Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री की कार के हादसे से रोड सेफ्टी पर उठे सवाल, एक्सपर्ट दे रहे इन बदलावों के सुझाव

Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री की मौत के बाद सड़क सुरक्षा पर बहस शुरू हो गई है. एक्सपर्ट का कहना है कि पीछे बैठने वाले यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना जरूरी कर देना चाहिए और ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. एक्सपर्ट ने सड़कों की डिजाइन में भी बदलाव करने की मांग की है.

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रविवार को पालघर के पास सड़क हादसे में साइरस मिस्त्री की मौत हो गई थी. (फाइल फोटो) रविवार को पालघर के पास सड़क हादसे में साइरस मिस्त्री की मौत हो गई थी. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST

Cyrus Mistry Death: टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन और उद्योगपति साइरस मिस्त्री की मौत के बाद सड़क सुरक्षा पर बहस शुरू हो गई है. एक्सपर्ट्स ने कार में पीछे बैठने वाले यात्रियों के लिए सीट बेल्ट जरूरी, ओवरस्पीडिंग की चेकिंग और सड़कों की डिजाइन में बदलाव करने की मांग की है. 

साइरस मिस्त्री का रविवार को सड़क हादसे में निधन हो गया था. वो अहमदाबाद से मुंबई आ रहे थे. इस कार में चार लोग सवार थे. कार को गायनेकोलॉजिस्ट अनाहिता पंडोले चला रही थीं. कार में चार लोग सवार थे. ड्राइविंग सीट के बगल में अनाहिता के पति डेरियस पंडोले बैठे थे. पीछे की सीट पर साइरस मिस्त्री और जहांगीर दिनशॉ पंडोले बैठे थे. 

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पुलिस ने बताया कि पीछे की सीट पर बैठे साइरस मिस्त्री और जहांगीर ने सीट बेल्ट नहीं लगाया था. कार भी ओवरस्पीड में चल रही थी. कार ने सामने वाली कार को ओवरटेक करने की कोशिश भी की थी. नतीजतन कार आउट ऑफ कंट्रोल हो गई और डिवाइडर से जा टकराई. ये हादसा मुंबई से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर पालघर के पास हुआ. 

एक्सपर्ट ने दिए सुझाव

एक्सपर्ट ने तेज स्पीड में चल रही गाड़ियों पर नजर रखने और पीछे बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट जरूरी करने पर जोर दिया. साथ ही एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि एक्सीडेंट को रोकने के लिए सड़कों को बेहतर तरीके से डिजाइन किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली स्थित सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) के चीफ साइंटिस्ट एस वेलमुरुगन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि राजधानी दिल्ली में कुछ इलाकों में सड़कें सही तरह से डिजाइन नहीं हैं. उदाहरण के लिए, 6 लेन रोड कुछ जगहों पर 4 लेन में सिकुड़ गई है तो कहीं पर सतह बराबर नहीं है. इससे खतरा बढ़ता है और इसे ठीक किया जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि रविवार की घटना से तीन बड़ी बातें सामने आईं हैं. पहला ये कि सड़कों को, खासतौर से हाईवे की सड़कों को ठीक तरह से डिजाइन किया जाना जरूरी है. दूसरा- साइन बोर्ड सही तरीके से लगाने होंगे और तीसरा- लोगों को जागरूक करना होगा कि पीठे बैठे होने पर भी सीट बेल्ट लगाना कितना जरूरी है.

क्या बदलाव किए जाने जरूरी?

- वेलमुरुगन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जिन जगहों पर सही तरह से साइन बोर्ड नहीं लगे हैं, वहां इन्हें ठीक तरह से लगाना होगा. 

- उन्होंने कहा कि पीछे बैठने पर सीट बेल्ट न लगाने और ओवरस्पीडिंग के मामलों में कानून को सख्ती से लागू करना होगा.

- उन्होंने कहा कि राजधानी की सड़कों पर रात के समय या कम ट्रैफिक होने पर लोग स्पीड में गाड़ी चलाते हैं, इसलिए कानून का उल्लंघन करने वालों को रोकने के लिए मजबूत सिस्टम बनाना चाहिए. साथ ही ट्रैफिक पुलिस को पीछे बैठने वाले यात्री के सीट बेल्ट नहीं पहनने पर चालान काटना चाहिए.

डिजाइन, साइन बोर्ड की कमी, कैसे बनी हादसे की वजह?

