं. लेकिन सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद कॉलेजियम में चीफ जस्टिस उपाध्याय के साथ जस्टिस राव और जस्टिस साम्ब्रे शामिल होंगे, क्योंकि वे जस्टिस प्रतिभा एम सिंह से सीनियर हैं.
कॉलेजियम सिस्टम भारत के न्यायिक ढ़ांचे में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और तबादले से संबंध रखता है. हालांकि, यह संविधान में लिखित नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर ये विकसित हुआ है.
संजय शर्मा