दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट को केन्द्र सरकार ने जघन्य आतंकी हमला माना है. इस आतंकी हमले पर कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए इसे देश विरोधी ताकतों की करतूत बताया गया और इसकी जांच तेज करने के निर्देश दिए हैं. इससे पहले दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में CCS की बैठक हुई. इस बैठक में 2 मिनट का मौन रखा गया और धमाके में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई.
इस आतंकी हमले को लेकर अब तक जिन 6 बड़े डॉक्टरों को जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है, उन सभी ने इस देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई की है. इनमें डॉ. आदिल अहमद ने अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है. डॉक्टर मुज़म्मिल गनई और डॉ. उमर मोहम्मद ने श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है. डॉ. शाहीन शाहिद ने कानपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है और डॉ. परवेज अंसारी ने भी उत्तर प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है.
ये हैं इस टेरर मॉड्यूल के तीन हॉटस्पॉट
इस टेरर मॉड्यूल के तीन Hotspot हैं. पहला Hotspot है फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी, जहां डॉ. मुज़म्मिल गनई, डॉ. उमर मोहम्मद और डॉ. शाहीन शाहिद काम करते थे. दूसरा Hotspot है पुलवामा, जहां डॉ. मुज़म्मिल गनई, डॉ. उमर मोहम्मद और डॉ. सज्जाद अहमद माला का घर है. और ये तीनों यहीं से एक दूसरे को जानते थे. इस टेरर मॉड्यूल के मास्टरमाइंड मौलवी इरफान अहमद ने इन तीनों का ब्रेनवॉश किया था. तीसरा Hotspot है लखनऊ, जहां से डॉ. शाहीन शाहिद और उसका भाई डॉ. परवेज अंसारी इस साजिश को अंजाम दे रहे थे.
लखनऊ की कॉलोनियां बनीं आतंकियों का सेफ ठिकाना?
लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है, जहां से शाहीन शाहिद और परवेज अंसारी का घर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास से सिर्फ ढाई किलोमीटर दूर था. पिछले दो दशकों में लखनऊ में कई नई कॉलोनियां बसाई गई हैं, जिन्हें आतंकियों ने अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया है. पिछले 20 सालों में यहां कई आतंकी संगठन के लोग गिरफ्तार भी हुए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इन संदिग्ध आतंकियों को लखनऊ में रहने के लिए जमीन और घर आसानी से कैसे मिला?
डॉ परवेज अंसारी को लखनऊ में इस तरह मिली जमीन
इसे लेकर भी एक बड़ा खुलासा हुआ है और ये पता चला है कि डॉ. शाहीन शाहिद का भाई डॉ. परवेज अंसारी आजमगढ़ का रहने वाला था. लेकिन जब वो लखनऊ आया तो लखनऊ शहर के सबसे बड़े मदरसे के एक मौलवी ने उसकी मदद की. इस मदरसे को लखनऊ में नदवा कहा जाता है, जहां दूसरे देशों से भी कई लोग पढ़ने के लिए आते हैं.
आरोप है कि इसी मदरसे का एक मौलवी डॉ. परवेज अंसारी के साथ लखनऊ जिले के मुत्क्किपुर आया और वहां एक व्यक्ति से ये कहा कि वो डॉ. परवेज अंसारी की गारंटी लेने को तैयार है और इस डॉक्टर को रहने के लिए यहां जमीन दिलाई जाए. इस बाद मुत्क्किपुर में डॉ. परवेज अंसारी ने जमीन खरीदी और यहीं से वो फरीदाबाद और श्रीनगर के टेरर मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था और उसकी बहन भी उसके साथ साज़िश रच रही थी.
ब्रेनवॉश के लिए इस्तेमाल हुआ ये ऐप
अब आपको ये बताते हैं कि इस टेरर मॉड्यूल का टेलीग्राम कनेक्शन क्या है. दरअसल, दिल्ली ब्लास्ट मामले में इन सभी डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने के लिए टेलीग्राम ऐप का इस्तेमाल हुआ था. ये सभी डॉक्टर्स टेलीग्राम ऐप के दो चैनल्स को फॉलो करते थे, जिनमें एक चैनल का नाम था फरजंद-ए-दारुल उलूम और दूसरे चैनल का नाम था उमर बिन खत्ताब.
शुरुआत में इन टेलीग्राम चैनल्स पर कश्मीर की आजादी और कश्मीरी लोगों पर होने वाले झूठे अत्याचारों पर चर्चा होती थी लेकिन बाद में इन्हीं दोनों चैनलों पर ये बताया जाने लगा कि इन सभी डॉक्टरों के जीवन का असली मकसद जिहाद है. भारत इनका दुश्मन है और इन डॉक्टरों को ऐसा व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम बनाना होगा, जिससे इन पर किसी को शक ना हो और जैश इनकी मदद से भारत को दहला सके. इन्हीं टेलीग्राम चैनल्स पर इन डॉक्टरों को जैश के जेहादी वीडियो दिखाए जाते थे और इनका हर दिन, हर घंटे और हर मिनट ब्रेनवॉश किया जाता था.
आजतक ब्यूरो