क्या है हलाल टूरिज्म, जो मुस्लिम सैलानियों को टारगेट करता है, अलग लिफ्ट से लेकर अलग बीच तक, क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं इसमें?

हलाल फूड के बारे में तो बहुतों ने सुना होगा, लेकिन अब टूरिज्म में भी हलाल इंडस्ट्री घुसपैठ कर चुकी. ये सैर-सपाटे का वो चलन है, जिसमें मुस्लिम लोगों को उनके महजब के हिसाब से सुविधाएं दी जाती हैं, चाहे वो प्राइवेसी बनाए रखने के लिए रूम में लिफ्ट का खुलना हो या फिर महिलाओं-पुरुषों के लिए अलग-अलग सी-बीच. हलाल वेकेशन्स के पैकेज भी मिलने लगे हैं.

Advertisement
हलाल टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है. सांकेतिक फोटो (Unsplash) हलाल टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

मुस्लिम फ्रेंडली ट्रैवल का बाजार लगातार बढ़ रहा है. अलग-अलग सर्वे इसके बारे में दावा करते हैं कि ये मुस्लिम देशों तक सीमित नहीं, बल्कि दूसरे देशों में बसे मुसलमान भी अब हलाल हॉलीडे चाहने लगे हैं. साल 2021 में अकेले तुर्की में इसका मार्केट 5.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था.

इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि पर्यटन की अलग इंडस्ट्री है, जो मुस्लिमों को सर्व करती है. ग्लोबल मुस्लिम ट्रैवल इंडेक्स (GMTI) के मुताबिक 2028 तक हलाल वेकेशन्स की नेट वर्थ 225 बिलियन डॉलर या उससे ज्यादा हो जाएगी. 

Advertisement

क्या है हलाल?

हलाल अरबी शब्द है, जिसका मतलब है जायज. ये केवल खाने के मामले में लागू नहीं होता, बल्कि दवाओं से लेकर कपड़ों-लत्तों पर भी और लाइफस्टाइल पर भी लागू होता है. जैसे शराब-सिगरेट न पीना और किसी भी तरह से इस्लामिक परंपराओं को चोट न पहुंचाना. हलाल हॉलीडे भी इसी का हिस्सा है. 

क्या है हलाल टूरिज्म?

इसकी शुरुआत डेस्टिनेशन यानी आप कहां जा रहे हैं, वहीं से हो जाती है. आमतौर पर मुस्लिम आबादी वाले देशों के टूरिस्ट स्पॉट इसमें शामिल होते हैं. लेकिन ये यहीं तक सीमित नहीं, अमेरिका, फ्रांस, नीदरलैंड और इटली में भी हलाल फ्रेंडली डेस्टिनेशन बनाए जा चुके. यानी दुनिया के लगभग सभी देश अपने यहां ऐसे स्पॉट्स बना चुके, जहां मुस्लिम सैलानी घूमने के लिए आएं तो किसी तरह की असुविधा न हो. ये स्पॉट्स इस तरह से बनाए जाते हैं, जो इस्लामिक मान्यताओं को चोट न पहुंचाएं. 

Advertisement

क्या-क्या है इसमें शामिल?

होटल या रिजॉर्ट जहां भी मुस्लिम ठहर रहे हों, वो मुस्लिम फ्रेंडली होना चाहिए. ये हलाल जीवनशैली को सपोर्ट करता हो, जैसे वहां हलाल फूड ही मिलता है. अल्कोहल नहीं परोसा जाता. साथ ही पुरुषों और स्त्रियों के लिए अलग-अलग स्विमिंग पूल होते हैं. यहां तक कि प्राइवेट बीच भी होते हैं ताकि धार्मिक सोच को भी चोट न पहुंचे, और टूरिस्ट छुट्टी का लुत्फ भी ले सकें. होटलों में प्रेयर रूम का भी इंतजाम होता है. 

हलाल के लिए हो रहे बदलाव

होटल इंडस्ट्रीज हलाल टूरिज्म के चलन के मुताबिक बदलाव भी कर रही हैं. बड़े होटल प्राइवेट पूल से लेकर प्राइवेट लिफ्ट तक लगवा रहे हैं. ये ऐसे होते हैं जो सीधे कमरे के सामने खुलें ताकि महिलाओं की अनजान पुरुषों से मुठभेड़ न हो. कई तरह की वेबसाइट्स हैं, जो हलाल बुकिंग्स में मुस्लिम सैलानियों की मदद करती हैं. इन वेबसाइट्स में ऑपशन होता है कि घूमने वाले लोग कितनी सुविधाएं या कितनी छूट चाहते हैं, उसी हिसाब से विकल्प सुझाया जाता है. 

ये देश हैं इसमें शामिल

हलाल इन ट्रैवल ग्लोबल समिट भी होने लगी है, जिसमें वे देश शामिल होते हैं, जिन्हें हलाल टूरिज्म से खासा फायदा हो रहा है. इसमें तुर्की, सऊदी अरब, इंडोनेशिया यूएई जैसे देश शामिल हैं. कई ऐसे देश भी हैं, जो ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन का हिस्सा नहीं, लेकिन तब भी वे सैलानियों के लिए हलाल-फ्रेंडली वेकेशन्स का इंतजाम कर रहे हैं. इनमें सिंगापुर, ताइवान, यूनाइटेड किंगडम और थाइलैंड हैं. पांचवे नंबर पर हांगकांग है, जहां मुस्लिम टूरिस्ट अपनी मान्यताओं के साथ छुट्टियां मना सकते हैं. 

Advertisement

क्या हो सकते हैं नुकसान?

हलाल टूरिज्म के लिए देश और टूरिज्म इंडस्ट्री दोनों तैयार हो रही है, लेकिन इसके अपने नुकसान भी हैं. मसलन, ये अलगाव को और बढ़ाने वाला साबित हो सकती है. या फिर ये भी हो सकता है कि जो शहर या रिजॉर्ट खुद को हलाल-फ्रेंडली घोषित कर दें, उनके यहां बाकी धर्मों को मानने वाले आने से हिचकने लगें. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इकनॉमिक बिहेवियर एंड ऑर्गेनाइजेशन ने इसे लेते हुए इंडोनेशिया के कुछ शहरों पर स्टडी की. इसके नतीजे इसी तरफ इशारा करते हैं. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement