ईरान के सबसे बड़े लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की वीडियो देखें, या तस्वीरें- उनमें एक बात कॉमन दिखेगी, उनके हाथों में पत्थर जड़ी अंगूठियां. इस्लामिक क्रांति लाने वाले रुहोल्लाह खुमैनी भी ऐसी अंगूठियां पहनते रहे, जिनपर लाल-भूरे या नीले रंग के पत्थर दिखते थे. ये केवल शौक नहीं, बल्कि शिया आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा रहा. ईरान के धार्मिक स्थलों में भी कहीं-कहीं फिरोजा से लेकर लाल-भूरे पत्थर अकीक का काम दिखता है.
तेहरान इन दिनों तेल अवीव के साथ जंग को लेकर चर्चा में है. इस बीच कई अनदेखे पहलुओं पर लोगों का ध्यान जा रहा है. मसलन, ईरान के सर्वोच्च लीडर खामेनेई की रत्नजड़ी अंगूठियां. उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर भी लाल, नीले, हरे रंग के पत्थरों वाली रिंग्स दिखती हैं. ये जवाहरात मुबारक माने जाते हैं. यही वजह है कि ईरान के लीडर से लेकर आम लोग भी कई तरह के पत्थर पहनते रहे.
सबसे पहले बात करें मौजूदा लीडर खामेनेई की. वे आमतौर पर जो अंगूठी पहनते हैं, उनमें से एक चांदी की होती है जिसमें पीले रंग का पत्थर जड़ा होता है. अकीक या हकीक कहलाते स्टोन पर कुछ तावीज लिखा हुआ है. पीले अकीक और तावीज के मेल को आध्यात्मिकता से जोड़ा गया है. बाकी रत्नों की जोड़ पर कुछ कम कीमती ये स्टोन काफी मान्यता लिए हुए है.
वे कई बार नीले-हरे रंग की अंगूठी पहनते हैं. ये फिरोजा है जो पहनने वाले को कई तरह की बरकतें और रूहानी फायदे देता है. कई बार पारदर्शी क्वार्ट्ज जैसा स्टोन भी उनके हाथों में दिखा. ये दूर-ए-नजफ कहलाता है, जिसके बारे में मान्यता है कि इससे मन को शांति मिलती है. इसी तरह से पहले सुप्रीम लीडर रुहोल्लाह खुमैनी के हाथों में लाल यमनी अकीक दिखता था. ये शिया परंपरा में काफी ऊंचे दर्जे का पत्थर माना जाता है, जो चांदी के साथ पहना जाता है.
फ्रांस24 वेबसाइट में भी जिक्र है कि खामेनेई समेत कई बड़े धार्मिक अधिकारी अक्सर ऐसे पत्थरों की रिंग्स पहनते देखे गए. ये चलन आम लोगों के बीच भी है. नीले-हरे पत्थर फिरोजा को ईरान का राष्ट्रीय पत्थर तक कहा जाता है. फारसी में इसका मतलब है जीत. ये पत्थर सैकड़ों सालों से ईरानी कल्चर का हिस्सा रहा, जो वहां गुंबदों और मस्जिदों के इंटीरियर पर भी दिखता है. लेकिन इन दोनों नेताओं की वजह से पूरे शिया समुदाय पर, खासकर ईरान, इराक और लेबनान में इस तरह के पत्थरों की मांग और धार्मिक हैसियत बढ़ी.
कई ईरानी बाजार हैं, जहां ये पत्थर मिलते हैं. जैसे नेशाबूर का फिरोजा दुनियाभर में ख्यात है. इसकी पारदर्शी नीली चमक के साथ ही इसकी कीमत भी बढ़ती जाती है. माना जाता है कि यहां खदानें सात सौ से ज्यादा सालों से एक्टिव हैं. इसी तरह से इस्फहान और कुम में अकीक, हदीद और दूर-ए-नजफ मिलते हैं.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी नेशाबूर का फिरोजा मिल जाएगा, जो प्रति कैरेट 10 डॉलर से लेकर 3000 डॉलर तक हो सकता है. समुद्री पानी की तरह नीले रंग का होने की वजह से फिरोजा के गहने ईरानी महिलाएं भी चाव से पहनती हैं. वहीं लाल-पीले-भूरे रंग का अकीक धार्मिक गुरुओं के बीच खास रहा. क्वार्टज वैसे तो इराक से आता है, लेकिन ईरान में इसकी मांग खूब है.
आज भी देश की कई पारंपरिक मंडियों में इन पत्थरों की खुदरा बिक्री होती है, जहां कारीगर खुद पत्थर तराशते हुए बैठते हैं और लोग चुनते हैं कि उन्हें किस तरह की डिजाइन, पत्थर और मेटल चाहिए. शादी-ब्याह के मौकों पर भी सुरक्षा कवच की तरह इन्हें पहना जाता है.
ईरान में आम और खास दोनों ही तबकों में आध्यात्मिक वजहों से ख्यात जेमस्टोन्स को लेकर कई किस्से भी हैं. इनमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के कमांडर कासिम सुलेमानी से जुड़ी घटना अक्सर कही-सुनी जाती है. खामेनेई के सबसे करीबी लोगों में गिने जाते सुलेमानी ने सीरिया, इराक, लेबनान से लेकर यमन तक ईरान की धमक पहुंचाई. शिया समुदाय में हीरो माने जाते सुलेमानी के बहुतेरे दुश्मन भी थे.
जनवरी 2020 में बगदाद एयरपोर्ट पर गाड़ी पर हुए ड्रोन हमले में सुलेमानी की जान चली गई. कथित तौर पर अमेरिकी सरकार के इशारे पर हुआ ये अटैक इतना जबर्दस्त था कि शव बुरी तरह जल गए, इतना कि उनकी पहचान भी मुश्किल थी. तभी एक हाथ में चांदी की अंगूठी दिखी, जिसमें लाल अकीक जड़ा हुआ था. सुलेमानी को सार्वजनिक मौकों पर बहुत बार इस रिंग के साथ देखा गया था.
सीएनएन से लेकर कई इंटरनेशनल मीडिया ग्रुप्स ने इस अंगूठी पर बात की थी. यही पत्थर जड़ी अंगूठी उनकी पहचान कर सकी, जिसके बाद ईरानी मीडिया ने एक फोटो जारी की जिसमें अंगूठी वाला हाथ मलबे में पड़ा हुआ था. इसके बाद सुलेमानी की याद में काफी सारे लोग उसी तरह की अंगूठी पहनने सुनाई पड़े.
aajtak.in