दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग कराने का फैसला किया है. इस बाबत DGCA ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर को अनुमति दी है. क्लाउड सीडिंग की यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से 30 नवंबर 2025 तक चलेगी.
अनुमति के मुताबिक IIT कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग को VT-IIT (Cessna 206-H) विमान का उपयोग कर क्लाउड सीडिंग करने की इजाजत दी गई है. हालांकि, इसके लिए कई शर्तें रखी गई हैं.
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शर्तें और सुरक्षा नियम
1. सभी उड़ानें DGCA की निगरानी में होंगी और पायलट के पास पेशेवर लाइसेंस और मेडिकल फिटनेस होना जरूरी होगा.
2. पायलट को इस तरह के फ्लाइट ऑपरेशन का अनुभव होना चाहिए.
3. उड़ान से पहले एयरपोर्ट डायरेक्टर और ATC से क्लियरेंस अनिवार्य होगा.
4. किसी तरह की एरियल फोटोग्राफी या सर्वे की अनुमति नहीं होगी.
5. प्रतिबंधित/प्रोहिबिटेड एरिया के ऊपर उड़ान नहीं भरी जाएगी.
6. विमान को VFR कंडीशंस में उड़ाना होगा और सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा.
7. किसी भी स्थिति में विदेशी क्रू शामिल नहीं होगा.
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8. क्लाउड सीडिंग गतिविधि पूरी तरह निशुल्क की जाएगी.
9. संचालन शुरू करने से पहले संबंधित जिला प्रशासन से भी अनुमति लेनी होगी.
10. DGCA ने साफ किया है कि किसी भी नियम के उल्लंघन पर यह अनुमति तत्काल रद्द की जा सकती है.
इस कदम को दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने के प्रयासों में एक नई पहल के तौर पर देख रही है. IIT कानपुर पहले भी ऐसे प्रयोग कर चुका है और अब इसे राजधानी की हवा साफ करने के लिए आजमाया जाएगा.
दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश कराने का प्लान
दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश कराने की कोशिशों पर कई सालों से चर्चा और प्लानिंग चल रही है लेकिन पहली बार ट्रायल साल 2025 में तय किए गए. इससे पहले दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के सफल होने की कोई पक्की रिपोर्ट नहीं आई है, हालांकि कई बार कोशिशें और प्रस्ताव रखे गए.
जून 2025 में ऐलान हुआ था कि IIT कानपुर की टीम 4 जुलाई से 11 जुलाई 2025 के बीच ट्रायल करेगी लेकिन मॉनसून के समय मौसम सही न होने की वजह से इसे पहले अगस्त और फिर सितंबर 2025 तक टाल दिया गया. नया टाइम इसलिए रखा गया ताकि ट्रायल मॉनसून के बाद हो सके, जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है.
इस कोशिश का मकसद बारिश कराकर हवा में मौजूद प्रदूषकों को नीचे गिराना है, ताकि लोगों को कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन दिल्ली की जहरीली हवा से राहत मिल सके.
सुशांत मेहरा / पीयूष मिश्रा