जैसलमेर के भयावह बस अग्निकांड में 21 अक्टूबर तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दो लोग वेंटिलेटर पर हैं.
इसी बीच कुछ लोग इस घटना को 'ट्रैवेल जिहाद' बताते हुए 'दैनिक नवज्योति' नाम के एक अखबार की कटिंग को शेयर कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि जिस बस में आग लगी, उसका मालिक था तो मुस्लिम, लेकिन जैन ट्रैवेल्स के नाम से बस चलाता था. इस घटना को इस तरह पेश किया जा रहा है मानो इसमें सिर्फ हिंदुओं की ही जान गई हो.
अखबार की कटिंग में ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है, "जैसलमेर में हुए हादसे में जैन ट्रैवल्स की बस के मालिक तूराब अली और ड्राइवर शौकत गिरफ्तार".
एक एक्स यूजर ने इस खबर को शेयर करते हुए लिखा, "जैसलमेर में जो बस जली है बस कंपनी का नाम था जैन ट्रेवल्स, बस मालिक का नाम: तुराब अली उर्फ बरकत खान ड्राइवर का नाम: शौकत अली, भाई तुम लोग आई लव.... के नाम पर दंगे कर रहे हो और बस चलाते हो जैन ट्रेवल्स के नाम से? और उसके बाद बस में कोई सेफ्टी साधन नहीं रखते हो इमरजेंसी दरवाजा ब्लॉक करके वहां एक सीट लगा देते हो और 20 हिंदुओं को जिंदा जला देते हो?"
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि जैसलमेर में हुए बस हादसे में जान गंवाने वालों में कई मुस्लिम भी हैं. जिस बस में आग लगी थी, वो केके ट्रैवेल्स नाम कंपनी की थी, न कि जैन ट्रैवेल्स कंपनी की. हालांकि, ये बात सच है कि इसका मालिक तुराब अली नाम का व्यक्ति है. जैन ट्रैवेल्स एक दूसरी कंपनी है जिसका मालिक इस बस की बॉडी बनाने वाली कंपनी का भी मालिक है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
हमने 'दैनिक नवज्योति' की वेबसाइट पर मौजूद 14 अक्टूबर की इस घटना के 15 अक्टूबर के ईपेपर देखे. इन्हें देखकर समझ में आता है कि इस अखबार के स्क्रीनशॉट में सबसे ऊपर लिखी लाइन "जैसलमेर में हुए हादसे में जैन ट्रैवल्स की बस के मालिक तूराब अली और ड्राइवर शौकत गिरफ्तार" अलग से जोड़ी गई है. इसका फॉन्ट भी 'दैनिक नवज्योति' के फॉन्ट से मेल नहीं खाता. इस खबर में भी कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि ये बस जैन ट्रैवल्स की थी.
जैसलमेर पुलिस ने 16 अक्टूबर को अपने एक्स अकाउंट के जरिये इस बस अग्निकांड से संबंधित एक प्रेस रिलीज जारी की थी. रिलीज के मुताबिक, ये घटना केके ट्रैवेल्स की एसी स्लीपर बस में हुई थी. बस के मालिक का नाम तुराब अली और ड्राइवर का नाम शौकत खां है. इसमें ये भी बताया गया है कि इस बस की बॉडी बनाने वाली कंपनी के मालिक मनीष जैन की भूमिका को लेकर जांच चल रही है.
18 अक्टूबर की दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, इस मामले में मनीष जैन नाम के व्यक्ति को जोधपुर से गिरफ्तार किया गया है, जिनकी कंपनी 'जैनम कोच क्राफ्ट्स' ने इस बस की बॉडी बनाई थी. यही मनीष जैन, जैन ट्रैवेल्स कंपनी नाम की एक कंपनी भी चलाता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बस को बनाने के दौरान कई सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज किया गया. इस घटना के बाद परिवहन विभाग ने इस फैक्ट्री में बनी 66 बसों को सीज कर दिया है.
जाहिर है, जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई, वो केके ट्रैवेल्स नाम की कंपनी की थी, और इसका मालिक तुराब अली है. जैन ट्रैवेल्स के मालिक मनीष जैन हैं, जिनकी एक दूसरी कंपनी ने इस बस की बॉडी बनाई थी. इस हादसे के मृतकों में कई मुस्लिम भी हैं
दैनिक भास्कर की 18 अक्टूबर की रिपोर्ट में इस घटना के मृतकों के नाम, उनकी तस्वीरों सहित दिए गए हैं. इसमें 14 हिंदुओं के और 9 मुस्लिमों के नाम हैं.
हमने इस बारे में जैसलमेर के एसपी अभिषेक शिवहरे से बात की. उन्होंने आजतक को बताया कि इस घटना में मरने वालों में हिंदुओं के साथ ही मुस्लिमों की भी बड़ी संख्या है.
बस पर क्यों लिखा था 'जैन ट्रैवेल्स'?
इस घटना से संबंधित कुछ वीडियो रिपोर्ट्स में बस के पीछे 'jaintravels.com' लिखा हुआ देखा जा सकता है. हालांकि बस का ज्यादातर हिस्सा जल चुका है. हमने सोशल मीडिया पर मौजूद केके ट्रैवेल्स की बसों के कुछ वीडियो देखे, जिनमें बस के सामने वाले शीशे पर और साइड में 'केके ट्रैवेल्स' लिखा हुआ देखा जा सकता है.
खबरों के मुताबिक, इस बस में एसी अलग से लगाया गया था. बस से निकलने का एक ही दरवाजा था और वो भी शॉर्ट सर्किट होने पर लॉक हो गया था.
एसपी अभिषेक शिवहरे के मुताबिक, "इस बस पर 'जैन ट्रैवेल्स' इसलिए लिखा था क्योंकि इसकी बॉडी मनीष जैन नामक व्यक्ति की एक कंपनी ने बनाई थी, और मनीष, जैन ट्रैवेल्स के भी मालिक हैं."
साफ है, जैसलमेर में हुए हालिया बस हादसे की खबर को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है.
(इनपुट: विमल भाटिया)
ज्योति द्विवेदी