उपेंद्र कुशवाहा छोड़ेंगे नीतीश का साथ? कौन हैं BJP के वो नेता जिनसे मिलकर पका रहे राजनीतिक खिचड़ी

जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में रूटीन चेकअप के दौरान बिहार बीजेपी के तीन नेताओं से मुलाकात. इस मीटिंग के बाद अब अटकलें लगाई जा रही है कि कुशवाहा मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज होकर एक बार फिर एनडीए में शामिल हो सकते हैं.

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बीजेपी के तीन नेताओं से मिले कुशवाहा बीजेपी के तीन नेताओं से मिले कुशवाहा

aajtak.in

  • पटना,
  • 21 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा रूटीन चेकअप के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं. उनसे मिलने के लिए बीजेपी के 3 नेता जब अस्पताल पहुंचे तो इससे बिहार का सियासी पारा चढ़ने लगा.

बीजेपी नेताओं के कुशवाहा से मिलने के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही नीतीश कुमार और जेडीयू का साथ छोड़कर बीजेपी या एनडीए में शामिल हो सकते हैं. 

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दरअसल एम्स अस्पताल में भर्ती उपेंद्र कुशवाहा से मिलने जो तीन बीजेपी नेता पहुंचे थे उनमें पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल, संजय सिंह टाइगर और योगेंद्र पासवान शामिल हैं. इनमें से प्रेम रंजन पटेल ने जैसे ही सोशल मीडिया पर कुशवाहा से मिलने की तस्वीर शेयर की लोग ये कयास लगाने लगे की कुशवाहा अब जल्द ही बीजेपी का दामन थाम लेंगे. बीजेपी ने भी ऐसे संकेत दिए हैं कि अगर कुशवाहा पार्टी में आना चाहें तो उनका स्वागत है. 

  

कौन हैं बीजेपी के वो नेता जिससे कुशवाहा की हुई मीटिंग

ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर बीजेपी के वो तीन नेता कौन हैं जिसके मिलने के बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है कि उपेंद्र कुशवाहा अपने राजनीतिक भविष्य के लिए जेडीयू का दामन छोड़ सकते हैं.

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प्रेम रंजन पटेल बिहार के सूर्यगढ़ा से पहले विधायक रह चुके हैं और वो वर्तमान में प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता पद पर हैं. वो डीएन कॉलेज में लेक्चरर भी रहे हैं और बीजेपी संगठन में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है.

वहीं बात अगर संजय सिंह टाइगर की करें तो वो भी बिहार बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हैं और पूर्व में विधायक रहे हैं. साल 2010 के विधानसभा चुनाव में संदेश सीट से रामेश्वर प्रसाद को हराकर पहली बार विधायक बने थे. उन्हें एक आम कार्यकर्ता के तौर पर बीजेपी ने टिकट दिया था जिसके बाद पार्टी में उनका कद काफी बढ़ गया था.

वहीं योगेंद्र पासवान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1994 में बीजेपी से की थी. वो बिहार में बीजेपी की पिछड़ी जाति के कद्दावर नेता हैं. वो ना सिर्फ बीजेपी के प्रवक्ता रहे हैं बल्कि उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का सदस्य भी बनाया गया था. इससे पहले वो बाल श्रमिक आयोग के 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के सदस्य भी रहे हैं. अब इन तीन बीजेपी नेताओं के उपेंद्र कुशवाहा से मिलने के बाद बिहार के राजनीतिक समीकरण में बदलाव आने की अटकलें लगाई जा रही है.

क्यों जेडीयू छोड़ सकते हैं कुशवाहा

बता दें कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद कुशवाहा को कोई मंत्री पद नहीं मिला था. कुशवाहा को उम्मीद थी की कैबिनेट विस्तार में उन्हें डिप्टी सीएम बनाया जाएगा लेकिन नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं होगा जिससे उपेंद्र कुशवाहा के अरमानों पर पानी फिर गया. 

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इसी के बाद से ऐसा कहा जा रहा है कि कुशवाहा दूसरी पार्टियों में अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने में जुटे हुए हैं. बता दें कि  कुशवाहा ने अपनी पार्टी रालोसपा का बिहार में सिकुड़ता जनाधार देखते हुए जेडीयू में विलय कर दिया था. उससे पहले उनकी पार्टी बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन में शामिल थी. वो एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं.

 

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