Nuclear War: न लोग बचेंगे, न फसल उगेगी, बर्फ की तरह जम जाएगी धरती... परमाणु हमले का कितना इम्पैक्ट होता है?

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों को रूस के खिलाफ इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. इसके बाद पुतिन ने नई परमाणु नीति को मंजूरी दी है. अब रूस चाहे तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. इससे जंग में अब परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में जानते हैं कि अगर परमाणु हमला हुआ तो क्या होगा?

Advertisement
दुनिया पर न्यूक्लियर अटैक का खतरा बढ़ गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर-Meta AI) दुनिया पर न्यूक्लियर अटैक का खतरा बढ़ गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर-Meta AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:44 PM IST

दुनिया पर एक बार फिर परमाणु हमले का खतरा मंडराने लगा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी नई नीति को मंजूरी दे दी है. अब अगर कोई देश किसी परमाणु संपन्न देश के साथ मिलकर हमला करता है तो इसे साझा हमला माना जाएगा और ऐसी स्थिति में रूस परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है.

Advertisement

पुतिन ने ये फैसला तब लिया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका की मिसाइलों और हथियारों को रूस के खिलाफ इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. बाइडेन से मंजूरी मिलने के बाद यूक्रेन ने रूस पर अमेरिकी मिसाइलों से हमला भी कर दिया.

बाइडेन के इस फैसले से रूस भड़क गया है. रूस ने इसे उकसाने वाला कदम बताया है. रूस ने कहा कि अगर पश्चिमी हथियार रूस के अंदर तक दागे गए, तो यूक्रेन को नहीं, बल्कि उन देशों को निशाना बनाया जाएगा, जिन्होंने इसकी इजाजत दी है. रूसी सांसद व्लादिमीर दजाबरोव ने इसे तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ाया गया कदम बताया है.

इससे पहले पिछले साल ही पुतिन ने उस अंतर्राष्ट्रीय संधि से बाहर निकलने का फैसला लिया था, जो किसी देश को न्यूक्लियर टेस्ट करने से रोकती थी. वैसे तो जब से यूक्रेन जंग शुरू हुई है, तब से कई बार बात न्यूक्लियर अटैक तक आ चुकी है. पुतिन से लेकर उनके मंत्री तक कई बार परमाणु हमले की धमकी दे चुके हैं. लेकिन अब नई नीति को मंजूरी मिलने के बाद न सिर्फ परमाणु हमले का खतरा बढ़ा है, बल्कि तीसरे विश्व युद्ध का खतरा भी बढ़ गया है. 

Advertisement

नई परमाणु नीति का मतलब है कि अगर अमेरिका या कोई भी NATO देश की मिसाइल से हमला होता है तो रूस उसका जवाब परमाणु हथियार से दे सकता है. हालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का कहना है कि रूस न्यूक्लियर वॉर न शुरू करने की हर मुमकीन कोशिश करेगा.

कब न्यूक्लियर अटैक कर सकता है रूस?

1. किसी परमाणु संपन्न देश की मदद से रूस की जमीन पर मिसाइल अटैक होता है तो रूस परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है.
2. कोई देश अगर ड्रोन से भी रूस पर हमला करता है तो इसका जवाब परमाणु हथियार से दिया जा सकता है.
3. अगर रूस के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल भी होता है तो जवाब में परमाणु हमला किया जा सकता है.
4. अगर कोई हवाई हमला होता है तो इसे रूस के खिलाफ जंग माना जाएगा और ऐसी स्थिति में परमाणु हमला कर सकता है.
5. अगर रूस को लगता है कि देश और उसके लोगों को खतरा है तो वो सुरक्षा में एटमी मिसाइल और मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात कर सकता है.

क्या पुतिन ऐसा कर सकते हैं?

रूस और यूक्रेन की जंग जब से शुरू हुई है, तब से ही परमाणु हमले का खतरा बढ़ गया है. 22 फरवरी 2022 को जब पुतिन ने जंग का ऐलान किया था, तब उन्होंने कहा था, 'अगर इस लड़ाई में कोई भी बाहरी आता है तो उसका वो अंजाम होगा जो कभी इतिहास में भी नहीं देखा होगा.' इसे परमाणु हमले की धमकी से जोड़कर देखा गया था.

Advertisement

इतना ही नहीं, पुतिन ने एक बार चेताते हुए कहा था कि रूस अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकेगा. इस पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स ने कहा था कि पुतिन की धमकियों को गंभीरता से लेना होगा, क्योंकि इससे सबकुछ दांव पर लगा है.

अब जब पुतिन ने नई परमाणु नीति को मंजूरी दे दी है तो इससे NATO देशों में हलचल बढ़ गई है. नॉर्वे ने अपने नागरिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है. स्वीडन ने भी अपने नागरिकों के लिए युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए गाइडलाइन से जुड़ी एक बुकलेट जारी की है. साथ ही परमाणु युद्ध के दौरान निकलने वाली रेडिएशन से बचने के लिए आयोडिन की गोलियां रखने की सलाह भी दी है. फिनलैंड ने भी युद्ध की स्थिति में बिजली कटौती से बचने के लिए पावर बैकअप रखने को कहा है.

(Meta AI)

अगर परमाणु युद्ध हुआ तो...?

