तलाक के बाद बेटी को अकेले पाल रही एक्ट्रेस, मिले ताने, बोली- दया करो

जूही परमार ने टॉक्सिक मैरिज, तलाक और महिलाओं को मिलने वाली जजमेंट पर खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे समाज में तलाकशुदा महिलाओं को गलत समझा जाता है और उन्हें सहना पड़ता है.

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तलाक के बाद बेटी की अकेले परवरिश कर रहीं जूही (PHOTO: Instagram @juhiparmar) तलाक के बाद बेटी की अकेले परवरिश कर रहीं जूही (PHOTO: Instagram @juhiparmar)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 27 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

जूही परमार टेलीविजन की मशहूर एक्ट्रेस हैं. वो सालों से घर-घर में अपनी पहचान बनाए हुए हैं. इन दिनों वो जी टीवी पर नए शो 'कहानी हर घर की' पर नजर आ रही हैं. शो में वो महिलाओं की आवाज उठाती हैं और उन मसलों पर बात करती हैं, जिनके बारे में अकसर घरों में चर्चा ही नहीं होती. जूही न उन महिलाओं पर भी बात की, जो टॉक्सिक मैरिज में फंसी रह जाती हैं. एक्ट्रेस ने उन्हें मिलने वाले ताने और अपने रोल मॉडल होने की जिम्मेदारी पर भी बात की.

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तलाक पर बोलीं जूही 
जूही परमार उन एक्ट्रेसेस में से हैं, जो हमेशा खुलकर बात करती दिखती हैं. तलाक और महिलाओं को जज किए जाने वाले मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने Freepressjournal से कहा कि ये बहुत दुखद है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ महानगरों की औरतें इससे बची हुई हैं. हां आर्थिक स्थिति अलग होती है. जो महिलाएं काम नहीं करतीं, वो ज्यादा निर्भर रहती हैं. ऐसी ही तकलीफें जिंदगी भर सहती रहती हैं. क्योंकि उनके पास निकलने का रास्ता ही नहीं होता.

हम जैसे लोग, जो काम करते हैं, अपने पैरों पर खड़े रहते हैं, घर चला सकते हैं, वो उस श्रेणी में नहीं आते. लेकिन जजमेंट का डर तो हर जगह है. चाहे औरत काम करने वाली हो या न करने वाली. हमारे समाज में यही सिखाया गया है कि अगर शादी टूटी है, तो औरत ही गलत होगी. हमेशा औरत से कहा जाता है कि उसने कुछ सही नहीं किया, उसकी वजह से ऐसा हुआ. क्यों हमेशा स्त्री को ही दोष दिया जाता है? और क्योंकि औरत जानती है कि कल चाहे जो हो, सामना सिर्फ उसे ही करना है. वो बस सहती जाती है. सही फैसले को टालती रहती है, जबकि उसे पता होता है कि वो अपने साथ अच्छा नहीं कर रही. 

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महिलाओं को किया जाता है जज
समाज की जजमेंट पर जूही ने आगे कहा- अब समय आ गया है कि सिर्फ सहने का नहीं, बल्कि उन लोगों को बताने का भी है, जो बाहर बैठ कर औरतों को जज करते हैं कि सुनो, तुम्हें थोड़ा दया भी करनी चाहिए. इंसानियत भी दिखानी चाहिए. जो औरत साथ रहकर अपना बच्चा अकेले पालती है, वही सबसे ज्यादा जज की जाती है. ये कैसी सोच है? छोड़कर जाने वाला जज नहीं होता, लेकिन रहने वाला जज हो जाता है. हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं? हमें इस सोच को जड़ से बदलने की जरूरत है. और इसके लिए बहुत काम करना बाकी है.

जूही परमार 2008 में सचिन श्रॉफ संग शादी के बंधन में बंधीं थीं. इस शादी से उन्हें एक बेटी हुई. 2018 में सचिन और जूही तलाक लेकर अलग हो गए. एक ओर जहां जूही तलाक के बाद सिंगल हैं. वहीं सचिन दूसरी शादी करके घर बसा चुके हैं. 

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