भारत ने मूक-बधिर ओलंपिक में एक बार फिर परचम लहराया है. 1 मई को शुरू हुए ओलंपिक 2021 का आयोजन जिसका समापन 15 मई को हुआ. इस ओलंपिक में 72 देशों से करीब 2100 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. जिनमें से 65 एथलीट भारत के थे. गर्व की बात यह है कि इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने 8 गोल्ड मेडल, एक सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज जीत कर कुल 16 मेडल अपने नाम किए हैं.
'आजतक' ने इन्हीं विजताओं और प्रतिभागियों से बातचीत की और जाना उनके लिए यह सफर कैसा रहा. साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का उनका अनुभव कितना सुखद था.
महज 21 साल की उम्र में हरियाणा के रहने वाली दीक्षा डागर ने मूक-बधिर ओलंपिक में गोल्फ में गोल्ड मेडल जीत कर देश को गौरवान्वित किया है. दीक्षा डागर ने बताया कि उनके पिता आर्मी में है. उसे अपने पिता से देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है. दीक्षा डागर ने 5वीं क्लास में ही यह ठान लिया था कि वह देश के लिए कुछ कर दिखाएगी.
दीक्षा डागर ने स्पोर्ट में जाने का निश्चय किया. उसके बाद उसने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. दीक्षा डागर बताती हैं कि 2017 में उन्होंने ब्रॉन्च मेडल जीता था लेकिन उसे गोल्ड ही चाहिए था. इसके बाद गोल्ड मेडल जीतने के लिए दीक्षा ने कड़ी मेहनत की. दीक्षा कहती हैं कि 2017 में वह अपने प्रदर्शन से बहुत नाराज थीं.
लेकिन इस बार दीक्षा डागर ने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को हरा कर मूक-बधिर ओलंपिक में देश का नाम ऊंचा किया. दीक्षा डागर ने बताया कि वह पल उनके लिए सबसे गौरवान्वित करने वाला था. जब पूरे स्टेडियम में राष्ट्रगान बजाया गया. दीक्षा डागर बताती हैं कि अब वह 2024 और एशियाई ओलंपिक में भी मेडल जीतना चाहती हैं.
इसी तरह कुश्ती में रविंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज और 97 किलोग्राम भार वर्ग में भारत के सुमित दाहिया ने गोल्ड मेडल जीता. बता दें कि 74 किलो वर्ग में 'गूंगा पहलवान' के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाब रहे हैं.
वहीं, सुमित दहिया ने बताया कि उनके लिए यह सफर आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि उन्होंने स्वर्ण पदक पाने के लिए दिन रात मेहनत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं है. यह दिन उनकी जिंदगी का सबसे यादगार दिन रहेगा.
कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले रविंद्र सिंह ने बताया कि मूक-बधिर होने के कारण उन्हें सबसे बड़ी समस्या कम्युनिकेट करने में आती थी. उनके कोच ने उनका पूरा साथ दिया, जिसके कारण आज वह इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति के लिए चीजों को समझना बहुत आसान होता है लेकिन मूक-बधिर व्यक्ति के लिए चीजों को समझकर उसे असल जिंदगी में लागू करना बेहद मुश्किल होता है. फिर भी उनकी हिम्मत और जज्बे ने यह मुमकिन कर दिखाया.
तेजश्री पुरंदरे