बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ चल रही लड़ाई में स्वास्थ्य अधिकारी किस तरीके से सरकार को गुमराह और भ्रमित कर रहे हैं इसकी तस्वीर अररिया जिला में देखने को मिली. दरअसल, अररिया के फारबिसगंज अनुमंडल में 35 बेड का एक डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल है.
अररिया जिले के प्रभारी मंत्री आलोक रंजन ने जब सोमवार को जिले के सभी अधिकारी और सिविल सर्जन के साथ संक्रमण के खिलाफ चल रही लड़ाई की समीक्षा बैठक की तो उसी दौरान मंत्री आलोक रंजन ने सिविल सर्जन डॉ. एम पी गुप्ता से सवाल पूछा कि फारबिसगंज अनुमंडल में डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल कितने बेड का है, तो इसके जवाब में सिविल सर्जन ने उन्हें बता दिया कि यह अस्पताल 100 बेड का है.
आजतक ने भी जब सिविल सर्जन से फारबिसगंज कोविड-19 अस्पताल के बारे में जानकारी ली तो हमें भी उन्होंने बताया कि यह अस्पताल 100 बेड का ही है. अररिया सिविल सर्जन डॉ एम पी गुप्ता ने कहा, 'फारबिसगंज के अस्पताल में 100 बेड की व्यवस्था है', दिलचस्प बात यह है कि सरकार के वेबसाइट पर भी अगर आप जाएं तो यह अस्पताल 100 बेड का ही नजर आ रहा है. इसी दौरान आज तक को जानकारी मिली कि फारबिसगंज अनुमंडल का यह डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल 100 बेड का नहीं बल्कि केवल 35 बेड का है.
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मामले की तफ्तीश को आगे बढ़ाते हुए आजतक की टीम फारबिसगंज के इस डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल पर पहुंची. अस्पताल की डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रेशमा रज़ा ने इस कोविड-19 अस्पताल 100 बेड का होने से इनकार किया और कहा कि यहां केवल 35 बेड की ही व्यवस्था है. जिसे आज 50 बेड तक बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'हमारे पास कल तक 35 बेड थे जिसे बढ़ाकर आज 50 कर दिया गया है. सभी बेड में ऑक्सीजन सुविधा है. इस अस्पताल में शुरू से ही 35 बेड संचालित हो रहे हैं.'
अब ऐसे में सवाल खड़े हुए कि आखिरकार सिविल सर्जन डॉक्टर एमपी गुप्ता ने मंत्री आलोक रंजन को गलत जानकारी क्यों दी और सरकार की व्यवस्था को लेकर आखिर क्यों गुमराह किया? जब 'आजतक' ने अररिया जिले के प्रभारी मंत्री आलोक रंजन से बात की तो उन्होंने भी बताया कि वर्चुअल मीटिंग में सिविल सर्जन डॉ. एमपी गुप्ता ने उन्हें फारबिसगंज कोविड-19 अस्पताल के 100 बेड होने की बात कही थी मगर जब 'आजतक' ने उन्हें सच्चाई बताई तो उन्होंने सिविल सर्जन के खिलाफ कार्रवाई की बात कही.
प्रभारी मंत्री आलोक रंजन ने कहा कि बैठक में सिविल सर्जन ने मुझे बताया कि फारबिसगंज का कोविड-19 अस्पताल 100 बेड का है. मुझे 'आजतक' के जरिए इस बात की जानकारी हो रही है कि वह अस्पताल केवल 35 बेड का ही है. अगर ऐसी बात है तो फिर सिविल सर्जन के खिलाफ कार्रवाई होगी. महामारी के खिलाफ जंग में जहां सरकार के स्वास्थ्य विभाग और उसकी व्यवस्था को लेकर लगातार किरकिरी हो रही है वही स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा सरकार को भ्रमित और गुमराह करने का मामला बेहद गंभीर है क्योंकि ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा गलत जानकारी देने के कारण सरकार की और ज्यादा फजीहत हो रही है.
रोहित कुमार सिंह