दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट के बाद मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी के बाहर गम और खामोशी पसरी है. यहां अपने परिजनों की पहचान के लिए आए लोग टूटे हुए हैं. किसी की आंखों में आंसू हैं, किसी के शब्द ही नहीं निकल रहे. दस में से आठ मृतकों की पहचान हो चुकी है. कोई अपने बेटे को ढूंढ रहा है, कोई पति को तो कोई भाई के कपड़ों से उसका पता लगा रहा है. हर परिवार के पास एक अधूरी कहानी है और एक ही सवाल...आखिर उनका कसूर क्या था?
टूट गया मोहसिन का परिवार
मॉर्चरी में मोहसिन की पहचान परिवार ने कर ली, लेकिन इसके बाद परिवार के भीतर झगड़ा हो गया. पत्नी चाहती थी कि शव उनके घर ले जाया जाए जबकि मां का कहना था कि बेटे के शव को वो अपने घर ले जाएंंगी. मोहसिन का परिवार मेरठ का रहने वाला है, वहीं अंतिम संस्कार किया जाएगा.
अशोक कुमार और लोकेश, दो दोस्तों की एक साथ मौत
अशोक कुमार क्लस्टर बस के कंडक्टर थे, लेकिन उस दिन छुट्टी पर थे. छुट्टी के दिन वो अपने दोस्त लोकेश से मिलने आए थे जो अमरोहा का रहने वाला था और वहीं पास में खाद की दुकान चलाता था. मुलाकात खत्म होने के बाद दोनों घर लौटने वाले थे लेकिन धमाके ने दोनों की जान ले ली. दोनों के परिवार एक साथ उनके शव लेकर रवाना हुए.
दिनेश मिश्रा जो चौड़ी बाजार में प्रिंटर थे
34 वर्षीय दिनेश मिश्रा यूपी के श्रावस्ती के रहने वाले थे. दिल्ली के चौड़ी बाजार में शादी और विज़िटिंग कार्ड प्रिंट करने का काम करते थे. अब उनके पीछे बेटा-बेटियां रह गए हैं. छोटा बेटा बार-बार पिता का नाम लेकर रो रहा था. बहनोई ने नम आंखों से कहा कि कभी सोचा नहीं था कि ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे.
नहीं रहा बिहार से कमाने आया 22 साल का लड़का
समस्तीपुर (बिहार) का रहने वाला पंकज साहनी उस दिन अपने रिश्तेदार को पुरानी दिल्ली स्टेशन छोड़ने आया था. आखिरी बार उसने शाम 4:30 बजे अपने चाचा निकेश से बात की थी. उनकी कपड़े धोने की बात हुई थी. फिर रातभर फोन बंद रहा, कुछ पता नहीं चलाा. अगली सुबह मीडिया में आई कार की फोटो देखकर परिवार को पता चला कि वहीं उसकी कार थी जो लाल बत्ती पर खड़ी थी, जहां i20 कार में धमाका हुआ. उस विस्फोट में किसी के बचने की गुंजाइश नहीं थी.
वो कॉस्मेटिक शॉप चलाता था
शामली का रहने वाला नोमान अंसारी दिल्ली आया था अपने थोक सामान लेने. उसके साथ उसका दोस्त अमन था, जो इस वक्त LNJP अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है. उनके दूसरे दोस्त सोनू ने बताया कि कैसे एक पल में सब खत्म हो गया.
चीख पड़ी जुम्मन की बहन
35 वर्षीय मोहम्मद जुम्मन इलाके में रिक्शा चलाकर गुजारा करता था. दिल्ली ब्लास्ट के बाद जुम्मन को उसकी बहन खोज रही थी. अब उसके चार बच्चे और पत्नी पीछे छूट गए हैं. फोन बंद होने और लोकेशन ब्लास्ट साइट पर दिखने के बाद उसकी बहन और चाचा उसे ढूंढते हुए LNJP पहुंचे.
उनकी बहन जो खुद बैटरी रिक्शा चलाती हैं, गुस्से में थीं. वो मीडिया पर चिल्ला रहीं थीं, जवाब मांग रहीं थीं, 'बताओ, मेरे भाई को क्या हुआ? ज़िंदा है या नहीं?' जुम्मन के भतीजे मोहम्मद महफूज ने बताया कि हमने लोकेशन से ट्रेस किया, फिर अस्पताल पहुंचे. उनके चाचा इदरीस भी अपने भतीजे को ढूंढ रहे थे. वो मोबाइल में उसकी फोटो दिखाते हुए बोले, 'यही है मेरा बच्चा.' ये कहते हुए फूटकर रो पड़े.
टुकड़ों में मिली लाश
आखिरकार परिवार को उसका शव मिल गया. शरीर के हिस्से अलग-अलग थे, एक हाथ कटा हुआ, दोनों पैरों के हिस्से अलग. पहचान कपड़ों से हुई क्योंकि उसके पास ज्यादा कपड़े नहीं थे. परिवार का कहना था कि वही घर का इकलौता कमाने वाला था और पत्नी अपंग है. इदरीस ने कहा कि सरकार से कुछ मदद की उम्मीद है, भले वो वापस नहीं आएगा.
बता दें कि अब तक 10 मृतकों में से 8 की पहचान हो चुकी है और उनके शव परिवारों को सौंप दिए गए हैं. MAMC मुर्दाघर के बाहर का हर चेहरा एक कहानी कह रहा था. कहानी इंतजार, यकीन और अचानक आई तबाही की...
मिलन शर्मा