सोमवार की शाम, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास का माहौल चीखों और दहशत में बदल गया. शाम 6 बजकर 52 मिनट पर, लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के नजदीक, एक खड़ी कार में हुए जोरदार धमाके ने जिंदगियों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया.
इस धमाके में 8 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं. धमाके की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए, मेट्रो स्टेशन के गेट का शीशा तक चकनाचूर हो गया और आस-पास की स्ट्रीट लाइटें टूट गईं.
चश्मदीदों ने बताया कि यह मंजर ऐसा था कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में इतना बड़ा धमाका कभी नहीं सुना. दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने दर्दनाक गवाही देते हुए कहा कि धमाके के बाद फुटपाथ पर लोगों के शव बिखरे पड़े थे और गाड़ियों में पड़े हुए थे. लोक नारायण जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि 20 से अधिक घायल अस्पताल लाए गए हैं.
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लोगों की आंतें बाहर आ गई
डॉक्टर ने बताया, 'घायलों में कई जली झुलसी हालत में हैं. 20 से अधिक धमाके की वजह से घायल हुए हैं. यानी छर्रे और कंक्रीट के टुकड़े उनके बदन में घुस गए हैं. अधिकतर घायलों के पेट और पैरों में छर्रे लगे हैं. कुछ लोगों की आंतें भी बाहर आ गई हैं. पेट का ऑपरेशन किया जा रहा है.'
शरीर के अंदर घुसे फॉरेन बॉडी यानी छर्रे निकाल कर जांच एजेंसियों को सौंपे जा रहे हैं. ताकि पता लगाया जा सके कि विस्फोट में किन कैमिकल्स का इस्तेमाल किया गया और मॉड्यूल क्या था. यह साफ है कि यह कोई सामान्य धमाका नहीं था. यह किसी बड़ी साज़िश की ओर भी इशारा करता है.
जिस जगह पर यह विस्फोट हुआ, वह इलाका दिल्ली का दिल और सबसे संवेदनशील क्षेत्र है. लाल किला सिर्फ़ 350 मीटर दूर है, एशिया की सबसे बड़ी लाइट मार्केट (भागीरथ लाइट मार्केट) 50 मीटर दूर है. गौरी शंकर मंदिर, जैन मंदिर, चांदनी चौक बाज़ार और गुरुद्वारा शीशगंज सब कुछ बेहद नजदीक हैं.
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एनआईए की टीमें मौके पर पहुंची
धमाका उस समय हुआ जब यह इलाका भीड़भाड़ वाला था. लोग मेट्रो से बाहर निकलकर ई-रिक्शा और ऑटो का इंतजार कर रहे थे. एक व्यस्त मेट्रो स्टेशन के ठीक पास हुए इस विस्फोट ने पूरे शहर को डरा दिया है.
हालांकि पुलिस अभी भी जांच के बाद ही इसे 'बम ब्लास्ट' कहने की बात कर रही है, लेकिन NSG, NIA, क्राइम ब्रांच और फॉरेंसिक टीमों की तुरंत मौजूदगी बता रही है कि मामला कितना गंभीर है. दिल्ली में 14 साल बाद इतना बड़ा धमाका हुआ है, जिसने 2011 के दिल्ली हाई कोर्ट बम धमाके की भयानक यादें ताज़ा कर दी हैं.
देश में मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में यह पहला इतना बड़ा धमाका है, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.
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