दुनिया इन दिनों वाइट हाउस के चारों तरफ घूम रही है. कभी वहां से जंग लड़ते देशों से पीसकीपिंग की अपील होती है, तो कभी धमकियां मिलती हैं. बीच-बीच में अगर कभी शांति रहे तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुछ नया कर डालते हैं. अमेरिका में कथित सबसे बड़े डिपोर्टेशन प्लान के बीच सुनाई दिया कि वहां एक नया डिटेंशन सेंटर बन रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा अवैध प्रवासियों को रखा जा सके और डिपोर्ट किया जा सके.
दक्षिणी फ्लोरिडा में तैयार हो रहे सेंटर- एलिगेटर अलकाट्राज पर काफी शोरगुल है. मियामी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के करीब फैली ये जगह बेहद खतरनाक है. यहां की जमीन दलदली है, जिसमें मगरमच्छ मिलना आम है. सेंटर में अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसी ICE उन प्रवासियों को रखेगी, जिन्हें डिपोर्ट करने से पहले हिरासत में लिया गया हो. साइट पर हाल ही में काम शुरू हुआ है और माना जा रहा है कि यहां एक हजार के करीब डिटेनीज रखे जा सकेंगे.
ये तो हुई बेसिक जानकारी, लेकिन इसमें विवाद क्या है?
तो बहस की वजह फ्लोरिडा के अटॉर्नी जनरल का एक्स पर डाला गया एक वीडियो है. उन्होंने इसमें कहा कि सेंटर न्यूनतम सुविधाओं के साथ बनाया जाएगा. साथ ही यहां सुरक्षा भी काफी कम रहेगी. अगर अवैध प्रवासी यहां से भागने की कोशिश करें तो भी कुछ खास नहीं होगा, सिवाय दलदल और चीर खाने वाले मगरमच्छों के. मतलब ये कि सेंटर खतरनाक जानवरों से घिरा एक किला होगा, जहां से बाहर निकलते ही जान बचाना मुश्किल हो.
मगरमच्छों की भरमार और दलदल की वजह से ही इस जगह को लोगों ने एलिगेटर अलकाट्राज कहना शुरू कर दिया. अलकाट्राज उस पुरानी अमेरिकी जेल का नाम है जो समुद्र के बीचों-बीच थी. जहां से भाग पाना बेहद कठिन था. आरोप है कि सरकार जान-बूझकर ऐसी जगह चुन रही है, जिससे डिटेंशन सेंटर किसी भयावह जेल से भी ज्यादा डरावना लगे.
कॉस्ट इफैक्टिव दिख रहे सेंटर के बारे में ये तो सच है कि वो अवैध प्रवासियों को परेशान करने वाला होगा, साथ ही कई और बातें भी हैं, जिनपर विवाद है. जैसे इस जगह अगर सेंटर बन गया तो दलदल और आसपास रहने वाले जंगली पशुओं पर असर होगा. एक्टिविस्ट्स का कहना है कि ये निर्माण फ्लोरिडा के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है. बता दें कि कई विलुप्त होने की कगार पर आ चुकी स्पीशीज यहां बसती हैं. अगर सेंटर बन गया तो इन जीवों के विलुप्त होने की रफ्तार बढ़ जाएगी.
हालांकि विवाद की वजह ये आशंका है कि यहां मानवाधिकार उल्लंघन हो सकता है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सेंटर के बारे में प्रशासन पहले से ही बता रहा है कि वहां न्यूनतम सुविधाएं होंगी और सुरक्षा भी नहीं होगी. ऐसे में तय है कि डिपोर्टीज अपने देश जाने से पहले भी कई यातनाओं से गुजरेंगे. एक्टिविस्ट्स का ये डर हवा-हवाई भी नहीं. यूएस में डिटेंशन सेंटरों को लेकर पहले भी कई बार बवाल हो चुका.
- कई रिपोर्ट्स आ चुकीं कि आमतौर पर डिटेंशन सेंटरों में हालात बहुत खराब होते हैं, जैसे साफ-सफाई और खाने-पीने की कमी. मेडिकल सुविधाएं भी नहीं के बराबर मिलती हैं.
- साल 2018 में ट्रंप सरकार ने प्रवासी परिवारों को अलग-अलग कर दिया था. इससे कई छोटे बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे.
- सीमा पर बने कई सेंटरों पर सवाल उठे कि क्या इन्हें चलाने वाली कंपनियां मुनाफे के लिए प्रवासियों को ज्यादा दिनों तक अंदर रख रही हैं.
- यह आरोप भी रहा कि सरकारें इन सेंटरों का इस्तेमाल खौफ फैलाने के लिए कर रही हैं ताकि लोग यूएस आने से डरें.
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