ऑपरेशन सिंदूर में लगभग पूरा परिवार गंवा चुके पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर की साजिशें अब भी बंद नहीं हुईं. वो अब एक महिला ब्रिगेड बना रहा है. इसमें महिलाओं को रिक्रूट करने के बाद बाकायदा पूरी ट्रेनिंग मिलेगी और वे आतंकियों के काम को आगे बढ़ाएंगी. जैश अकेला नहीं, इससे पहले भी कई चरमपंथी समूहों में महिलाओं की भर्तियां होती रहीं. इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) से जुड़ने के लिए अमीर देशों की युवतियां भी सीरिया पहुंच गईं थीं.
आखिर ऐसी क्या वजह होती है कि कुछ महिलाएं चरमपंथ के रास्ते पर चलने वाले इन संगठनों की ओर आकर्षित हो जाती हैं?
जैश-ए-मोहम्मद के बारे में खबरें आ रही हैं कि वो महिलाओं की एक्टिव भर्तियां शुरू करने जा रहा है. उन्हें एक खास ब्रिगेड में रखा जाएगा और प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे भारत के हित में काम कर रही महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकें. कथित तौर पर मसूद अजहर इस महिला ब्रिगेड की जिम्मेदारी अपनी बहन सादिया अजहर को दे रहा है.
पाकिस्तान स्थित महिला ब्रिगेड ऐसे करेगी काम
संगठन का नाम जमात-उल-मोमिनात हो सकता है, जिसकी पाकिस्तान के हर जिले में एक ब्रांच होगी. इसके तहत महिलाओं को 15 दिन का एक कोर्स- दौरा-ए-तस्किया कराया जाएगा. इसके बाद लगभग इतने ही वक्त का एक और प्रशिक्षण होगा, जिसमें हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी हो सकती है. रोज लगभग 40 मिनट की ऑनलाइन क्लास होगी.
कैसे लुभाया जा रहा
महिलाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अजहर कई बातें कर रहा है. जैसे, उसने दावा किया कि इसमें शामिल होने वाली महिलाएं कब्र से सीधे जन्नत जाएंगी. पाकिस्तानी आतंकी का ये भी कहना है कि भारत ने हिंदू महिलाओं को अपनी सेना और मीडिया में खड़ा किया है. पुरुषों से उनकी लड़ाई में समस्या आ सकती है, इसलिए ही पाकिस्तान अपनी महिलाओं को इसके लिए तैयार कर रहा है.
भर्ती और फंडिंग का भी तरीका तैयार है. हर महिला, जो जन्नत जाने के इस कोर्स में प्रवेश लेगी, उसे 500 पाकिस्तानी रुपए डोनेट करने होंगे. ये पैसे काफी कम रखे गए हैं क्योंकि भर्ती का फोकस कम आय वाली महिलाओं को टारगेट करना है. आतंकी कमांडरों की पत्नियों को इसमें खास छूट मिल सकती है.
महिलाएं अपने लक्ष्य से दूर न हों, इसके लिए कड़े कायदे भी हैं. मसलन, महिलाओं को महिलाओं से ही ट्रेनिंग मिलेगी. इसके अलावा वे पुरुषों के संपर्क में नहीं आएंगी. यहां तक कि ब्रिगेड में शामिल महिलाओं को अनजान पुरुषों से फोन या मैसेंजर पर न जुड़ने को कहा गया है.
इन आतंकी संगठनों ने भी किया महिलाओं का इस्तेमाल
जैश कई आतंकी संगठनों के नक्शे-कदम पर चल रहा है, जिन्होंने पिछले दो दशकों में बड़ी संख्या में महिलाओं को भर्ती किया या आतंकी मकसद के लिए उनका किसी न किसी तरह से इस्तेमाल किया.
- इस्लामिक स्टेट ने सबसे संगठित भर्ती अभियान चलाया गया था. इसमें लगभग तीन सालों के भीतर पांच हजार से ज्यादा महिलाएं ली गईं.
- अल कायदा ने भी 2000 के दशक के बाद से महिला प्रचारक रखने शुरू किए. बाद में ऑनलाइन कोर्स और प्रचार के लिए वेबसाइट्स बनीं.
- बोको हराम संगठन महिलाओं को आत्मघाती हमलावर बनाता रहा. साल 2014 से अब तक 400 से ज्यादा महिलाएं आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल की गईं.
- लश्कर-ए-तैयबा भी दावत-ए-तैयबा नाम से महिला शाखा चलाता रहा. इनका काम फंड जुटाना, चरमपंथी सोच को फैलाना और पुरुष लड़ाकों समेत उनके परिवारों को संभालना है.
- गाजा में हमास तक ने महिला ब्रिगेड बनाई थी, जिसमें कई आत्मघाती लड़ाका भी बनीं. आज भी हमास की महिलाओं का रोल जिहाद की ट्रेनिंग, और प्रचार है.
- सोमालिया में अल-शबाब है. ये सीधे-सीधे तो नहीं लेकिन महिलाओं को फ्यूचर शहीदों की मां या पत्नी बताते हुए उन्हें इस तरफ मोटिवेट करता रहा.
सताई हुई महिलाओं को करते हैं ट्रैप
ये संगठन ऐसी महिलाओं को टारगेट करते हैं जो किसी न किसी तरह से वल्नरेबल हों. जैसे जो अकेली हों, पैसों की तंगी हो, घर में किसी तरह से परेशान हों या अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हों. इस्लामिक स्टेट इस काम में सबसे तेज रहा. उसने ऑनलाइन बातें करनी शुरू कीं. वेस्ट की महिलाओं को अलग मॉड्यूल बनाकर टारगेट किया. उन्हें बताया कि वे दिखावे की दुनिया में फंसी हुई हैं, और जन्नत से दूर जा रही हैं. कम उम्र लड़कियां इस्लामिक स्टेट में अपना मकसद देखने लगीं और घरों से भागकर इराक और सीरिया पहुंचने लगीं.
स्पिरिचुअल मिशन का झांसा देने के अलावा कई बार प्यार या दोस्ती का दिखावा करके भी फंसाया जाता है. कम उम्र लड़कियों को बताया जाता है कि वे नेक काम कर रही हैं. जरूरतमंदों को छोटी-मोटी मदद दी जाती है, जैसे पैसे या राशन या दवाएं पहुंचाना. इससे गरीबी या पहचान से जूझ रही महिलाएं आसानी से जाल में फंस जाती हैं.
भर्ती के बाद कौन से काम करने होते हैं
- सोशल मीडिया पोस्ट करना, नए लोगों से मैसेज पर बात करना, महिलाओं को जोड़ने की कोशिश.
- लड़ाकों, कमांडरों और उनके परिवारों का ध्यान रखना, जैसे खाना पकाना और साफ-सफाई.
- कई बार ये जासूस की तरह भी काम करती हैं और जानकारी यहां-वहां करती हैं.
- बाकी महिलाओं से कथित नैतिकता का पालन कराने की जिम्मेदारी भी इनकी होती है.
- इस्लामिक स्टेट और बोको हराम जैसे संगठन इन्हें आत्मघाती बनने की ट्रेनिंग भी देते रहे.
- कई मामलों में महिलाओं का जबरन यौन शोषण होता है, या उन्हें यौन दासी बनने के लिए मोटिवेट किया जाता है.
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