Cancer Risk From Hot Coffee & Tea: ज्यादातर लोगों की सुबह की शुरुआत एक कप गर्म चाय या कॉफी पीने से होती है. चाय या कॉफी पीना सबको ही अच्छा लगता है और ज्यादातर लोग इसके बिना दिन की शुरुआत सोच भी नहीं सकते. यूं तो सबको पता है कि ज्यादा चाय-कॉफी पीना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, लेकिन आपकी इस आदत से जुड़ी एक और डरा देने वाली सच्चाई सामने आई है. दरअसल, एक नई रिसर्च कहती है कि बहुत ज्यादा गर्म ड्रिंक्स पीना आपके शरीर को जानलेवा बीमारियों का घर बना सकता है. इससे ग्रासनली (esophagus) का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टर्स का कहना है कि जितना ज्यादा गर्म और बार-बार आप चाय या कॉफी पिएंगे, उतना ही सेहत को नुकसान हो सकता है. चलिए विस्तार से जानते हैं कि नई रिसर्च क्या कहती है.
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की एक नई स्टडी में पाया गया है कि जो लोग हर रोज आठ या उससे ज्यादा कप बहुत गर्म ड्रिंक्स (कॉफी या चाय) पीते हैं, उनमें एसोफैजियल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (ESCC) नामक कैंसर होने की संभावना 5.6 गुना ज्यादा होती है.
रिसर्चर्स ने यूके बायोबैंक के 5 लाख से ज्यादा लोगों के डेटा को स्टडी किया. इस स्टडी को करने के पीछे उनका मकसद ये जानना था कि लोग रोजाना कितने कप गर्म ड्रिंक्स (चाय-कॉफी) पीते हैं और उसका कैंसर से क्या रिश्ता है. स्टडी में पता चला कि जितने ज्यादा कप और जितनी ज्यादा गर्म ड्रिंक होगी, उतना ही खतरा ज्यादा होगा.
बहुत ज्यादा गर्म ड्रिंक्स पीकर खासकर 149°F (65°C) से ज्यादा गर्म ड्रिंक्स, ग्रासनली की बहुत ज्यादा नाजुक लेयर को जला सकते हैं. जब ऐसा बार-बार होता है, तो ये सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है, लगातार सूजन पैदा कर सकता है और टिशूज को कमजोर कर सकता है. समय के साथ, इन कमजोर टिशूज पर शराब और तंबाकू जैसे हानिकारक प्रोडक्ट्स का असर ज्यादा जल्दी होने लगता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यही लंबे समय तक होने वाला नुकसान ग्रासनली कैंसर का खतरा बढ़ा देता है.
एसोफैजियल कैंसर एक ऐसा कैंसर है, जो खाने की नली/फूड पाइप (ग्रासनली) में शुरू होता है. ये नली हमारे खाने को मुंह से पेट तक ले जाती है. इस कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण आमतौर पर देर से दिखाई देते हैं. खाना निगलने में परेशानी, अचानक वजन कम होना, सीने में दर्द या जलन, लगातार खांसी आना या आवाज भारी होना इसके कुछ आम लक्षण हैं. इस बीमारी से बचने की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि इसे कब पहचाना जाता है. अगर यह पहले स्टेज में पकड़ा जाए तो करीब 46% मरीज बच सकते हैं, लेकिन अगर ये चौथे स्टेज में पता चले तो बचने की संभावना केवल 5% रह जाती है.
लोग आमतौर पर कॉफी/चाय 48.8°C-68.33°C पर पीते हैं, जो ज्यादा सुरक्षित है.
आजतक हेल्थ डेस्क