फल-जूस वाली डाइट लेने से लड़के की मौत! सेलेब्रिटी कोच ने बताया ऐसा करना कितना सही?

तमिलनाडु में एक लड़का यूट्यूब से देखकर सिर्फ फल-जूस वाली डाइट लेकर वजन कम कर रहा था. 3 महीने बाद उसकी मौत हो गई. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्लियर नहीं है कि ऐसा क्यों हुआ है.

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जूस पीना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. जूस पीना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में रहने वाले 17 साल के शक्तिस्वरन की मौत फल और जूस वाली डाइट से हो गई है. शक्तिस्वरन की जान एक ऐसी डाइट ने ली जिसे उसने यूट्यूब पर देख कर अपनाया था. जानकारी के मुताबिक, पिछले तीन महीनों से शक्तिस्वरन केवल फल और जूस पर आधारित डाइट ले रहा था. उसका मकसद था वजन कम करना, लेकिन यह कोशिश उसकी जान पर भारी पड़ गई. शक्तिस्वरन के परिवार ने डॉक्टरों और पुलिस को बताया कि उसने डाइट को फॉलो करने से पहले किसी भी डायटीशियन या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की सलाह नहीं ली थी.

डाइट में इतना बड़ा बदलाव करने से पहले किसी भी चिकित्सा या पोषण विशेषज्ञ से सलाह नहीं ली थी. वह फलों का रस पी रहे था और सॉलिड मील्स बिल्कुल नहीं ले रहा था. इसके साथ ही वह कुछ दवाएं भी ले रहा था. हालांकि अभी पोस्ट मार्टम में अभी ये साबित नहीं हुआ है कि लड़के की मौत फल-जूस वाली डाइट के कारण ही हुई है.

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नॉर्मल लाइफ में भी कई लोग फल और जूस वाली डाइट को फॉलो करते हैं. इस बारे में हमने सेलेब्रिटी फिटनेस कोच प्रसाद नंदकुमार सिर्के से जाना कि सिर्फ फल और जूस वाली डाइट लेने से क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं.

ब्लड ग्लूकोज हाई हो सकता है

कोच शिर्के ने बताया, 'फ्रूट या फ्रूट जूस के अंदर फ्रक्टोज होता है जिसे लेने से ब्लड शुगर लेवल स्पाइक होता है. इससे "खराब" कोलेस्ट्रॉल (LDL) का स्तर बढ़ सकता है और "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल (HDL) का स्तर कम हो सकता है. इसके अलावा हाई ब्लड शुगर शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को भी बढ़ा सकता है जो एक प्रकार का फैट है और हार्ट डिसीज के खतरे को बढ़ाता है. इसलिए कभी भी सिर्फ फल या जूस वाली डाइट नहीं लेना चाहिए.'

टॉक्सीसिटी बढ़ सकती है.

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'फ्रूट्स या वेजिटेबल्स जो आजकल मार्केट में आ रहे हैं उनमें केमिकल की मात्रा काफी अधिक मिल रही है. अब हम जो चिकन या दूसरी चीजें खाते हैं, उन्हें पहले कुक करते हैं जिससे टॉक्सिसिटी कम हो जाती है लेकिन फल और उनका जूस बिना कुक किए बनाते हैं तो उनमें टॉक्सिसिटी हाई है और केमिकल्स डायरेक्ट आपकी बॉडी में जाते हैं इसलिए रोजाना ऐसा करना भी केमिकल रिएक्शन का कारण बन सकता है. इसलिए हमेशा ऑर्गेनिक फल या उनका जूस पीना ही सही रहता है. 

न्यूट्रिशन की कमी

बॉडी के लिए कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट जरूरी हैं. वहीं आपके ऑर्गन्स चलाने के लिए दूसरी चीजें भी काफी जरूरी हैं जो सिर्फ फल पर आधारित डाइट से नहीं मिलता. न्यूट्रिशन की कमी के कारण लोगों को काफी सारी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए कभी भी सिर्फ फल पर आधारित डाइट नहीं लेना चाहिए. 

फल कब और कितना खाना चाहिए?

कोच शिर्के बताते हैं, 'फल खाना शरीर के लिए अच्छा होता है इस बात को कोई नकार नहीं सकता. यदि आप फल खा रहे हैं तो हमेशा नाश्ते और लंच के बीच खाने चाहिए. या फिर वर्कआउट से पहले फल खाना भी सही रहता है. रोजान 1-2 फल खाना सही लेकिन कोशिश करें कि फलों में विटामिन सी की मात्रा अधिक हो. बैरीज, संतरा बेस्ट ऑपशंस हो सकते हैं.'

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