Self-medicate is dangerous: सिर दर्द कर रहा है तो डिस्प्रिन ले लो, बुखार हो तो डोलो ले लो, सर्दी-सिरदर्द-जुकाम आदि हो तो कॉम्बिफ्लेम टेबलेट ले लो. ये भारतीय घरों में सबसे कॉमन प्रैक्टिस है जिसने आज के समय में सेल्फ-मेडिकेशन (खुद से दवा लेना) को काफी बढ़ा दिया है. अक्सर लोग मामूली खांसी, ज़ुकाम या गले में खराश जैसी समस्याओं तो छोड़िए बुखार का भी इलाज खुद ही कर लेते हैं और डॉक्टर से परामर्श भी नहीं लेते. आजकल सेल्फ मेडिकेशन इतना आम है कि डॉक्टर तक पहुंचने के बजाय लोग अपनी बीमारी का इलाज खुद ही करने लगते हैं लेकिन ऐसा करके आप अपनी सेहत को खतरे में डाल रहे हैं.
इसका कारण है कि ओवर-द-काउंटर दवाएं कई मामलों में गलत रिएक्ट कर सकती हैं जिसका खामियाजा आपके शरीर को भुगतना पड़ सकता है. हाल ही में कुछ डॉक्टर्स ने इंटरव्यू के दौरान खुद से मेडिसिन लेने यानी सेल्फ-मेडिकेशन के जोखिमों को बताया जो सभी को जानना चाहिए.
खुद से दवा लेना कितना खतरनाक?
डॉक्टर्स का कहना है कि अक्सर पुरानी रखी हुई दवाएं या किसी और की सलाह पर एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं जिससे कई गंभीर खतरे पैदा होते हैं. यह एक गलत ट्रेंड है, क्योंकि एंटीबायोटिक दवाएं शेड्यूल H या H1 ड्रग्स होती हैं, जिनका सेवन केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही किया जाना चाहिए.
सफदरजंग हॉस्पिटल में पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. रोहित कुमार का कहना है, 'आज लोग इंटरनेट, सोशल मीडिया और OTC कॉम्बिनेशंस की वजह से सोचते हैं कि उन्हें डॉक्टर की जरूरत ही नहीं. हल्का जुकाम, खांसी या गले में खराश के लिए मेडिकल स्टोर से दवा ली जा सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं, कई लोग दूसरों को सलाह भी देने लगते हैं कि मुझे इस दवाई से फायदा हुआ था, तुम भी ले लो. यही सोच आगे चलकर गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है.
'OPD में बड़ी संख्या में मरीज आते हैं जो कहते हैं हमारे पास घर में दवा रखी थी, हमने एक-दो डोज खा लीं. अब आगे क्या करना है? यह ट्रेंड काफी खतरनाक है क्योंकि लोग खुदके डॉक्टर बनने लगे हैं और जब स्थिति खराब होती है, तब डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं.'
एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल
डॉ. रोहित ने समझाते हुए कहा, अधिकतर लोग वायरल इंफेक्शन में भी एंटीबायोटिक दवाइयां खाना शुरू कर देते हैं जबकि एंटीबैक्टीरियल एजेंट वायरस को मार ही नहीं सकते. वायरल जुकाम, वायरल निमोनिया, गले का इन्फेक्शन या गले में दर्द आदि में एंटीबायोटिक्स लेने की कोई भूमिका नहीं होती. ऐसी दवाएं लेने से शरीर को फायदा नहीं, बल्कि नुकसान हो सकता है. इन दवाओं का गलत इस्तेमाल एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस बढ़ाता है यानि आगे चलकर ये दवाएं आपके शरीर पर काम ही नहीं करेंगी.'
'हाल ही में दिल्ली के आसपास बड़े पैमाने पर वायरल और प्रदूषण से जुड़ी मामले सामने आ रहे हैं और लोगों को खांसी, गले में खराश और जुकाम जैसे लक्षण दिख रहे हैं. इन परिस्थितियों में भी बड़ी संख्या में लोग एंटीबायोटिक लेने लगे वो भी बिना डॉक्टर से पूछे. मेरी प्रैक्टिस में कई ऐसे मरीज आए जो पहले खुद एंटीबायोटिक ले चुके थे और बाद में मेरे पास आए. इससे बीमारी का सही इलाज करना मुश्किल हो जाता है और ट्रीटमेंट लंबा चलता है.'
'जिन दवाओं का इस्तेमाल लोग आमतौर पर करते हैं वे शेड्यूल H और शेड्यूल X श्रेणी में आती हैं यानी इन्हें बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन बेचा ही नहीं जाना चाहिए. लेकिन लोग इन दवाओं को खा लेते हैं और कई बहाने बनाते हैं. जैसे,
'घर में रखी थी, बस खा ली'
'पिछली बार डॉक्टर ने दी थी, फिर वही ले ली'
'पूरा कोर्स नहीं किया, बचे हुए दिन बाद में खाने लगे'
सेल्फ-मेडिकेशन के नुकसान
खुद से दवा लेने के कारण कई तात्कालिक और गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
दवा तभी लें जब डॉक्टर कहें
डॉ. रोहित की साफ सलाह है कि एंटीबायोटिक हमेशा डॉक्टर से पूछकर लें. फार्मासिस्ट को भी दवा सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन पर ही देनी चाहिए. ऐसा नहीं कि 2 दिन से खाया, आराम मिला तो छोड़ दिया. पूरा कोर्स न करना उतना ही खतरनाक है जितना बिना जरूरत दवा खाना.
'घर में पड़ी पहले की एंटीबायोटिक उठा कर खाना बहुत ही गलत प्रैक्टिस है और आजकल यह बेहद कॉमन हो चुकी है. मैं सभी को यह संदेश देना चाहता हूं, अपने आप दवाई न लें. दवाएं हमेशा डॉक्टर के परामर्श के बाद ही लेनी चाहिए. अधूरी या बार-बार ली गई दवाएं बेअसर हो सकती हैं और जान का खतरा पैदा कर सकती हैं.'
आजतक हेल्थ डेस्क