संजय कपूर संपत्त‍ि विवाद में नया मोड़, जाली है 30 हजार करोड़ रुपये की वसीयत? वकील ने दिए सबूत

मंगलवार, 14 अक्टूबर को दिल्ली हाई कोर्ट में करिश्मा कपूर के बच्चों द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई हुई. इसमें वे अपने दिवंगत पिता और बिजनेसमैन संजय कपूर की व्यक्तिगत संपत्तियों में हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी कथित वसीयत नकली है.

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करिश्मा कपूर के बच्चे लड़ रहे मुकदमा (Photo: Instagram/@therealkarismakapoor) करिश्मा कपूर के बच्चे लड़ रहे मुकदमा (Photo: Instagram/@therealkarismakapoor)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST

करिश्मा कपूर के एक्स हसबैंड रहे संजय कपूर की प्रॉपर्टी को लेकर परिवार में विवाद जारी है. जून 2025 में अचानक संजय की मौत होने के बाद उनकी 30 हजार करोड़ रुपये कि संपत्ति को लेकर उनके परिवार में जंग छिड़ गई. संजय कपूर की बहन मंदिरा और मां रानी अपने हक के लिए लड़ाई कर रही हैं. तो वहीं करिश्मा अपने और संजय के दो बच्चों- समायरा और किआन का हिस्सा उन्हें दिलाने दिल्ली हाई कोर्ट में केस लड़ रही हैं. सभी का आरोप है कि संजय की तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव ने उनकी संपत्ति को हड़पने के लिए साजिश रची है.

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नकली है संजय कपूर की वसीयत?

मंगलवार, 14 अक्टूबर को दिल्ली हाई कोर्ट में करिश्मा कपूर के बच्चों द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई हुई. इसमें वे अपने दिवंगत पिता और बिजनेसमैन संजय कपूर की व्यक्तिगत संपत्तियों में हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी कथित वसीयत नकली है.

इस मुकदमे को करिश्मा के बच्चों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी लड़ रहे हैं. उन्होंने दस्तावेज में स्पष्ट विसंगतियों को इंगित किया. जेठमानी ने कहा कि भाषा और खंड संजय कपूर द्वारा लिखे गए प्रतीत नहीं होते. एक खंड का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि इसमें 'मेरे सभी वारिसों' का जिक्र है, फिर भी इसमें संजय कपूर की मां, रानी कपूर का उल्लेख नहीं है, जिनके लिए पहले हमेशा प्रावधान किया गया था.

जेठमानी ने तर्क दिया कि वसीयत में वसीयतकर्ता को स्त्रीलिंग में संदर्भित किया गया है. जैसे "वह" और "उसकी" शब्दों का उपयोग किया गया है. उन्होंने इसे 'हास्यास्पद' बताया और सुझाव दिया कि संजय कपूर ने 'महिला के रूप में हस्ताक्षर' किए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी वसीयत का मसौदा कपूर की समझ वाले व्यक्ति से नहीं आ सकता. आगे उन्होंने इसे जालसाजी का सबूत बताया. वह बोले कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि संजय ने वसीयत तैयार की थी.

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अधिवक्ता जेठमलानी ने आगे कहा कि वसीयत में प्रामाणिकता की कमी है. संजय कपूर को 'डिजिटल भूत' के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि उनके पास केवल एक कथित डिजिटल निशान है, कोई हस्तलेखन, फोटोग्राफ या प्रमाणित संचार नहीं है. उन्होंने उल्लेख किया कि न तो प्रतिवादी और न ही गवाहों ने यह स्पष्ट किया कि वसीयत किसने तैयार की, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इसे नितिन शर्मा के लैपटॉप पर बनाया गया था.

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