छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करके सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कई युवाओं ने निर्वस्त्र होकर नग्न प्रदर्शन किया. जिसने भी यह वीडियो देखा वो हैरान रह गया. 29 प्रदर्शनकारियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराएं लगाकर उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया है, हालांकि, मौजूदा विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रहा है.
राज्य में पीएससी रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर पिछले महीने भाजयुमो के कई युवाओं ने सिविल लाइंस स्थित सीएम हाउस का घेराव करने का प्रयास किया था. उन्होंने इस मामले की किसी जांच एजेंसी से गहन जांच कराने की मांग की. भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने यह भी वादा किया कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्ता में आने पर घोटाले की सीबीआई जांच होगी.
कथित पीएससी घोटाला क्या है?
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) ने 2021 सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे एक महीने पहले जून 2023 में जारी किए थे. नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भाई-भतीजावाद के आरोप लगाए हैं क्योंकि कई सरकारी अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम सफल उम्मीदवारों की सूची में शामिल थे. भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि सीजी पीएससी ने उचित चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रही है. उन्होंने बताया कि चयनित लोगों में नौकरशाहों और राजनीतिक नेताओं के रिश्तेदार भी शामिल थे और आरोप लगाया कि शीर्ष पीएससी अधिकारियों के करीबी रिश्तेदारों, साथ ही आईएएस अधिकारियों के बेटे और बेटियों ने डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित लोगों की सूची में जगह बनाई.
आयोग ने किया इनकार
हालांकि, सीजी छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने भाई-भतीजावाद के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की गई थी. सीजी पीएससी ने यह भी कहा है कि वह भाई-भतीजावाद के किसी भी आरोप की जांच करने के लिए तैयार है और अगर कोई गलत कार्य पाया जाता है तो वह उचित कार्रवाई करेगी. 2021 में 171 पदों की रिक्ति की घोषणा की गई थी, हालांकि, 2021 पीएससी परीक्षा में 1.40,00,00 से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए, जिसके परिणाम हाल ही में घोषित किए गए थे. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, नौकरशाहों के कई रिश्तेदारों का नाम टॉपर्स सूची में था.
हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
हाल ही में इस मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में भी हुई. यहां 20 याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी करते हुए अंतरिम राहत के तौर पर राज्य सेवा परीक्षा 2022 की चयन प्रक्रिया के फैसले पर रोक लगा दी. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2021 में भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थी प्रशांत कुमार तिवारी और 20 अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
प्रशांत तिवारी ने कहा कि लोक सेवा आयोग ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के बाद 19 सितंबर 2022 को साक्षात्कार के बाद पूरी चयन प्रक्रिया पूरी कर ली, लेकिन उसके बाद न तो वरिष्ठता सूची जारी की गई और न ही अंतिम चयन सूची, लेकिन 30 नवंबर 2022 को भर्ती प्रक्रिया 2022 के लिए आनन-फानन में नया राज्य सेवा परीक्षा विज्ञापन जारी किया गया. हमारा भविष्य अंधकार में है क्योंकि मैं कई वर्षों से इसके लिए तैयारी कर रहा था.'
अन्य परीक्षाओं का मामला भी अदालत की चौखट पर
इसी तरह, पुलिस विभाग द्वारा उप-निरीक्षकों के चयन के लिए परीक्षा के विज्ञापन 2018 में जारी किए गए थे और एक अलग सरकारी संगठन व्यापम परीक्षा आयोजित करता है. फिर भी पुलिस विभाग ने परिणामों की घोषणा की. गंभीर भ्रम के कारण अदालत का दरवाज़ा खटखटाया गया और आज तक कई याचिकाएँ लंबित हैं और प्रक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है. वैकेंसी 975 पदों के लिए घोषित की गई थी, लेकिन 1.30 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए।
इसके अलावा, हॉस्टल वार्डन के चयन के लिए व्यापमं परीक्षा आयोजित करता है, जिसे बाद में पीएससी को सौंपा गया था. लेकिन पीएससी अज्ञात कारणों से इस परीक्षा को आयोजित करने में अनिच्छुक था और जब छात्रों ने इसका विरोध किया, तो परीक्षा रद्द कर दी गई, जिससे रोजगार पाने की इच्छा रखने वाले हजारों लोग प्रभावित हुए.
कई लोग उम्र के कारण भी राज्य सरकार की परीक्षाओं को स्थगित करने के शिकार बने हुए हैं और बिना किसी गलती के अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं. घटनाओं की ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण शृंखला रुकनी चाहिए, इससे पहले कि यह अनगिनत जिंदगियों को गहरा आघात पहुँचाए.
सुमी राजाप्पन