'दसरा' के बाद अब 'चंगेज' का बुरा हाल, क्या हिंदी डबिंग फिल्मों में एक्शन की भरमार कर रही जनता को बोर?

बंगाली सिनेमा के स्टार जीत की फिल्म 'चंगेज' बंगाली-हिंदी में एकसाथ रिलीज होने वाली पहली फिल्म है. हिंदी सेंटर्स में फिल्म के शोज बहुत कम नजर आ रहे हैं और एडवांस बुकिंग का हाल भी बुरा है. पिछले कुछ समय में हर इंडस्ट्री की एक्शन फिल्में हिंदी ऑडियंस को टारगेट कर रही हैं. लेकिन ये फॉर्मूला अब फ्लॉप होता नजर आ रहा है.

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चंगेज, दसरा (क्रेडिट: सोशल मीडिया) चंगेज, दसरा (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

सुबोध मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 21 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

शुक्रवार आने के साथ सिनेमा फैन्स का दिल थोड़ा जोर से धड़कने लगता है. तमाम टिकट बुकिंग पोर्टल्स पर लोग नई फिल्में तलाशने लगते हैं, जो टिकट पर लगे दाम के बदले फुल एंटरटेनमेंट दे सकें. हिंदी में फिल्में देखने वाले दर्शकों की बात करें तो, इस शुक्रवार उनके लिए सबसे बड़ा अवेलेबल ऑप्शन है सलमान खान की 'किसी का भाई किसी की जान'. ईद वाला वीकेंड और सलमान की फिल्म, पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से थिएटर्स के लिए जमकर कमाई करने वाला मौका रहा है. 

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लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सलमान की फिल्म के अलावा आज कोई दूसरी हिंदी फिल्म नहीं रिलीज हुई. बल्कि आज एक ऐसी फिल्म भी रिलीज हुई है जो इंडियन सिनेमा के इतिहास में, एक यादगार मोमेंट से कम नहीं है. बंगाली सिनेमा के स्टार, जीत की फिल्म 'चंगेज' हिंदी में रिलीज हुई है. इस फिल्म के साथ एक दिलचस्प फैक्ट जुड़ा है- ये बंगाली और हिंदी में साथ रिलीज होने वाली पहली बंगाली फिल्म है. 

'चंगेज' में जीत (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

मगर क्या आपको 'चंगेज' के बारे में जानकारी है? अगर जानकारी हो भी, तो सवाल ये है कि इसे देखने में आपकी दिलचस्पी कितनी है? ये सवाल पूछने की एक वाजिब वजह ये है कि पिछले कुछ समय में बॉलीवुड के बाहर, दूसरी इंडस्ट्रीज में बनीं कई हिंदी फिल्मों ने दर्शकों को टारगेट करने की कोशिश की है. मगर बॉक्स ऑफिस पर इन फिल्मों का हाल बुरा रहा. 

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'चंगेज' का हाल
फिल्म के शोज की बात करें तो दिल्ली-मुंबई में फिल्म के ऑनलाइन शोज की गिनती 100 से भी कम नजर आ रही है. ऐसे में ये मुश्किल नजर आता है कि 'चंगेज' के हिंदी वर्जन को 300 स्क्रीन्स भी मिली हैं. लिमिटेड स्क्रीन्स पर फिल्म रिलीज होना कोई समस्या नहीं है. समस्या इसकी बुकिंग में है. 'चंगेज' के अधिकतर शोज शुरू होने से पहले तक बहुत खाली नजर आ रहे हैं. शायद इसके पीछे एक वजह 'किसी का भाई किसी की जान' रिलीज होने भी है. 

जीत, बंगाली फिल्मों के बड़े स्टार्स में गिने जाते हैं. उनकी फिल्म 'चंगेज' के हिंदी ट्रेलर को भी बहुत अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला था. शुक्रवार से पहले तक ही नहीं, बल्कि रिलीज के दिन भी फिल्म को लेकर कोई माहौल बनता नहीं दिख रहा है.

लॉकडाउन के बाद आई हिंदी डबिंग फिल्मों की बहार  
लॉकडाउन की उदासी देखने के बाद घर से बाहर निकल रही जनता को एक्शन-मसाला फिल्मों ने भरपूर एंटरटेनमेंट दिया. 'बाहुबली' फ्रैंचाइजी के साथ एसएस राजामौली ने हिंदी दर्शकों को जो फुल पैसा वसूल एक्सपीरियंस दिया था, उसने लॉकडाउन के बाद बाहर निकले हिंदी दर्शकों को पैन इंडिया फिल्मों का टिकट खरीदने के लिए मोटिवेट किया. 

KGF 2, पुष्पा (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

थिएटर्स में सीटियों-तालियों के साथ गैंग बनाकर फिल्म देखने जाने की भूख को हिंदी फिल्मों से ज्यादा, उन फिल्मों ने शांत किया जो दूसरी फिल्म इंडस्ट्रीज में बनीं लेकिन हिंदी में भी रिलीज हुईं. पैन इंडिया के इस फंडे ने ऐसा जादू किया कि दिसंबर 2021 से, अप्रैल 2022 तक 5 महीने में 3 ऐसी फिल्में आईं जिन्होंने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में बनीं 'पुष्पा', RRR और कन्नड़ इंडस्ट्री में बनी 'KGF चैप्टर 2'. 

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इन फिल्मों की कामयाबी ने 'पैन इंडिया' के फंडे को और मजबूती दी. उसी का नतीजा है कि 2023 में ही नहीं, आने वाले कई सालों में भी पैन इंडिया प्रोजेक्ट्स की झड़ी लगी रहने की उम्मीद है. लेकिन अब हिंदी ऑडियंस को टारगेट करने का ये फंडा उतना असरदार नहीं नजर आ रहा. 

