Mood Swings: मेंटल हेल्थ के लिए चिंता का संकेत हैं मूड स्विंग, जानें इसके कारण और बचाव के तरीके

जब किसी व्यक्ति के व्यवहार, मन और उसके मूड में अचानक से परिवर्तन देखने को मिलता है तो उसे मूड स्विंग कहते हैं. इस अवस्था में कभी व्यक्ति अचानक से खुश हो जाता है तो कभी चिड़चिड़ा. आज हम आपको बताएंगे कि मूृड स्विंग क्यों होता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए.

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Mental Health Problems (Image: Freepik) Mental Health Problems (Image: Freepik)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2024,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

व्यक्ति की भावनाओं में अचानक और तेजी से होने वाले बदलावों को ही मूड स्विंग कहा जाता है. कभी-कभी मूड स्विंग होना एक सामान्य बात है, लेकिन जरूरत से ज्यादा मूड का स्विंग होना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि मूड स्विंग क्यों होता है और इससे उबरने के लिए क्या किया जा सकता है. 

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मूड स्विंग होने के कारण

1. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्मोन के स्तर में परिवर्तन, विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, मूड स्विंग का कारण बन सकते हैं. यह अक्सर पीरियड, गर्भावस्था, पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज के दौरान देखा जाता है. हार्मोनल उतार-चढ़ाव मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन को प्रभावित करते हैं, जो मूड स्विंग का कारण होते हैं.
 
2. तनाव और एंग्जाइटी भी मूड स्विंग यानी भावनात्मक अस्थिरता का कारण होता है, इससे बार-बार मूड में उतार-चढ़ाव हो सकता है. तनाव शरीर के मुख्य तनाव हार्मोन कोर्टिसोल के स्राव को बढ़ाता है, जो न्यूरोट्रांसमीटर के संतुलन को बिगाड़ सकता है और मूड में बदलाव का कारण बन सकते है. 

3. थायरॉइड हार्मोन मेटाबालिज्म और मूड दोनों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म जैसी स्थितियां हार्मोन संतुलन को बिगाड़ सकती हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति में मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और अवसाद के लक्षण देखने को मिलते हैं. 

4. शरीर में विटामिन बी12, फोलेट, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी भी मूड स्विंग का कारण बन सकता है. ये पोषक तत्व न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं जो मूड स्विंग की कारण है. 

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इन तरीकों को अपनाकर मूड स्विंग से पाएं छुटकारा

1. रोजाना एक्सरसाइज करने से तनाव और एंग्जाइटी कम होती है, जिससे मूड भी स्थिर रहता है. अपनी दिनचर्या में 30 मिनट की वॉक को शामिल करने का प्रयास करें. यह आपके मूड को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त हो सकता है. ऐसे वर्कआउट करने की कोशिश करें, जो आपको पसंद हों. 

2. नींद की कमी की वजह से भी मूड स्विंग की समस्या देखने को मिलती है. इसलिए रोजाना पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है. व्यक्ति को अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से 7-8 घंटे जरूर सोना चाहिए. 

3. आहार में शामिल कुछ चीजें जैसे कृत्रिम खाद्य रंग, उच्च चीनी वाले फूड, कैफीन और अधिक कार्बोहाइड्रेट शरीर में थकान और बैचेनी पैदा करता है, जिससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए अपने दैनिक आहार में फल-सब्जियां, गहरे रंग की पत्तेदार सब्जियां, भरपूर प्रोटीन और कुछ मात्रा में साबुत अनाज जरूर शामिल करें. 

4. मूड स्विंग को ट्रिगर करने वाली स्थितियों को समझना और उनसे बचना उन्हें रोक सकता है. उदाहरण के लिए अगर आपको पता है कि शराब पीने या नींद ना लेने से आपके मूड पर असर पड़ेगा, तो शराब से बचने या जल्दी सोने की कोशिश करें. 

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