- रविवार को मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर बने सूर्या रिवर ब्रिज पर ये हादसा हुआ था. ये हाईवे तीन लेन का है, लेकिन ब्रिज पर दो लेन का हो जाता है. इसके अलावा यहां साइन बोर्ड की भी कमी है. कासा पुलिस इस हादसे के कारणों की जांच कर रही है. 

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- एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहले सड़क तीन लेन की है और पुल पर दो लेन की बनी है. कार डिवाइडर से टकरा गई और रुक गई. पुल के नीचे सूर्या नदी है. उन्होंने कहा कि सड़क संकरी होने के साथ-साथ गलत साइड से ओवरटेक करने की वजह से ये दुर्घटना हो सकती है. 

- पुलिस ओवरस्पीडिंग और ओवरटेक को दुर्घटना का संभावित कारण बता रही है. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां खतरे की चेतावनी देने वाले साइनबोर्ड का अभाव है. इसके अलावा सड़क की खराब डिजाइन की वजह से भी यहां हादसे होते हैं.

- पुलिस ने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर कुछ स्ट्रीट लाइट की वजह से रात में सफर करना और खतरनाक हो जाता है. गाड़ियों की तेज बीम लाइट से सामने से आ रही गाड़ी के ड्राइवर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इससे खतरनाक हादसा हो जाता है. ऐसे में कई ड्राइवर संतुलन खो देते हैं फ्लाईओवर से फिसलकर नदी में गिर जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तीन लेन की सड़क फ्लाईओवर पर दो लेन की हो जाती है.

- एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पालघर में मानोर और गुजरात के अचाड़ में 52 किमी लंबी सड़क पर कई एक्सीडेंटल स्पॉट है. उन्होंने बताया कि 18 महीनों में सड़क हादसों में 106 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 49 लोग हमेशा के लिए बिस्तर पर आ गए हैं.

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साइरस मिस्त्री की मौत कैसे हुई?

साइरस मिस्त्री अहमदाबाद से मुंबई आ रहे थे. वो जिस कार से आ रहे थे, उसमें उनके अलावा अनाहिता पंडोले, उनके पति डेरियस पंडोले और भाई जहांगीर दिनशा पंडोले सवार थे. इस कार को अनाहिता पंडोले चला रही थीं. वो जानी-मानीं गाइनेकोलॉजिस्ट थीं. इस हादसे में साइरस मिस्त्री और जहांगीर दिनशा की मौत हो गई. जबकि, पंडोले दंपति को गंभीर चोटें आईं हैं. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि कार ओवरस्पीड थी. कार ने दूसरे वाहन को गलत साइड (लेफ्ट साइड) से ओवरटेक करने की कोशिश भी की थी. इसी दौरान कारन ने नियंत्रण खो दिया और डिवाइडर से जा टकराई. 

हादसे के बाद साइरस मिस्त्री को कासा के सरकारी अस्पताल लाया गया था. यहां के डॉक्टर शुभम सिंह ने बताया कि साइरस मिस्त्री की मौत सिर पर चोट लगने से हुई है. वहीं, जहांगीर को बाएं पैर में फ्रैक्चर और सिर पर चोट लगी थी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही दोनों की मौत हो गई थी.

सीट बेल्ट नहीं लगाने से हर दिन 41 मौतें

कानूनन सीट बेल्ट लगाना जरूरी है. 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया गया था. इसके बाद सभी के लिए सीट बेल्ट लगाना जरूरी कर दिया गया है. पहले 14 साल से कम उम्र के लोगों को सीट बेल्ट लगाना जरूरी नहीं था, पर अब है. हालांकि, अब भी लोग सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं.

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सड़क और परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में सीट बेल्ट नहीं लगाने से 15,146 लोगों की मौत हो गई थी. यानी, हर दिन औसतन 41 मौत. इनमें से 7,810 मौत ड्राइवर की हुई थी, जबकि 7,336 मौतें यात्रियों की हुई थी.

इसी तरह टू-व्हीलर में 4 साल से ऊपर के लोगों के लिए हेलमेट पहनना जरूरी है, लेकिन लोग इसकी भी अनदेखी करते हैं. 2020 में हेलमेट नहीं पहनने से 39,589 लोगों की मौत हुई थी. इनमें से 27,310 लोग ऐसे थे जो गाड़ी चला रहे थे. जबकि 12,279 लोग पीछे बैठे थे.

 

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