डर फैलाने के लिए ट्रंप सरकार ने रची 'नरभक्षी' अवैध प्रवासियों की थ्योरी, या फिर सच्चाई भी, कब इंसान बन सकता है कैनिबल?

अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की कड़ी में अमेरिकी राजनेता सनसनीखेज बयान दे रहे हैं. हाल में एक डिटेंशन सेंटर के दौरे पर गई होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने दावा किया कि डिपोर्टेशन के वक्त एक इमिग्रेंट ने फ्लाइट में खुद को ही खाना शुरू कर दिया. इससे पहले भी अवैध तरीके से आए लोगों पर नरभक्षण का आरोप लग चुका.

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डोनाल्ड ट्रंप सरकार डिपोर्टेशन पर लगातार काम कर रही है. (Photo- AP) डोनाल्ड ट्रंप सरकार डिपोर्टेशन पर लगातार काम कर रही है. (Photo- AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

डोनाल्ड ट्रंप का वादा है कि वे अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करेंगे ताकि देश अवैध प्रवासियों से खाली हो जाए. इसके लिए सारे जतन हो भी रहे हैं. कभी मगरमच्छों से घिरे दलदल के बीच डिटेंशन सेंटर बन रहे हैं, तो भी छवि बिगाड़ने के लिए इमिग्रेंट्स पर अपराधी और यहां तक कि नरभक्षी होने के आरोप तक लगाए जा रहे हैं. लेकिन क्या ये बात डिपोर्टेशन को सही बताने के लिए कही गई, या इसमें कोई दम भी हो सकता है?

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कब की है घटना और किसने, क्या कहा

फ्लोरिडा में एक नया डिटेंशन सेंटर तैयार हो चुका है. एलिगेटर अलकाट्राज के बारे में कहा जा रहा है कि ये खतरनाक दलदली जमीन के बीचोंबीच बना है, जिसके चारों ओर मगर और सांप हैं. यानी यह डिपोर्टीज को रोकने के लिए कुदरती प्रोटेक्शन बनेगा, जहां से कोई भाग न सके.

इसके दौरे पर ट्रंप समेत होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम भी पहुंची. वहीं उन्होंने दावा कि अवैध प्रवासियों को लौटाने के दौरान एक शख्स अपना ही मांस नोंचकर खाने लगा. वो इतना जख्मी हो गया कि उसे बीच में ही उतारकर इलाज देना पड़ा.

पहले भी दिए जा चुके ऐसे बयान

पिछले साल ट्रंप ने भी अवैध इमिग्रेंट्स को मानसिक तौर पर अस्थिर कैनिबल्स की तरह दिखाया था. उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी हैती समुदाय पर पालतू कुत्ते-बिल्लियों को चुराकर खाने का आरोप लगा चुके. 

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नरभक्षी होने जैसी बात का सहारा लेते हुए ट्रंप प्रशासन कह रहा है कि अवैध लोगों को अमेरिका से तुरंत वापस भेजना ही ठीक है. इसके लिए बिग ब्यूटीफुल बिल में अच्छा-खासा अमांउट रखा गया जो लोगों को वापस भेजने की योजना पर खर्च होगा. तो क्या ट्रंप सरकार का कैनिबल्स का आरोप केवल अपने मकसद को पूरा करने के लिए है, या फिर इसमें कोई सच्चाई भी है? क्या अब भी दुनिया में कोई कम्युनिटी है, जो इंसानों को मारकर खा सकती है?

अमेरिका में होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने पीसी के दौरान अवैध प्रवासियों को घेरा. 

शुरुआत करते हैं हैं ट्रंप और उनके साथियों के आरोपों से

जब वे ऐसी कोई बात कहते हैं तो असल में माहौल बना रहे होते हैं कि आम अमेरिकी भी संवेदना छोड़कर इस मामले में सरकार के साथ आ जाए. वे बाहर से आने वालों को ऐसा नॉन-कोऑपरेशन दें कि रहना मुश्किल हो जाए. कम के कम नोएम या बाकी राजनेताओं के बयान बिना किसी सबूत के हैं.

नोएम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि एक प्रवासी ने फ्लाइट में खुद को खाना शुरू कर दिया. यहां तक कि मेडिकल इमरजेंसी के चलते उसे मिड-एयर ही वापस लौटाना पड़ा. इतना कुछ हो गया लेकिन इसकी कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं. न ही किसी एजेंसी ने इसकी पुष्टि की. बस सनसनखेज बयान देते हुए अवैध प्रवासियों को असभ्य और खतरनाक बता दिया गया. 

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ये कोई नई बात नहीं. ट्रंप पहले भी कई बार प्रवासियों को रेपिस्ट, गैंगस्टर और अब कैनिबल कह चुके. एक कल्पना रच दी गई कि अमेरिका जंगलों के बीच कोई किला है, जिसके दरवाजे-खिड़कियां खोलते ही जंगली जानवर भीतर चले आएंगे. ये एक राजनीतिक हथियार है. डर फैलाने पर लोग असुरक्षित महसूस करते हैं और किसी न किसी ऐसे नेता का आसरा लेते हैं जो उन्हें उस डर से बचाने का वादा कर रहा हो. 

US में अवैध प्रवासियों पर सख्ती बढ़ती जा रही है. 

लेकिन क्या केनिबल्स वाकई नहीं होते!

कैनिबल यानी नरभक्षी, जो मानव मांस खाते हैं. क्या ये अब भी होते हैं! इसका जवाब थोड़ा उलझा हुआ है. अब भी कुछ आदिवासी समुदाय ऐसे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कभी-कभी कैनिबलिज्म को बुरा नहीं मानते. इतिहास में कई जनजातियां ऐसी रही हैं जो रिचुअल कैनिबलिज्म करती थीं. मतलब किसी धार्मिक या कल्चरल वजह से इंसानों का मांस खाया जाता था.

कांगो और उगांडा में कुछ लड़ाका गुटों पर ऐसे आरोप लगे थे. खासकर लॉर्ड्स रेजिस्टेंस आर्मी और कांगो के कुछ मिलिशिया समूहों पर. एलआरए, जिसका नेता जोसेफ कोनी था, उसके बारे में लगातार कहा गया कि वो दुश्मनों को मारकर खा जाया करता था और अपने सैनिकों को भी यही ट्रेनिंग देता. यूनाइटेड नेशन्स और ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट्स में इन आरोपों की बात की थी. यहां तक कि कम उम्र के मिलिटेंट्स को भी केनिबल बना दिया जाता था ताकि वे समूह छोड़कर भाग न सकें. 

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इन आरोपों को पक्का करना मुश्किल है. लेकिन इसपर कई इंटरनेशनल रिपोर्ट्स और चश्मदीदों की टेस्टिमोनी मिलती है. फ्रांस के एक शख्स निकोलस क्लॉक्स ने दावा किया था कि वो इंसानी मांस खाता है. मॉरच्युरी में काम करने वाले निकोलस की लाशों तक सीधी पहुंच थी. नब्बे के दशक में वो लाशों के साथ क्रूरता करने लगा. पता लगने पर उसे जेल भी हुई. लेकिन छूटने के बाद भी वो इस बारे में बात करता रहा. 

क्या कहता है साइंस

वैसे आपराधिक सोच का शख्स भी आसानी से कैनिबलिज्म की तरफ नहीं आ सकता बल्कि इसकी वजह भूख या गुस्सा नहीं, बल्कि कई न्यूरोकेमिकल बदलाव हो सकते हैं. जैसे सेरोटोनिन का स्तर बहुत कम हो जाए या कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन का लेवल काफी ज्यादा हो जाए. गंभीर पर्सनैलिटी डिसऑर्डर होने पर भी कई बार कैनिबलिज्म की प्रवृत्ति आ सकती है. लेकिन ये भी रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामलों में ही होता है. 

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