दिल्ली का जंतर-मंतर पहलवानों का अखाड़ा बना हुआ है. इस अखाड़े में पहलवानों और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के बीच लड़ाई हो रही है. खिलाड़ियों ने बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. तो दूसरी ओर बृजभूषण सिंह ने इसके पीछे राजनीतिक साजिश की बात कही है.
बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहली बार पहलवान इसी साल जनवरी को धरने पर बैठे थे. धरने पर बैठे पहलवानों में विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया शामिल हैं.
पहलवान बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक्शन लेने की मांग पर अड़े हैं. खिलाड़ियों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कर ली है. इनमें से एक पॉक्सो एक्ट के तहत भी दर्ज हुई है. वहीं, बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है.
क्या है पूरा मामला?
- इस साल 18 जनवरी को जंतर-मंतर पर पहलवानों ने धरना शुरू किया. पहलवान रेसलिंग फेडरेशन और बृजभूषण सिंह पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे.
- उसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में विनेश फोगाट ने आरोप लगाया, 'महिला पहलवानों का यौन शोषण किया जाता है. मैं खुद महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के 10-20 मामलों को जानती हूं. जब हमें अदालत निर्देश देगी, हम सबूत देंगे. हम प्रधानमंत्री को भी सबूत देने को तैयार हैं. जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, हम धरने पर बैठे रहेंगे. किसी भी इवेंट में कोई एथलीट हिस्सा नहीं लेगा.'
- खेल मंत्रालय ने पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन करने का आश्वासन दिया. इसके बाद 21 जनवरी को पहलवानों ने धरना प्रदर्शन वापस ले लिया.
- तीन महीने बाद 23 अप्रैल को पहलवानों ने फिर से जंतर-मंतर पर धरना शुरू कर दिया. साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने अब तक बृजभूषण पर एफआईआर दर्ज नहीं की है, इसलिए उन्हें फिर से जंतर-मंतर लौटना पड़ा है. उन्होंने बृजभूषण पर नाबालिग समेत कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया.
- 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह पर दो एफआईआर दर्ज की. एक एफआईआर नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न से जुड़ी है. ये मामला पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है. वहीं, दूसरी एफआईआर वयस्क महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न को लेकर दर्ज हुई है.
बृजभूषण का क्या है कहना?
- हालांकि, बृजभूषण ने रविवार को आरोप लगाते हुए कहा कि ये पूरी साजिश कांग्रेस नेता दीपेंदर हुड्डा और बजरंग पुनिया ने रची है. ये साबित करने के लिए हमारे पास एक ऑडियो है जिसे समय आने पर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया जाएगा.
- उन्होंने आरोप लगाया कि खिलाड़ी अपने मन की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें राजनीतिक पार्टियों की ओर से सिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'अब ये लड़ाई खिलाड़ियों के हाथ में नहीं है. राजनीतिक पार्टियां इसमें घुस गईं हैं. ये सभी खिलाड़ी कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों के खिलौन बन गए गए हैं. उनका मकसद राजनीतिक है, न कि मेरा इस्तीफा.'
- उन्होंने ये भी कहा कि मेरे इस्तीफे बाद अगर वो (प्रदर्शनकारी पहलवान) अपने घर लौट जाते हैं तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं.
ट्रायल के नियमों में बदलाव तो नहीं प्रदर्शन की वजह?
- जनवरी में जब पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन शुरू किया था तो बृजभूषण सिंह ने दावा किया था कि ये सारी समस्या तब शुरू हुई, जब हमने पॉलिसी बदली और नए नियम बनाए.
- दरअसल, नवंबर 2021 में फेडरेशन ने नियमों में बदलाव किया था. इसमें तय हुआ कि ओलंपिक के लिए टीम को आखिरी रूप देने से पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को भी ट्रायल्स में भाग लेने के लिए कहा जा सकता है.
- होता ये है कि ओलंपिक से पहले कई सारी चैम्पियनशिप होती हैं. इसमें जीतने वाले खिलाड़ी को ओलंपिक का कोटा मिल जाता है. जो देश जितनी ज्यादा चैम्पियनशिप जीतेगा, उसके उतने ज्यादा खिलाड़ी ओलंपिक में जा सकते हैं.
- चूंकि, ये चैम्पियनशिप ओलंपिक से काफी समय पहले होतीं हैं, इसलिए रेसलिंग फेडरेशन ने तय किया था ओलंपिक के लिए फाइनल टीम भेजने से पहले सभी खिलाड़ियों को ट्रायल से गुजरना पड़ सकता है, फिर चाहे उसने खुद ओलंपिक कोटा क्यों न हासिल किया हो.
- इससे पहले तक ये होता था कि जो खिलाड़ी ओलंपिक कोटा हासिल कर लेता था, उसे टीम में जगह मिल जाती थी. लेकिन इन नियमों को बदल दिया गया. फेडरेशन ने इसके पीछे ये वजह बताई थी कि ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद कुछ खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं या फॉर्म में नहीं रहते और वो इस बात को छिपाकर ओलंपिक खेलने चले जाते हैं, जिससे मेडल की संभावनाएं कम हो जातीं हैं.
- इतना ही नहीं, अब ये नियम भी कर दिया गया है कि कोई भी राज्य नेशनल में एक से ज्यादा टीम नहीं भेज सकता. ओलंपिक में सबसे ज्यादा टीमें हरियाणा, रेलवे और सेना से भेजी जाती थीं.
इस पर खिलाड़ियों का क्या है कहना?
- बृजभूषण सिंह ने दावा किया था कि किसी भी खिलाड़ी ने ओलंपिक के बाद नेशनल नहीं खेला. ट्रायल के बाद भी फेवर चाहते हैं. ये चाहते हैं कि इनकी एक कुश्ती हो जाए. किसी विशेष के लिए नियम नहीं होगा.
- उन्होंने दावा किया था, 'सारी समस्या तब शुरू होती है, जब हम कुछ नियम बनाते हैं और नीति में बदलाव करते हैं. कुछ खिलाड़ी नेशनल गेम्स नहीं खेलना चाहते. ट्रायल नहीं देना चाहते. हम चाहते हैं कि सभी खिलाड़ी ट्रायल दें और नेशनल गेम्स में हिस्सा लें.' उन्होंने कहा कि कोई शिकायत है तो लिखित में देना चाहिए.
- हालांकि, इन सारे आरोपों को पहलवानों ने खारिज किया है. विनेश फोगाट ने रविवार को कहा, 'बृजभूषण सिंह कहते हैं कि हम नेशनल नहीं खेलना चाहते हैं. मैं 2006 से रेसलिंग में हूं. चार बार नेशनल नहीं खेला है. पहली बार क्योंकि बीमार थी. दूसरी बार कोविड के कारण. तीसरी बार इसलिए क्योंकि टोक्यो ओलंपिक हार गई थी और मेंटल हेल्थ ठीक नहीं थी. और चौथी बार इसलिए क्योंकि वर्ल्ड चैम्पियनशिप के ट्रायल थे.'
- विनेश फोगाट ने कहा, 'मैं कोई चैम्पियन नहीं हूं. मुझसे भी बेहतर खिलाड़ी हैं. सबको ट्रायल देना चाहिए और ओलंपिक जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि ये सारी लड़ाई देश के लिए लिए है.
हरियाणा से क्या है कनेक्शन?
- जिस समय रेसलिंग फेडरेशन ने नियमों में बदलाव किया, उस समय भी इसे हरियाणा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया था. इसकी दो वजह थी. पहली ये कि पहलवानी में ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा के हैं और वो ओलंपिक कोटा हासिल कर लेते हैं. दूसरी- राष्ट्रीय स्तर पर भी हरियाणा, रेलवे और सेना की ओर से ज्यादा टीमें भेजी जातीं हैं.
- रेसलिंग फेडरेशन का मकसद पहलवानी में कमजोर राज्यों को भी मौका देना था. फेडरेशन का मानना था कि हरियाणा की टीम हर वर्ग में 6 पहलवानों को उतारती है जो दूसरे राज्यों के लिए नाइंसाफी है.
- उस वक्त फेडरेशन के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया था, 'हरियाणा की A और B टीम में एक-एक पहलवान होते हैं. रेलवे और सेना की टीम में भी ज्यादातर पहलवान हरियाणा से ही होते हैं. इस तरह से हर वर्ग में हरियाणा के 6 पहलवान होते हैं और मेडल जीतने की संभावना ज्यादा होती है, जो बाकी राज्यों के लिए सही नहीं है.'
- अधिकारी का कहना था कि हम इसे ठीक करना चाहते हैं. केरल, तमिलनाडु, ओडिशा और बाकी राज्यों के खिलाड़ी भी नेशनल में मेडल जीतें, ताकि दूसरे राज्यों में भी कुश्ती पॉपुलर हो.
- उस समय हरियाणा रेसलिंग फेडरेशन के महासचिव राजकुमार हुड्डा ने कहा था कि ये हरियाणा के साथ नाइंसाफी है. इससे न सिर्फ हरियाणा, बल्कि देश की कुश्ती को भी नुकसान होगा. सभी सात ओलंपियन हरियाणा से आए थे और उसके बावजूद हमें टारगेट किया जा रहा है.
ओलंपिक में हरियाणा का प्रदर्शन
- देश की आबादी में हरियाणा की हिस्सेदारी सिर्फ 2% है. टोक्यो ओलंपिक में भारत से 127 खिलाड़ी गए थे, उनमें से 30 हरियाणा से थे. पहलवानी में ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा के ही हैं.
- टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड मेडल जीता था. 121 साल में ये भारत का पहला गोल्ड मेडल था. ये गोल्ड मेडल नीरज चोपड़ा ने जिताया था, जो हरियाणा के पानीपत से आते हैं.
- टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड समेत 7 मेडल जीते थे. इनमें से 6 व्यक्तिगत मेडल थे, जिनमें से तीन हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते थे. इतना ही नहीं, पुरुष हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली टीम में भी हरियाणा के दो खिलाड़ी थे.
- साल 2000 से लेकर अब तक 6 ओलंपिक हो चुके हैं. इन ओलंपिक में भारत ने 20 मेडल जीते हैं, जिनमें से 11 अकेले हरियाणा से आए हैं.
अब आगे क्या?
- बृजभूषण पर एफआईआर होने के बाद भी खिलाड़ी अपना धरना खत्म करने के मूड में नहीं हैं. बृजभूषण का कहना है कि अगर वो इस्तीफा दे देते हैं तो इसका मतलब है अपने ऊपर लगे आरोपों को मान रहे हैं.
- वहीं खिलाड़ियों का कहना है कि उनके आरोपों की जांच के लिए जो ओवरसाइट कमेटी बनी थी, उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए.
- इसके अलावा पहलवानों का ये भी कहना है कि जब तक बृजभूषण को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक उनका प्रदर्शन खत्म नहीं होगा.
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