राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप लेता जा रहा है. खतरनाक रूप से बढ़ते प्रदूषण का असर अब आम जनजीवन पर भी पड़ने लगा है. वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है, कि लोगों को अब मॉर्निंग वॉक जैसी रूटीन भी छोड़नी पड़ रही है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस सूर्यकांत ने भी मॉर्निंग वॉक बंद कर दिया है. उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान खुद ही इस बात की जानकारी दी है.
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार एसआईआर से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सुबह की सैर पर जाना बंद कर रखा है. अब कोर्ट से घर जाने के बाद अपने आवासीय परिसर में ही शाम की सैर करते हैं. उन्होंने सुबह की बजाय शाम को वॉक करने के पीछे का कारण भी बताया और कहा कि सुबह के मुकाबले शाम के समय प्रदूषण कम रहता है. दरअसल, बिहार में एसआईआर को लेकर दाखिल याचिकाओं पर चुनाव आयोग के वकील ने डिजिटली पेश होने की अनुमति कोर्ट से मांगी.
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने सुनवाई के दौरान अपनी सेहत का हवाला दिया और कोर्ट से सुनवाई के लिए वर्चुअली पेशी की अनुमति देने की मांग की. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी कहा कि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. साल दर साल यह बढ़ रहा है और इसके लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है. इन दोनों सीनियर एडवोकेट्स की चिंता से सहमति जताते हुए CJI जस्टिस सूर्यकांत ने भी कहा कि मैं भी आजकल मॉर्निंग वॉक पर नहीं जा रहा हूं, लेकिन कोशिश करता हूं कि शाम को जाऊं.
इसी बीच कोर्ट को यह बताया गया कि वर्चुअल हियरिंग दोबारा लागू करने के लिए कोई आदेश जारी किया जाए. इस पर सीजेआई ने कहा कि ऐसे ही कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता. इस मामले में और भी स्टेकहोल्डर यानी कि बार से भी बात करनी होगी. सीजेआई ने इस पर विचार करने की बात कही. सीजेआई ने यह भी कहा कि बार कुछ सुझावों के साथ सामने आए, तो उसके आधार पर हम इस मामले में कोई आदेश जारी कर सकें.
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बिहार एसआईआर के मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने मीडिया की तारीफ की और कहा कि हमें मीडिया का भी शुक्रगुजार होना चाहिए कि बिहार जिस तरह रिपोर्टिंग की गई, उससे रिमोट एरिया में भी लोगों को सभी चीजों की जानकारी होती रही. सबको यह पता चलता रहा कि कब-कब क्या-क्या हो रहा है और कैसे क्या करना है. ऐसे में क्या कोई उस प्रक्रिया के लिए कह सकता है कि इसके बारे में मुझे पता नहीं था?
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सीजेआई ने यह टिप्पणी तब की, जब याचिकाकर्ता के वकील कपिल ने बोला कि बहुत से लोगों को कई प्रोसीजरल चीजों की जानकारी ही नहीं हो पा रही है. वहीं, जस्टिस जॉयमाल्य बागची ने भी कहा कि हमें जमीनी स्तर पर वोटर लिस्ट से से हटाए गए लोगों की तरफ से भी कुछ नहीं कहा गया, न ही व्यक्तिगत मतदाताओं की ओर से कोई चुनौती ही दी गई.
संजय शर्मा