क्या अमेरिका में शटडाउन की वजह से भारतीयों के 'ड्रीम अमेरिका' का शटर डाउन हो जाएगा?

अमेरिका में शटडाउन शुरू हो चुका है. संसद में बजट पर छिड़ी रार की वजह से कई सरकारी योजनाएं रुक जाएंगी और बहुत से लोग लंबी छुट्टी पर भेज दिए जाएंगे, जिनके वेतन की फंडिंग नहीं हो पा रही. लेकिन क्या इसका असर इमिग्रेंट्स पर भी हो सकता है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस मुद्दे पर आक्रामक रहे?

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अमेरिका में शटडाउन से इमिग्रेशन विभाग पर भारी असर पड़ने वाला है. (Photo- Reuters) अमेरिका में शटडाउन से इमिग्रेशन विभाग पर भारी असर पड़ने वाला है. (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:23 AM IST

अमेरिकी संसद में सरकार के खर्चों को लेकर सहमति नहीं बन सकी. बहुत से बिल पास नहीं हुए और नतीजा रहा फेडरल शटडाउन. ट्रंप के पहले कार्यकाल में साल 2018 के बाद से ये यूएस का पहला शटडाउन है. इससे बहुत से सरकारी प्रोग्राम अस्थाई तौर पर रुक सकते हैं. लाखों ऐसे कर्मचारी घर बैठ जाएंगे, जिनका काम अनिवार्य नहीं. कुल मिलाकर, बेहद जरूरी सर्विसेज  ही चालू रह सकेंगी. अमेरिका में लाखों इमिग्रेंट्स भी हैं, जिन्होंने वहां रहने के लिए अर्जी लगाई हुई है. बजट अटकने का उन पर कितना असर हो सकता है?

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कहां अटक गई गाड़ी

सरकार चलाने के लिए बजट पास होना जरूरी है. अगर किसी वजह से रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स इसपर सहमत न हो सकें तो फंडिंग नहीं होती. ऐसे में सरकारी एजेंसियां बिना वेतन के बंद हो जाती हैं. लेकिन सभी सरकारी सेवाओं पर इसका असर नहीं होता, बल्कि नॉन-एसेंशियल पर ही असर होता है. यानी ऐसी सर्विस जिसके बिना कुछ समय के लिए काम बंद हो जाए. यही शटडाउन है. हालांकि अगर ये लंबा खिंचे तो जरूरी सेवाएं भी एक-एक करके रुकने लगती हैं. 

फिलहाल दोनों ही दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. ये नहीं पता कि शटडाउन कब खत्म होगा. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आठ लाख से अधिक कर्मचारी अस्थायी अवकाश पर भेजे जा सकते हैं.

शटडाउन के चलते कई गैर-अनिवार्य सेवाएं रुक रही हैं. (Photo- Pixabay)

किन सेवाओं पर नहीं होगा असर

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यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज में आवेदन शुल्क से काम होता है. लिहाजा इसके ज्यादातर कर्मचारी काम कर रहे हैं. यही वो विभाग है, जहां ग्रीन कार्ड, वीजा आवेदन जैसी चीजें देखी जाती हैं. यानी इमिग्रेंट्स पर खास असर नहीं होगा. हालांकि, कुछ स्थानों पर सीमित स्टाफ के कारण थोड़ी देरी हो सकती है. 

ये सर्विसेज हो सकती हैं प्रभावित

डिपार्टमेंट ऑफ लेबर में ज्यादातर सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं. यहां H-1B जैसी सर्विस मिलती है. 

इमिग्रेशन के मामले इमिग्रेशन कोर्ट्स में जाते हैं. यही वो जगह है, जहां बड़ा असर दिखेगा. जिन मामलों में लोग हिरासत में नहीं हैं, उन्हें पेंडिंग में डाल दिया जाएगा. यानी लोग जो वीजा, ग्रीन कार्ड या इमिग्रेशन से जुड़ी अपील के लिए कोर्ट जा रहे थे या जाने वाले थे, उन्हें अब पहले से लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं जो लोग डिटेन्ड केस वाले हैं यानी हिरासत में हैं, उनकी सुनवाई जारी रहेगी. कोर्ट सीमित बजट में भी देखेगा कि लोग बिना सुनवाई के लंबे समय तक हिरासत में न रहें. 

लेबर विभाग ही एक खास तरह का कार्ड भी देता है, जिससे लोग काम के लिए ग्रीन कार्ड ले पाते हैं. चूंकि ये विभाग बुरी तरह से प्रभावित होगा, ऐसे में काफी सारे लोग काम नहीं कर सकेंगे. 

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पिछले शटडाउन में भी इमिग्रेंट्स पर भारी असर पड़ा था. (Photo- Pixabay)

इसे पिछले शटडाउन से भी समझ सकते हैं

अक्टूबर 2018 से जनवरी 2019 तक चला शटडाउन, अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन था. इसका इमिग्रेशन सेवाओं पर गहरा असर पड़ा था, खासकर उन लोगों पर जो वर्क वीजा, ग्रीन कार्ड या नागरिकता के लिए आवेदन कर रहे थे. डिपार्टमेंट ऑफ लेबर की सेवाएं पूरी तरह से बंद हो गई थीं, क्योंकि यह विभाग सरकारी फंडिंग पर काम करता है. तब इमिग्रेशन कोर्ट्स पर भी भारी असर पड़ा था. लगभग 86 हजार मामलों की सुनवाई टल गई थी. 

कैसे खत्म होगा शटडाउन

इसकी कोई समय सीमा नहीं, न ही अनुमान लगाया जा सकता है. जब तक सत्ता और विपक्ष राजी न हों, ये उतना लंबा खिंच सकता है. साल 2018 में डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट्स के बीच मैक्सिको बॉर्डर वॉल कीफंडिंग को लेकर मामला अटक गया था. ट्रंप दीवार के लिए बजट में साढ़े पांच बिलियन डॉलर से ज्यादा चाहते थे, जबकि विपक्ष ने इसे सख्ती से रोक दिया.

नतीजा ये रहा कि कई सरकारी एजेंसियां ठप पड़ गईं, लाखों कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेजना पड़ा और कई जरूरी सेवाओं पर असर पड़ा. भारी दबाव और राजनीतिक नुकसान के डर से आखिरकार अस्थाई फंडिंग की गई और शटडाउन खत्म हुआ. 

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