Liver Disease Risk Linked to Blood Group: हम अक्सर अपने ब्लड ग्रुप को महज ब्लड ट्रांसफ्यूजन या डोनर मैचिंग से जोड़कर देखते हैं, लेकिन एक नई स्टडी बताती है कि ब्लड ग्रुप इससे कहीं बढ़कर है, वो हमारे लिवर की सेहत का हाल बता सकता है. यानी आपका ब्लड टाइप यह बता सकता है कि आपको आने वाले समय में गंभीर लिवर प्रॉब्लम होने का कितना खतरा है.
जर्नल फ्रंटियर्स में पब्लिश हुई नई रिसर्च में पाया गया कि किस ब्लड ग्रुप वालों को लिवर की बीमारियों का अधिक खतरा होने के चांस हैं. इसके अलावा इसमें यह भी पाया गया है कि किस ब्लड ग्रुप वालों को लिवर की बीमारियों का जोखिम कम है.
रिसर्च के मुताबिक, ब्लड ग्रुप B वाले लोगों में लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा थोड़ा कम देखा गया. जिन लोगों का ब्लड ग्रुप बी था, रिसर्च में उन लोगों में लिवर से जुड़ी खतरनाक बीमारियां होने का चांस कम देखा गया है.
जर्नल फ्रंटियर्स में पब्लिश हुई नई रिसर्च के अनुसार, ब्लड ग्रुप A वाले लोगों में ऑटोइम्यून लिवर डिजीज का रिस्क ज्यादा पाया गया. इन बीमारियों में शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से लिवर पर ही हमला करती है, जिससे समय के साथ लिवर डैमेज हो सकता है. कई मामलों में यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि लिवर फेल्योर तक पहुंच सकती है.
ब्लड ग्रुप वालों को ऑटोइम्यून लिवर डिजीज होने का खतरा ज्यादा होता है, यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से गुर्दे को ही नुकसान पहुंचाने लगती है. इससे लिवर में सूजन होती है और उसकी कोशिकाएं धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं. यह लॉग टर्म तक चलने वाली बीमारी है, अगर इसका इलाज समय से ना किया जाए तो आगे जाकर यह बीमारी लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर या लिवर फेलियर जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है.
वैज्ञानिक कई सालों से यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारा ब्लड ग्रुप शरीर की अन्य बीमारियों से कैसे जुड़ा है. कुछ पहले के शोध बताते हैं कि नॉन-O ब्लड ग्रुप (A, B या AB) वाले लोगों के खून में कुछ क्लॉटिंग फैक्टर्स अधिक सक्रिय होते हैं, जिससे लिवर में ब्लड फ्लो पर हल्का प्रभाव पड़ सकता है.
नॉन-O ग्रुप वाले लोगों में वॉन विलेब्रांड फैक्टर नाम का प्रोटीन थोड़ा ज्यादा पाया गया है, खासकर उन लोगों में जिनमें पहले से लिवर डिजीज मौजूद होती है. हालांकि यह जोखिम का बड़ा कारण नहीं माना जाता, लेकिन एक छोटा फैक्टर जरूर हो सकता है.
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (AIH): इम्यून सिस्टम खुद लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है.
प्राइमरी बाइलियरी कोलांगाइटिस (PBC): लिवर के अंदर मौजूद बाइल डक्ट्स धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं.
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस का खतरा ब्लड ग्रुप A वालों में ज्यादा
प्राइमरी बाइलियरी कोलांगाइटिस का खतरा ब्लड ग्रुप B वालों में थोड़ा कम
ऑटोइम्यून लिवर बीमारियां भले ही कम पाई जाती हों, लेकिन समय पर न पकड़ी जाएं तो गंभीर हो सकती हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिक अब ब्लड ग्रुप जैसी जेनेटिक चीजों को भी गंभीरता से समझने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि भविष्य में बेहतर रोकथाम और ट्रीटमेंट प्लान तैयार किए जा सकें.
अगर आपका ब्लड ग्रुप A या B है और परिवार में किसी को लिवर की बीमारी रही है, तो रूटीन लिवर टेस्ट और डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप कराना फायदेमंद हो सकता है. क्योंकि अगर आप टेस्ट करवाते रहते हैं तो इससे आप समय पर गंभीर बीमारी के बारे में जान लेते हैं और उसका इलाज शुरू कर सकते हैं.
आजतक हेल्थ डेस्क