5 साल पहले भारत से तोड़ा था व्यापारिक रिश्ता, क्यों दोबारा इसे जोड़ने को उतावला हुआ पाकिस्तान?

पाकिस्तान भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते फिर जोड़ने को तैयार दिख रहा है. हाल में वहां के विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार ने ऐसा इशारा दिया. इस देश ने साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने का विरोध जताते हुए भारत से अपने व्यापारिक संबंध तोड़ दिए थे. इन पांच सालों में ऐसा क्या हुआ, जो वो दोबारा ट्रेड बहाली चाहता है?

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पाकिस्तान भारत से व्यापार बहाली के संकेत दे रहा है. (Photo- AFP) पाकिस्तान भारत से व्यापार बहाली के संकेत दे रहा है. (Photo- AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

इकनॉमिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान इससे उबरने की हर कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में उसके फॉरेन मिनिस्टर इशाक डार ने ऐसी ही कुछ बात कही. डार के मुताबिक, उनकी सरकार भारत से दोबारा बिजनेस बहाल करने पर सोच रही है. शनिवार को लंदन में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डार ने ये बातें कहीं. जानिए, भारत के साथ पाकिस्तान का द्विपक्षीय ट्रेड क्यों रुका? हम उन्हें कौन से प्रोडक्ट दिया और लिया करते थे? क्या अब भी थोड़ा-बहुत व्यापार हो रहा है, अगर हां तो इसका रूट क्या है?

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धारा 370 हटाने पर उखड़ा पाकिस्तान

अगस्त 2019 में भारत की केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया. ये भारतीय संविधान का एक प्रावधान था, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था. धारा हटाते हुए सेंटर ने तर्क दिया कि इससे यह राज्य पूरे देश से जुड़ सकेगा. ऐसा हुआ भी. इसी बात पर पाकिस्तान परेशान हो उठा, और बौखलाकर भारत से अपने व्यापारिक रिश्ते निरस्त कर दिए. 

तह में कोई और कारण!

दूसरी ओर ये बात भी हो रही थी कि ट्रेड सस्पेंशन की बड़ी वजह कुछ और ही थी. असल में उसी साल भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का स्टेटस ले लिया और पाकिस्तानी इंपोर्ट पर टैरिफ 200 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था. भारत ने यह कदम पुलवामा हमले के बाद लिया था, जिसे पाकिस्तानी टैरर गुट जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था. हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. अटैक के चौबीस घंटों के भीतर ही पाकिस्तान का MFN दर्जा हटा दिया गया. 

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क्यों मोस्ट फेवर्ड का स्टेटस छीन भी लेते हैं देश 

यहां बता दें कि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन का टैरिफ एंड ट्रेड एग्रीमेंट 1994 कहता है कि सारे सदस्य देश एक-दूसरे को MFN दर्जा दें, खासकर पड़ोसी देश ताकि फ्री टेड आसान हो सके. हालांकि ये कोई पक्का नियम नहीं. यही वजह है कि रिश्ते खराब होने पर देश सबसे पहले आपस में यही स्टेटस खत्म करते हैं ताकि नाराजगी का आर्थिक असर भी दिखे. 

पाकिस्तान ने बैन कर रखे थे 12 सौ से ज्यादा भारतीय उत्पाद

भारत और पाकिस्तान साल 1996 से ही एक-दूसरे को मोस्ट-फेवर्ड नेशन मानते आए. इसके बाद भी पाकिस्तान ने लंबी लिस्ट बनाई, जिसमें वो आइटम थे, जो भारत से आयात नहीं किए जा सकते. ये उत्पाद एक-दो नहीं, बल्कि 12 सौ भी ज्यादा थे. उसका कहना था कि वो ये बैन अपने घरेलू उद्योगों को चलाए रखने के लिए लगाए हुए है. हालांकि पहले वो 2 हजार से भी ज्यादा उत्पादों को आयात की मंजूरी दे चुका था. निगेटिव-लिस्टिंग के बाद केवल 138 उत्पाद ही रहे, जो वो भारत से आयात कर रहा था. 

किन चीजों का चलता था लेनदेन

वो हमसे कपास, ऑर्गेनिक केमिकल, प्लास्टिक,  न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर्स, मशीनरी और मैकेनिकल डिवाइस जैसी चीजें इंपोर्ट करता था. हम भी पाकिस्तान से कई चीजें आयात करते रहे, जैसे- फल और सूखे मेवे, नमक, सल्फर, पत्थर, कई तरह की धातुएं और चमड़ा आदि. ट्रेड सस्पेंड करने के बाद भी पाकिस्तान हालांकि दवाएं मंगाता रहा क्योंकि उसके तुरंत बाद ही कोविड 19 का दौर आ गया था. भारत ने तब उसकी खासी मदद की थी. 

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किन रास्तों से व्यापार

बंद होने के बावजूद भारत-पाकिस्तान के बीच लेनदेन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सरकारी हवाले से कहा गया है कि थोड़ा-बहुत व्यापार वाघा-अटारी बॉर्डर के रास्ते हो रहा था, साथ ही कराची बंदरगाह के जरिए भी लेनदेन चलता रहा. लेकिन ये पहले से बहुत कम, लगभग नहीं जितना हो चुका था. 

अब क्यों बदला पाकिस्तान का मन

पाकिस्तान हमसे सबसे ज्यादा कॉटन लिया करता था. अब वो इसके लिए ब्राजील और अमेरिका पर निर्भर है. लंबे रास्ते से आने वाले इन उत्पादों पर समय के साथ पैसे भी काफी खर्च हो रहे हैं. फिलहाल पाकिस्तान जिस आर्थिक बदहाली से गुजर रहा है, दूरदराज के देशों से आयात उसपर और भारी पड़ रहा है. यही वजह है कि उसके विदेश मंत्री ने ट्रेड की वापस बहाली की बात की. हालांकि ये बात उन्होंने सीधे-सीधे नहीं, बल्कि एक इंटरनेशनल मंच पर की. तो फिलहाल ये नहीं कहा जा सकता कि आगे क्या होगा. इसके अलावा भारत की मंजूरी भी जरूरी है.

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