खतरे की घंटी: हर 10 में से 1 बच्चा मोटापे का शिकार..ऐसे फूड्स कर रहा सेहत खराब, UNICEF ने दी चेतावनी

यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कैथरीन रसेल ने कहा कि आज अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स तेजी से फलों, सब्जियों और प्रोटीन जैसे हेल्दी खाने की जगह ले रहे हैं. यही वजह है कि अब दुनियाभर में कुपोषण की परिभाषा ही बदल गई है.

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जंक फूड कई बीमारियों की जड़ है. (Photo: AI-generated) जंक फूड कई बीमारियों की जड़ है. (Photo: AI-generated)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

जब भी कुपोषण की बात होती है तो लोगों के दिमाग में सबसे पहले कमजोर और दुबले-पतले लोग बच्चे आते हैं. मगर अब तस्वीर बदल चुकी है, मगर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मोटापा अब बच्चों और बड़ों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन चुका है. यूनिसेफ की 2025 की रिपोर्ट जो 190 से ज्यादा देशों के आंकड़ों बेस्ड है, बताती है कि दुनिया भर में हर 20 में से 1 बच्चा (5%) जिसकी उम्र 5 साल से कम है और हर 5 में से 1 बच्चा या बड़ा (20%) जिसकी उम्र 5 से 19 साल है, ओवरवेट से जूझ रहा है.

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पहली बार दुनिया भर में मोटापे ने कम वजन को पीछे छोड़ दिया है और ये बदलाव दुनिया के लिए एक बड़ा खतरे की तरफ इशारा है. अब हर 10 में से 1 बच्चा या बड़ा मोटापे का शिकार है, यानी लगभग 18.8 करोड़ बच्चे और किशोर मोटापे की चपेट में हैं. ये नंबर उन बच्चों से भी अधिक है जो कम वजन की समस्या से जूझ रहे हैं, ऐसे में यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में मोटापा बच्चों के लिए कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.

मोटापे की बढ़ती दरें

साल 2000 में जहां 5-19 साल के बच्चों में मोटापा केवल 3% था, वहीं 2025 में ये बढ़कर 9.4% हो गया है. दूसरी तरफ कम वजन की दर घटकर 13% से 9.2% पर आ गई है, इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण है ट्रेडिशनल और हेल्दी खाना छोड़कर सस्ते, प्रोसेस्ड और हाई-कैलोरी फूड्स है. मोटापे का बढ़ना सिर्फ शरीर के आकार बढ़ना नहीं है, ये बच्चों के दिल, दिमाग और फ्यूचर तीनों को ही इफेक्ट कर रहा है.फास्ट फूड, जंक फूड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजों ने हेल्दी खाने को पीछे छोड़ दिया है और आज बच्चों की थाली से दाल-चावल, फल-सब्जियां और अनाज धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं और उनकी जगह शुगर, नमक और अनहेल्दी फैट से भरे पैकेटेड प्रोडक्ट्स ले रहे हैं.

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किन इलाकों में अधिक समस्या?

मोटापा अब लगभग सभी क्षेत्रों में कम वजन से आगे निकल चुका है, केवल सब-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में अभी भी कम वजन की समस्या मोटापे से बड़ी बनी हुई है. सब-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया को छोड़कर अधिकतर देशों में मोटापे के दर काफी ज्यादा है, जो पूरे वर्ल्ड के लिए ही परेशानी की बात है. मोटापा सिर्फ दिखने में भारी होने की समस्या नहीं है, ये आगे चलकर कई बड़ी परेशानियों का रूप ले सकता है.

बच्चों के लिए बड़ा खतरा 

बच्चे से लेकर बड़े सभी मोटापे से जूझ रहे हैं और बच्चों के लिए ये ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि कम उम्र में ही वो बड़ी समस्या के शिकार हो जाएंगे. इसलिए समय रहते हैं अगर सही कदम नहीं उठाए गए है तो आगे चलकर बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे. मोटापे का असर बच्चों के मेंटल हेल्थ और सीखने की शक्ति पर भी पड़ता है और मोटापा अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है.

  • टाइप-2 डायबिटीज
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • दिल की बीमारियां
  • कैंसर का बढ़ा खतरा

असली खतरा कहां है?

रिपोर्ट चेतावनी देती है कि फास्ट फूड, जंक फूड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स को बच्चे ज्यादा खा रहे हैं, जिसमें चीनी, नमक, तेल और एडिटिव्स ज्यादा मात्रा में होता है जो बच्चों की बॉडी और ब्रेन दोनों के लिए ही अच्छा नहीं है और इनसे उनको दूर रखना चाहिए. मगर अब डिजिटल मार्केटिंग और स्कूलों में ये फूड्स आसानी से मिल रहे हैं जिसकी वजह से हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं.

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इस समस्या को कैसे रोकें?

यूनिसेफ का कहना है कि अगर अभी सही कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में दुनिया को सीरियस हेल्थ और फाइनेंशियल प्रॉब्लम का सामना करना पड़ेगा.इसके लिए जरूरी है:

  • स्कूलों में जंक फूड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड पर पूरी तरह बैन लगाया जाए.
  • फूड लेबलिंग और मार्केटिंग पर सख्त नियम लागू किए जाएं.
  • बच्चों और परिवारों में हेल्दी फूड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए.
  • फलों, सब्जियों और हेल्दी फूड्स को सब्सिडी और टैक्स पॉलिसी से फ्री किया जाए.
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