थिएटर्स में जूझते हिंदी डब वर्जन 
'चंगेज' अकेली हिंदी डबिंग वाली फिल्म नहीं है, जो थिएटर्स में स्ट्रगल कर रही है. इससे पहले 30 मार्च को रिलीज हुई, तेलुगू इंडस्ट्री से आई 'दसरा' का हिंदी वर्जन भी कोई कमाल नहीं कर पाया था. 'दसरा' के स्टार नानी को हिंदी जनता 'मक्खी' में देख चुकी है और उनकी कई फिल्में हिंदी डबिंग के साथ हिंदी टीवी चैनल्स पर खूब देखी गई हैं. 'दसरा' अपने ओरिजिनल तेलुगू वर्जन में तो हिट साबित हो चुकी है और इसका वर्ल्डवाइड कलेक्शन 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है. लेकिन हिंदी में फिल्म का कलेक्शन 5 करोड़ भी नहीं है. यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि 'दसरा' की हिंदी रिलीज भले लिमिटेड रही हो, मगर इसका कलेक्शन उस हाइप के हिसाब से बहुत कम है, जो एक समय सोशल मीडिया पर नजर आ रही थी. 

कब्जा, विक्रांत रोणा (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

कन्नड़ इंडस्ट्री से आई 'कब्जा' का हिंदी ट्रेलर काफी चर्चा में था. कई लोग तो इसे 'दूसरी KGF' तक बता रहे थे. लेकिन रिपोर्ट्स के हिसाब से 'कब्जा' को हिंदी में 1200 से 1500 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया था. साउथ के जानेमाने स्टार उपेन्द्र की इस फिल्म ने हिंदी में 4 करोड़ रुपये से भी कम कलेक्शन किया. इसे हिंदी में बड़ी फ्लॉप कहा गया. कन्नड़ इंडस्ट्री से ही, बड़े स्टार किच्छा सुदीप की फिल्म 'विक्रांत रोणा' भी हिंदी में कोई कमाल नहीं कर पाई थी. 

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अच्छे-खासे स्क्रीन काउंट और हिंदी जनता में सुदीप का नाम पॉपुलर होने के बावजूद, 'कब्जा' का हिंदी कलेक्शन 12 करोड़ रुपये से कम रहा. हिंदी डबिंग के साथ ऑडियंस को टारगेट करने में फेल होने हुई फिल्मों में मराठी फिल्म 'हर हर महादेव' और उड़िया फिल्म 'दमन' का नाम भी शामिल हैं. ये दोनों फिल्में अपनी-अपनी इंडस्ट्री की अच्छी हिट हैं, मगर हिंदी में 1 करोड़ रुपये भी नहीं कमा सकीं. 

हर हर महादेव, दमन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

क्या एक्शन की भरमार से ऊब रही हिंदी जनता?
पिछले कुछ समय में जिन नॉन-बॉलीवुड फिल्मों ने डबिंग के साथ हिंदी जनता को टारगेट किया है, उनमें से अधिकतर एक्शन थ्रिलर टाइप थीं. RRR या KGF 2 के धमाकेदार हिट होने की एक बड़ी वजह ये भी मानी जाती है कि बॉलीवुड दर्शकों को इस तरह का ग्रैंड स्केल एक्शन नहीं दे पा रहा था. मगर शायद लॉकडाउन के बाद थिएटर्स में आईं बड़ी-बड़ी एक्शन फिल्में देखने के बाद, अब जनता पहले से भी बड़ा स्केल देखना चाहती है. या फिर लोग विस्फोटक एक्शन से थोड़ा ऊब भी रहे हैं. 

शायद यही वजह है कि रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की 'तू झूठी मैं मक्कार' कई एक्सपर्ट्स की उम्मीद से ज्यादा बेहतर बिजनेस कर गई. ये फिल्म अब भी वीकेंड में थिएटर्स में ठीकठाक कमा रही है और 146 करोड़ रुपये से ज्यादा कलेक्शन कर चुकी है. जबकि अजय देवगन की 'भोला' गुरुत्वाकर्षण को धता बताने वाले एक्शन के बावजूद उतनी धांसू हिट नहीं हुई, जिसकी उम्मीद की जा रही थी. 30 मार्च को रिलीज हुई 'भोला' अभी भी थिएटर्स में है मगर इसका कलेक्शन 90 करोड़ तक भी नहीं पहुंचा है. 

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भोला, तू झूठी मैं मक्कार (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

लॉकडाउन के बाद से हिंदी दर्शकों का मूड भले एक्शन फिल्में देखने का ज्यादा दिख रहा था. मगर अब शायद जनता स्क्रीन पर कुछ बहुत अद्भुत देखना चाहती है, जो पहले के थिएट्रिकल अनुभव से बहुत अलग हो. यानी एक्शन भी वही चलेगा जिसका स्केल बहुत जबरदस्त हो. इसलिए हिंदी डबिंग के साथ एक नई मार्किट साध लेने का आईडिया भी तभी काम करेगा जब फिल्म कुछ बहुत अनोखा लेकर आएगी. हिंदी डबिंग में फिल्म लेकर आ रहे मेकर्स को शायद एक बार बैठकर ये सोचना चाहिए कि एक नई मार्किट में फिल्म की मार्केटिंग पर खर्च करना उन्हें कितना रिटर्न दे रहा है! 

 

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