बिहार में लंबे समय से चला आ रहा कैबिनेट विस्तार का मसला नीतीश कुमार के अगुवाई वाले एनडीए में लगभग सुलझ गया है. मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच सहमति बन गई है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर सोमवार की रात बिहार के पार्टी नेताओं के कोर ग्रुप की बैठक हुई. सूत्रों की मानें तो यह तय हुआ कि नीतीश कैबिनेट में बचे हुए मंत्रियों की संख्या का 50-50 फॉर्मूले के साथ-साथ बीजेपी-जेडीयू के पास मौजूदा विभागों में से ही अपने-अपने कोटे के मंत्रियों के विभाग का बंटवारा करेंगे.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 16 नवंबर 2020 को नीतीश कुमार ने 14 मंत्रियों के साथ शपथ लेकर कैबिनेट गठन किया था. बीजेपी के 7, जेडीयू के 5 लेकिन मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद 4 मंत्री ही बचे हैं जबकि हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के 1 और वीआईपी से एक विधायक को मंत्री बनाया गया. वहीं, बिहार के 44 विभाग हैं, जिनमें से बीजेपी के पास 21 तो जेडीयू के पास 20 विभाग हैं. इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास दो और विकासशील इंसान पार्टी यानी मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के पास एक विभाग की जिम्मेवारी है.
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार को बने तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. इसकी एक बड़ी वजह है कि इस बार जिस तरह का जनादेश आया है, उसमें बीजेपी के 74 और जेडीयू के सिर्फ 43 विधायक जीतकर आए हैं. इस लिहाज से बीजेपी बिहार में जेडीयू के बड़े भाई की भूमिका में है और मंत्रिमंडल में भी यही मुकाम चाहती है, लेकिन जेडीयू बराबर की हैसियत चाहती है. इसीलिए मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब दोनों दलों के बीच सहमति बन गई है.
जेपी नड्डा के घर हुई बैठक में बनी बात
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर बिहार बीजेपी कोर ग्रुप नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में नड्डा के अलावा बिहार के पार्टी प्रभारी भूपेंद्र यादव, राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, पूर्व मंत्री राधामोहन सिंह, डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद और संगठन मंत्री नागेंद्र भी मौजूद थे. बीजेपी कोर ग्रुप की इस बैठक में बिहार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा हुई, जिसमें बीजेपी कोटे के मंत्रियों के पास जो मौजूदा समय में अतिरिक्त प्रभार हैं, उन्हीं में से बीजेपी कोटे के नए मंत्रियों को प्रभार दिए जाएंगे.
बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं, संवैधानिक प्रावधान के लिहाज से 15 फीसदी सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस लिहाज से बिहार में मुख्यमंत्री सहित कुल 36 मंत्री ही बन सकते हैं. नीतीश कुमार ने 14 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी, जिनमें बीजेपी के 7, जेडीयू के 5, HAM के 1 और वीआईपी के 1 मंत्री शामिल थे, लेकिन मेवालाल चौधरी के इस्तीफे से जेडीयू के चार मंत्री हैं. यानी नीतीश कैबिनेट में 22 मंत्री अभी और बनाए जा सकते हैं.
माना जा रहा है कि जेडीयू और बीजेपी में जो मंत्रिमंडल के बंटवारे का फॉर्मूला तय हुआ है, उसमें बचे हुए 22 मंत्री पदों में से ही बंटवारा होगा. इस लिहाज से अगर 50-50 फॉर्मूला के तहत बंटवारा होता है तो बीजेपी और जेडीयू के बीच 11-11 मंत्री बन सकेंगे. इस लिहाज से बीजेपी के 17 से 18 मंत्री नीतीश कैबिनेट में हो जाएंगे. यही वजह है कि बीजेपी कह रही है कि उसके मंत्री अभी भी ज्यादा हैं और विस्तार के बाद भी ज्यादा रहेंगे. वहीं, इस फॉर्मूले के तहत नीतीश कैबिनेट में जेडीयू के 14 या फिर 15 मंत्री रहेंगे.
बिहार सरकार के 44 मंत्रालय के विभागों के बंटवारे में लगभग बराबर किया गया था. बीजेपी के हिस्से में 21 और जेडीयू के खाते में 20 विभाग आए हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मंत्रालय के विभागों का बंटवारा बीजेपी-जेडीयू को अपने-अपने कोटे से अपने-अपने मंत्रियों को देना होगा. बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक में भी इस बात पर सहमति बन गई है. इस लिहाज से भी देखें तो नीतीश सरकार में बीजेपी का पड़ला भारी रहेगा. हालांकि, जेडीयू और बीजेपी के बीच अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहेगा. इसीलिए माना जा रहा है कि नीतीश इस फॉर्मूले पर राजी हो गए हैं.
मंत्रिमंडल के इस फॉर्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू अपने क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने में भी सफल होती दिखाई दे रही है. बीजेपी दो डिप्टी सीएम के साथ विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने किसी नेता को बैठाकर कैबिनेट में बड़े भाई की भूमिका के जरिए बिहार में अपना सियासी आधार बढ़ाना चाहती है. वहीं, नीतीश कुमार सत्ता की कमान और 14 मंत्रियों के साथ अपने सियासी कद को बरकरार रखने की कवायद में हैं.
कुबूल अहमद