टीवी कपल दीपिका कक्कड़ और शोएब इब्राहिम शहर की बिजी लाइफ से ब्रेक लेकर गांव पहुंच गए हैं. शोएब का यूपी के मौदहा में बीता है. उन्होंने पत्नी दीपिका और बेटे रुहान को अपने बचपन की यादों से रूबरू कराया. शोएब ने कई यादें ताजा कीं, वहीं बीमारी और इलाज की आपाधापी से दूर दीपिका ने भी अपने निकाह के दिनों को याद किया.
शोएब ने बेटे रुहानी को दिखाया अपना बचपन
शोएब ने व्लॉग शेयर कर अपने मन की बातें बताई, क्यों वो गांव की सैर पर निकले, वहां उन्होंने बेटे को खेत दिखाया. तो साथ ही दीपिका ने अपने लेबल डीकेआई के लिए फोटोशूट कराया. खेत में खेलते रुहान को देखकर शोएब काफी इमोशनल हो गए. उन्होंने अपने बचपन कि दिन को याद किया और कई बातें कही.
शोएब ने गांव में मस्ती करने के बाद अपने दिल की बात कही- आज इतने सालों बाद अपने गांव आना. वापस उस जमीन पर कदम रखना जिसमें बचपन की खुशबू बसी हो, एक अजीब सा सुकून देता है. यहां की गलियां, यहां के खेत, यहां की मिट्टी... यहीं बीता था मेरा बचपन. और जब मैं मेरे बच्चे को लेकर इसी जमीन पर चल रहा हूं तो लगता है जैसे वक्त गोल चक्कर काटकर वापस मेरे पैरों तक आ गया है. गांव की मिट्टी में एक अजीब सी कसक होती है. ये इंसान को वापस अपनी असलियत में ले आती है. यहां की शहर की भागदौड़, कॉम्पीटीशन और टेंशन सब एक पल के लिए रुक जाते हैं. और सिर्फ एक एहसास रह जाता है- ये मेरी जड़ है. यही मेरा घर है.
गांव पहुंचकर भावुक हुए शोएब
'आज मैं इन गलियों में चलकर सिर्फ जगह नहीं देख रहा, मैं अपना पूरा गुजरा हुआ वक्त देख रहा हूं. मैं वो बच्चा देख रहा हूं जो मैं कभी था. मैं वो सपना देख रहा हूं जो कभी मेरे मां-बाप ने जिया. मैं अपने बच्चे को देखकर यही सोच रहा हूं कि एक दिन ये भी इन्हीं गलियों को अपनी यादों का हिस्सा बनाएगा. इंसान चाहे कितनी भी ऊंचाई पा ले, लेकिन उसकी असली उम्मीद, असली सुकून, असली ठंडक हमेशा, उसी मिट्टी में होती है जिसमें से वो निकला था.'
शहर की भीड़ से दूर गांव में मिला सुकून
शोएब ने अपनी फीलिंग्स बयां करते हुए आगे कहा कि- आज मैं अपने बच्चे को उसकी छोटी-सी उंगली पकड़कर उसे सिर्फ अपना गांव नहीं दिखा रहा. मैं उसे अपना इतिहास दिखा रहा हूं. मैं उसे वो कहानी दिखा रहा हूं जहां से हमारे पूरे इतिहास की कहानी लिखी गई. मैं वापस आया हूं अपनी यादें ताजा करने, अपने बचपन की यादें ताजा करने और अपने बच्चे को अपना असली घर दिखाए और शायद अपने आप को थोड़ा और समझने. अगर सच कहूं तो, जितनी जरूरी शहर की सक्सेस है उतनी ही जरूरी गांव की सुकून भी है. जितना जरूरी नाम बनाना है, उतना ही जरूरी उन लोगों में वापस जाना है जिनके बीच तुम्हारा नाम नहीं तुम्हारा होना मायने रखता है. गांव कभी पुराना नहीं आता, हम पुराने हो जाते हैं.
दीपिका ने याद किए निकाह के दिन
मौदहा की गलियों में घूमते हुए शोएब-दीपिका ने अपनी शादी के दिनों को भी याद किया और बताया कि कैसे और कहां से वो तैयार होकर जाते थे. दीपिका ने बताया कि कैसे उनके निकाह से सभी खुश थे तो वो सब सुबह-सुबह ही उनके कमरे में आ जाते थे. पता ही नहीं चलता था कि वक्त कब बीत गया.
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