पिल्लों को बोरी में ठूंसा और पटक-पटक कर मार डाला, क्रूरता की भयावह हरकतें सीसीटीवी में कैद

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक नाबालिग ने कुछ पिल्लों को बेरहमी से प्रताड़ित कर मार डाला. यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. चौंकाने वाली बात यह है कि लड़के पर एक पिल्ले को लगभग 15 फीट गहरे गड्ढे में फेंकने का भी आरोप है.

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पिल्लों के साथ क्रूरता की भयावह घटना. पिल्लों के साथ क्रूरता की भयावह घटना.

सुमी राजाप्पन / मनीष शरण

  • बिलासपुर,
  • 17 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुई एक दिल दहलाने वाली घटना ने पशु प्रेमियों और आम लोगों को झकझोर कर रख दिया है. हाल ही में सामने आए एक वीडियो में एक नाबालिग लड़का मासूम पिल्लों के साथ क्रूरता की भयावह हरकतें करता दिखाई दे रहा है. फुटेज में लड़का कई छोटे पिल्लों को इकट्ठा करता, उन्हें एक बोरी में भरता और बार-बार उसे जमीन पर पटकता हुआ नजर आ रहा है.

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इस घटना में एक पिल्ले को छोड़कर बाकी सभी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एकमात्र जीवित बचे पिल्ले की हालत गंभीर बनी हुई है. चौंकाने वाली बात यह है कि लड़के पर एक पिल्ले को लगभग 15 फीट गहरे गड्ढे में फेंकने का भी आरोप है.

यह दिल दहलाने वाला वीडियो बिलासपुर की पशु बचावकर्ता निधि तिवारी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. तब से उनका पोस्ट वायरल हो गया है, जिस पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिकों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. 

निधि ने अधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप करने और नाबालिग को किशोर न्याय प्रावधानों के तहत हिरासत में लेने की अपील की है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में और अधिक गंभीर घटनाओं को रोकने के लिए समय रहते कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है.

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निधि ने कहा, "यह सिर्फ जानवरों के साथ क्रूरता नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है. अगर कोई बच्चा इस उम्र में ऐसी बर्बरता दिखा सकता है, तो उसे भविष्य में किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने से कौन रोक सकता है? उसे काउंसलिंग की जरूरत है."

लोगों के आक्रोश के जवाब में बिलासपुर पुलिस ने औपचारिक जांच शुरू कर दी है. घटना की पुष्टि करते हुए सतकंडा थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर नीलेश कुमार ने कहा, "हमें वीडियो प्राप्त हुआ है और हमने मामले का संज्ञान लिया है. चूंकि आरोपी नाबालिग है, इसलिए हम किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामले को संभाल रहे हैं. बच्चे की मानसिक स्थिति का आकलन करने के लिए चाइल्डलाइन और मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा."

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