IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस तैयार की है जो किफायती, इस्तेमाल में आसान और लगभग बिना दर्द के काम करती है. इस डिवाइस को खास तौर पर डायबिटीज (मधुमेह) के मरीजों के लिए विकसित किया गया है ताकि उनकी डेली रूटीन वाली जांच आसान और सस्ती हो सके.
इस डिवाइस को आईआईटी मद्रास के इलेक्ट्रॉनिक मटीरियल्स एंड थिन फिल्म्स लैब के शोधकर्ताओं ने बनाया है. इनका नेतृत्व प्रोफेसर परसुरामन स्वामीनाथन ने किया. साल 2023 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं.
अभी सबसे आम तरीका है ब्लड शुगर मॉनिटरिंग (SMBG) जिसमें दिन में कई बार उंगली में सुई चुभाकर ब्लड सैंपल लिया जाता है. ये तरीका सटीक है लेकिन दर्दनाक और झंझट भरा है. इसके मुकाबले कॉन्टीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटरिंग (CGM) सिस्टम्स बार-बार सुई चुभाने की जरूरत खत्म कर देते हैं और रियल-टाइम रीडिंग देते हैं. लेकिन ये डिवाइस बहुत महंगे होते हैं और अलग स्मार्टफोन या रीडर की मदद से ही डेटा दिखाते हैं.
लोगों की जिंदगी में फर्क लाएगा ये मॉनीटर
इन दिक्कतों को देखते हुए IIT मद्रास की टीम ने एक नया मॉड्यूलर सिस्टम बनाया है जिसमें रीयूजेबल इलेक्ट्रॉनिक्स और लो-पावर डिस्प्ले यूनिट के साथ एक डिस्पोजेबल माइक्रोनीडल सेंसर पैच जुड़ा होता है. प्रोफेसर स्वामीनाथन ने कहा कि किसी भी रिसर्च की असली सफलता तभी होती है जब उसका नतीजा लोगों की जिंदगी में फर्क लाए. डायबिटीज के मरीजों के लिए इसका मतलब है रोजाना कई बार उंगली में सुई चुभाने की परेशानी से छुटकारा और बेहतर तरीके से शुगर लेवल कंट्रोल करना.
कम होगा परिवार पर आर्थिक बोझ
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे आईआईटी मद्रास के एमएस (एंटरप्रेन्योरशिप) स्कॉलर एल. बालमुरुगन ने कहा कि ये डिवाइस असली गेम-चेंजर साबित हो सकती है. ये ग्लूकोज मॉनिटरिंग को आसान, गुप्त और किफायती बनाती है. इससे लोग अपनी शुगर लेवल नियमित रूप से चेक कर सकेंगे, अपने शरीर को बेहतर समझ पाएंगे और समय पर कदम उठा सकेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय में इससे इमरजेंसी, हॉस्पिटल विजिट और परिवार पर आर्थिक बोझ कम होगा. राष्ट्रीय स्तर पर ये डिवाइस देश में बने मेडिकल टेक्नोलॉजी उत्पादों को बढ़ावा देगी जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी और स्थानीय रोजगार के मौके बढ़ेंगे.
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