स्क‍िन में कोर‍ियन ग्लास ग्लो चाह‍िए या र‍ियल चमक? डॉक्टर से जान‍िए कैसे दमक सकती है इंड‍ियन स्क‍िन

सोशल मीडिया पर इन दिनों स्किनकेयर का एक ही सपना वायरल है. वो है बिल्कुल मुलायम, बेदाग और शीशे जैसी चमक वाली कोरियन ग्लास स्किन. लेकिन क्या ये ग्लो इंडियन स्किन पर भी वैसा ही नजर आ सकता है? क्या हम भी ट्रांसपेरेंट, पोर्स-लेस स्किन पा सकते हैं या ये सिर्फ इंस्टाग्राम का इफेक्ट है? एक्सपर्ट से जान‍िए सच्चाई.

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ग्लास स्किन पाने की चाह में कहीं स्किन डैमेज तो नहीं कर रहे आप? (AI Photo) ग्लास स्किन पाने की चाह में कहीं स्किन डैमेज तो नहीं कर रहे आप? (AI Photo)

मानसी मिश्रा

  • नई द‍िल्ली ,
  • 06 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

सोशल मीड‍िया में इन दिनों स्किनकेयर के नाम पर कोर‍ियन ग्लास स्क‍िन का ट्रेंड छाया हुआ है. चमकदार, पारदर्शी, बिना पोर्स वाली शीशे जैसी दिखने वाली स्क‍िन के खूब सपने बेचे जा रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या हमारी इंडियन स्किन भी ऐसी दिख सकती है? या फिर ये सिर्फ सोशल मीडिया का एक हाइप है?

गुरुग्राम की सीन‍ियर डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रुबेन भसीन पासी ने aajtak.in से बातचीत में इस ट्रेंड से जुड़ी र‍िएलिटी सामने रखी. साथ ही इस ट्रेंड को देखकर सपना देखने और कोई क्रीम, फेश‍ियल या थेरेपी लेने से पहले अपनी स्किन की रियलिटी को समझने के बारे में सलाह दी. जानिए- क्या है पूरी सच्चाई. 

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भारतीय स्किन Vs ग्लास स्किन

डॉ. पासी बताती हैं कि कोरियन और इंडियन स्किन के जीन पूरी तरह अलग होते हैं. कोरियन स्किन पतली, हल्की और कम मेलानिन वाली होती है जिससे वो ट्रांसपेरेंट दिखती है. जबकि भारतीय स्किन में मेलानिन ज्यादा होता है जिससे पोर्स ज्यादा विजिबल और स्किन थोड़ी मोटी लगती है.

वो कहती हैं कि अगर ऑयली स्किन पर ज्यादा हाइड्रेटिंग या भारी प्रोडक्ट्स लगाए जाएं तो इससे पोर्स ब्लॉक होकर पिंपल्स और इरिटेशन हो सकती है. इसलिए इंडियन स्किन में ग्लास स्किन नहीं बल्कि 'हेल्दी ग्लो' ज्यादा नेचुरल और रियलिस्टिक टारगेट होना चाहिए.

मेलानिन, मौसम और स्किन का रिश्ता

भारत की गर्म और नमी भरी जलवायु स्किन टेक्सचर पर बड़ा असर डालती है. डॉ. पासी बताती हैं कि ज्यादा मेलानिन हमें नेचुरल सन प्रोटेक्शन देता है लेकिन इससे पिगमेंटेशन का रिस्क भी बढ़ जाता है. ह्यूमिडिटी (नमी) और हीट (गर्मी) से नेचुरल ऑयल सेबम और पसीना बढ़ता है जिससे पोर्स क्लॉग हो जाते हैं और स्किन पर इवननेस कम दिखती है.

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इससे साफ होता है कि इंडियन स्किन को हर वक्त टैनिंग, पिगमेंटेशन और एक्ने से लड़ना पड़ता है इसलिए ग्लास स्किन की बजाय बैलेंस्ड, क्लीन और हाइड्रेटेड स्किन ज्यादा रियलिस्टिक गोल है.

केमिकल पील्स और एक्टिव्स का ओवरयूज

ग्लास स्किन पाने की कोशिश में कई लोग बार-बार केमिकल पील्स, एक्सफोलिएटर्स और रेटिनॉइड्स का इस्तेमाल करने लगते हैं. लेकिन डॉ. पासी चेतावनी देती हैं कि ऐक्टिव्स का बार-बार इस्तेमाल स्किन बैरियर को कमजोर कर सकता है. इससे स्किन ड्राय, सेंसिटिव या डार्क हो सकती है. सही तरीका है कि ऐक्टिव्स को धीरे-धीरे, सीमित मात्रा में और मॉइश्चराइजेशन व सनस्क्रीन के साथ इस्तेमाल करना.

क्या है रियल ग्लो का फार्मूला

डॉ. पासी कहती हैं कि अगर आप रोज सनस्क्रीन लगाते हैं, स्किन को हाइड्रेट रखते हैं और बैरियर रिपेयर पर ध्यान देते हैं तो आपकी स्किन नेचुरली हेल्दी और ल्यूमिनस दिखेगी. यही असली 'इंडियन ग्लास स्किन' है. कुल मिलाकर कहा जाए तो कोरियन स्किन जैसा ग्लास लुक हमारे जीन, मौसम और स्किन टाइप के कारण पूरी तरह संभव नहीं है. लेकिन हेल्दी, क्लियर और ग्लोइंग स्किन हर इंडियन को मिल सकती है. बस अगर आप अपनी स्किन की जरूरत को समझकर सही केयर करें.

एक्सपर्ट टिप्स

रोजाना सॉफ्ट क्लींजर और लाइट मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें.
सनस्क्रीन को स्किनकेयर का सबसे जरूरी हिस्सा बनाएं.
एक्सफोलिएशन यानी डेड स्क‍िन को हटाना हफ्ते में 1-2 बार से ज्यादा न करें.
स्लीप और डाइट स्किन हेल्थ के लिए उतनी ही जरूरी हैं जितना कोई प्रोडक्ट.

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