पंजाबी युवाओं के ड्रीम अमेरिका पर डोनाल्ड ट्रंप की वजह से पानी फिर गया. कनाडा और भारत के बीच तनाव का असर ड्रीम कनाडा पर भी पड़ा. लेकिन जाने का इरादा इसके बाद भी नहीं डिगा. विदेश जाकर काम करने और बसने के इसी सपने का फायदा उठा रहा है एक नेटवर्क. ये लोगों को नए रास्ते से अमेरिका ले जाने के बहाने फॉरेन लैंड में ले जाकर वहीं कैद कर लेता है और फिर परिवार से भारी कीमत वसूलता है.
पसंदीदा देशों के साथ क्या समस्या हुई
अमेरिका में ट्रंप का दूसरा कार्यकाल मास डिपोर्टेशन के लिए भी जाना जा रहा है. उन्होंने आते ही कई देशों के अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करना शुरू कर दिया. इसमें पहली खेप पंजाब के लोगों की ही लौटाई गई. साथ ही ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि वे आने वाले समय में घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर कर देंगे. दूसरा हमला ये हुआ कि वहां वीजा प्रोसेस और सख्त कर दी गई.
कनाडा में भी कमोबेश यही हाल है. दो साल पहले ही वहां परमानेंट रेजिडेंसी पाना काफी आसान था. यहां तक कि विजिट वीजा को रिन्यू करवाते हुए भी वहां लोग लंबे समय तक टिके रह जाते थे. अब यहां भी कड़ाई हो चुकी. वोट बैंक के लिए पंजाबियों को सपोर्ट करने के आरोपों के बीच ट्रूडो सरकार भी सत्ता से हट चुकी. स्थानीय कनाडियन्स नाराज हैं कि भारतीय प्रवासी उनके संसाधन हथिया रहे हैं. उन्हें खुश रखने के लिए मौजूदा सरकार प्रवासियों पर कड़ाई करने लगी.
कम स्किल्ड युवा डंकी रूट के सहारे
तो फिलहाल ये माजरा है कि अमेरिका और कनाडा दोनों के ही कपाट लगभग बंद हैं. ऐसे में रास्ता बचता है डंकी रूट का. छिप-छिपाकर मंजिल तक पहुंचने के इस रूट पर भी पेट्रोलिंग बढ़ चुकी. तब नया तरीका अपनाया गया. एजेंट वादा करने लगे कि वे नए रास्तों से लोगों को अमेरिका की सीमा पार करा देंगे. लेकिन यहां एक पेंच है. ये एजेंट एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो लोगों का अपहरण करके फिरौती लेने का काम करता है.
इस तरह के दिख रहे मामले
हाल-हाल में पंजाब में ऐसे कई मामले दिखे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह का एक केस पंजाब के नवांशहर जिले से आया, जहां एक परिवार को लगभग 30 लाख रुपयों में कनाडा भेजने का वादा किया गया था, लेकिन जैसे ही वे तेहरान पहुंचे, उनका अपहरण कर लिया गया. कई दिनों तक उन्हें मारा-पीटा गया और धमकाया गया. आखिरकार फिरौती देने पर ही वे छूट सके. रिहा होने के बाद पीड़ितों को तेहरान एयरपोर्ट पर ही छोड़ दिया गया, जहां से वे मुश्किल से घर लौट सके.
एक और मामले में तीन युवकों से ऑस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर 50 लाख से ज्यादा वसूले गए और बाद में तेहरान में उन्हें अगवा कर फिर से भारी रकम की मांग की गई.
गुजरात भी इससे बचा हुआ नहीं. वहां मनसा तालुका के रहने वाले चार लोगों को कथित तौर पर तेहरान में बंदी बनाकर रखा गया था, जो घर से ऑस्ट्रेलिया जाने के इरादे से निकले थे. थर्ड कंट्री रूट लेते हुए एजेंट्स ने उन्हें ईरान में उतारा और कथित तौर पर वहीं कैद कर लिया. यह भी हो सकता है कि वे कई ट्रांजिट रूट्स से होते हुए अमेरिका जाना चाह रहे हों. फिलहाल इस मामले की जांच जारी है.
कैसे काम करता है नेटवर्क
अक्सर एजेंट सीधे या किसी बिचौलिए के ज़रिए लोगों से संपर्क करते हैं. ज्यादातर काम सोशल मीडिया पर होता है. वे उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि उनके पास विदेश जाने का बहुत आसान रास्ता है. एजेंट कहते हैं कि फ्लाइट टिकट, वीज़ा और वर्क परमिट जैसी सारी चीजें वे खुद करवा देंगे, बस कुछ एडवांस देना होगा.
कई बार एजेंट यह भी वादा करते हैं कि पूरी रकम विदेश पहुंचने के बाद ही देनी होगी. जब लोग तैयार हो जाते हैं और थोड़ा पैसा दे देते हैं, तो उन्हें किसी तीसरे देश, जैसे ईरान, भेज दिया जाता है. वहां से आगे उन्हें उनके ड्रीम डेस्टिनेशन तक पहुंचाने का झांसा दिया जाता है.
तेहरान में क्या होता है
अक्सर बताया जाता है कि उनकी आगे की फ्लाइट किसी वजह से टल गई है. फिर उन्हें स्थानीय एजेंट या खुद को इमिग्रेंट्स की मदद करने वाला बताने वाले अपराधी दूर-दराज के इलाकों में ले जाते हैं. वहां ले जाते हुए लोग आमतौर पर अलग-थलग कर दिए जाते हैं. इस बीच उनका फोन, पासपोर्ट और बाकी सामान छीन लिए जाते हैं.
सुनसान इलाकों में उन्हें बंधक बना लिया जाता है. हफ्तों तक खराब हाल में रखा जाता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तेहरान पहुंचने के बाद जिन लोगों का अपहरण किया जाता है, उनके पीछे अक्सर भारत और पाकिस्तान के अपराधी गिरोह होते हैं. ये अपहरणकर्ता भारी फिरौती की मांग करते हैं, जो एक से दो करोड़ रुपये तक हो सकती है.
पीड़ितों के परिवारों को उनके अपनों की पिटाई और हर तरह के टॉर्चर के वीडियो भेजे जाते हैं. कई परिवार अपनी जमीनें-जेवरात बेच देते हैं, कर्ज लेते हैं और किसी तरह से यह रकम जुटाते हैं. हालांकि यह साफ नहीं हो सका कि थर्ड कंट्री के लिए ईरान को क्यों चुना जा रहा है, या फिर क्या यहां भी एजेंट्स की आपसी साठगांठ है.
aajtak.in