अगर परमाणु युद्ध होता है तो वो होगा, जिसके बारे में हम अभी सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं. जापान परमाणु हमला झेल चुका है और उन हमलों में जो लोग बच गए थे, वो आज भी उस दिन को याद कर सहम उठते हैं. परमाणु युद्ध कुछ और नहीं बल्कि तबाही लेकर आएगा.

Advertisement

स्विट्जरलैंड की एक संस्था है इंटरनेशनल कैंपेन टू अबॉलिश न्यूक्लियर वेपन (ICAN). इस संस्था को 2017 में नोबेल पीस प्राइज भी मिल चुका है. ICAN के मुताबिक, एक परमाणु बम झटके में लाखों लोगों की जान ले लेगा. वहीं, अगर 10 या सैकड़ों बम गिर गए तो न सिर्फ लाखों-करोड़ों मौतें होंगी, बल्कि धरती का पूरा क्लाइमेट सिस्टम ही बिगड़ जाएगा.

ICAN के मुताबिक, एक परमाणु बम पूरा शहर तबाह कर देगा. अगर आज के समय में कई सारे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो इसमें करोड़ों लोग मारे जाएंगे. वहीं, अगर अमेरिका और रूस के बीच बड़ा परमाणु युद्ध छिड़ गया तो मरने वालों की संख्या 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी.

मुंबई, जहां हर एक किलोमीटर दायरे में 1 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, अगर वहां हिरोशिमा जैसा परमाणु बम गिर जाता है तो एक हफ्ते में 8.70 लाख से ज्यादा मौतें हो जाएंगी. अगर अमेरिका और रूस के बीच परमाणु युद्ध में 500 परमाणु बम का इस्तेमाल हो जाता है तो आधे घंटे के अंदर 10 करोड़ से ज्यादा की मौत हो जाएगी.

इतना ही नहीं, किसी युद्ध में अगर दुनिया में मौजूद 1% से भी कम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो इससे 2 अरब लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे. साथ ही पूरा हेल्थ सिस्टम भी तबाह हो जाएगा, जिससे घायलों को इलाज भी नहीं मिल सकेगा. 

Advertisement

पूरा धरती का सिस्टम बिगड़ जाएगा

जो परमाणु बम हिरोशिमा में गिरा था, अगर उसी साइज के 100 बम गिर जाते हैं तो धरती का पूरा सिस्टम ही बिगड़ जाएगा. ऐसा हमला होने पर क्लाइमेट सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होगा और खेती पर भी असर होगा.

अभी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही है लेकिन परमाणु युद्ध होने पर धरती का तापमान तेजी से कम होने लगेगा. वो इसलिए क्योंकि इन हमलों से इतना धुआं निकलेगा जो धरती की सतह पर जम जाएगा. अनुमान है कि ऐसा होने पर कम से कम 10% जगहों पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचेगी.

वहीं, अगर दुनियाभर के सारे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो इससे 150 मिलियन टन धुंआ धरती के स्ट्रेटोस्फेयर में जम जाएगा. स्ट्रेटोस्फेयर धरती की बाहरी सतह है जो ओजोन लेयर से ऊपर होती है. 

इतना ही नहीं, दुनियाभर के ज्यादातर इलाकों में बारिश भी नहीं होगी. ग्लोबल रेनफॉल में 45% की कमी आ जाएगी और इससे धरती की सतह का औसत तापमान -7 से -8 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाएगा. इसकी तुलना करें तो 18 हजार साल पहले जब हिम युग (Ice Age) था, तब तापमान -5 डिग्री सेल्सियस था. यानी, दुनिया 18 हजार साल पीछे चली जाएगी.

(Meta AI)

हिरोशिमा-नागासाकी में हमला हुआ, तब क्या हुआ था?

Advertisement

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान घुटने टेकने को तैयार नहीं था, तब जाकर अमेरिका ने उसके दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिया था. 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर बम गिरा था.

हिरोशिमा पर गिरे बम से 1945 के आखिर तक ही 1.40 लाख लोगों की मौत हो गई थी. नागासाकी पर जो बम गिरा था, उसकी रेडिएशन पहाड़ों की वजह से 6.7 किमी तक ही फैली थी. इससे भी 1945 के आखिर तक 74 हजार लोग मारे गए थे. हमले के बाद जमीन की सतह का तापमान 4,000 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था.

परमाणु बम जब गिरता है तो उसे तबाही मचाने में सिर्फ 10 सेकंड लगता है, लेकिन उसका असर दशकों तक रहता है. बम गिरने के सालों बाद भी लोगों को ल्यूकैमिया, कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे थे. इतना ही नहीं, सैकड़ों-हजारों की आंखों की रोशनी चली गई थी.

दुनिया में कितने परमाणु हथियार?

ICAN के मुताबिक, दुनियाभर के नौ देशों के पास लगभग 12 हजार से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. इनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, यूके, पाकिस्तान, भारत, इजरायल और उत्तर कोरिया हैं.

सबसे ज्यादा 5,889 परमाणु हथियार रूस के पास हैं. दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसके पास 5,224 हथियार हैं. अमेरिका ने अपने परमाणु हथियार इटली, तुर्किए, बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड्स में भी तैनात कर रखे हैं.

Advertisement

इनके अलावा चीन के पास 410 परमाणु हथियार हैं. फ्रांस के पास 290, यूके के पास 225, पाकिस्तान के पास 170, भारत के पास 164, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 30 हथियार हैं. हालांकि, इजरायल चाहे तो अभी 200 परमाणु हथियार और बना सकता है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement