बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद तीन जून को रिलीज हो रही फिल्म पृथ्वीराज में कवि चंदबरदाई के किरदार में नजर आने वाले हैं. सोनू अपने एक्टिंग करियर से तो फेमस हुए ही हैं, लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद करने के बाद उनकी लोकप्रियता नई ऊंचाई पर पहुंच गई है. aajtak.in से बातचीत में सोनू ने अपने करियर और अपने सामाजिक कार्यों को लेकर खुलकर बात की.
अपने करियर के मौजूदा दौर को सोनू सूद बेस्ट फेज मानते हैं. वो कहते हैं कि हाई है या लो, ये नहीं पता लेकिन मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं. हमेशा सोचता था कि दो सौ करोड़ या बड़ी फिल्मों का हिस्सा होना सक्सेस का पैमाना होता है. लेकिन अब लगता है कॉमन लोगों से जुड़ना और जरूरतमंद लोगों की मदद करना, यह सबसे संतोषजनक है.
फिल्म में सोनू सूद चंदबरदाई का किरदार निभा रहे हैं. उनकी मां स्कूल में हिंदी और हिस्ट्री की प्रोफेसर थीं. बचपन में वो उनसे चंदबरदाई, पृथ्वीराज की कहानियां सुनते रहते थे. सोनू कहते हैं कि जब मुझे यह किरदार ऑफर हुआ, तो मुझे इसे और भी जानने का मौका मिला. वो कितना लॉयल दोस्त, दूरदर्शी, वॉरियर था. मैं रोजाना सुबह तीन बजे सेट पर पहुंच जाया करता था, फिर सात बजे तक मेरा किरदार तैयार होता था. वो कहते हैं कि जब आप किरदार को लेकर उत्साहित होते हो, तो आप इसके प्रोसेस के दौरान किए स्ट्रगल को याद नहीं रखते.
सोनू मानते हैं कि आज के दौरान वॉरियर फिल्मों का बनना मुश्किल है. इसलिए कम बनती हैं. वे इस कारण भी ऐतिहासिक फिल्मों की दुनिया से दूर रहते हैं कहीं कॉन्ट्रोवर्सी में न आ जाएं या कोई प्रॉब्लम न हो जाए. सोनू कहते हैं कि हमें फिल्म को केवल एंटरटेनमेंट नहीं बल्कि एक सबक के तौर पर देखनी चाहिए. रही बात विवाद की, तो कुछ लोग उस तरह की किरदारों संग वो रिश्ता मानते हैं, तो वहीं कुछ वर्ग को बस विवाद करना होता है. उन्हें लगता है ऐतिहासिक फिल्म बनी है, चलो झंडा उठा लेते हैं. ऐसे भी एक सेक्शन हैं. ये वर्ग हमेशा से था और हमेशा रहेगा.
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कोरोना काल में सोनू सूद ने जिस तरह जरूरतमंदों की मदद की उसका असर उनके फिल्मी करियर पर भी पड़ा है. वो कहते हैं कि आजकल मुझे केवल पॉजिटिव रोल्स ऑफर होते हैं. एक फिल्म थी, जिसे दोबारा री-शूट किया गया और स्क्रिप्ट में बदलाव किए गएं क्योंकि मेकर्स का तर्क था कि पब्लिक हमें मारेगी. एक और सेट पर पहुंचा था, जहां सीन के अनुसार एक्टर मेरा कॉलर पकड़ता है, उसने यह कहकर सीन करने से मना कर दिया कि मुझे पब्लिक गाली देगी. अब लोग कहते हैं तुम्हें निगेटिव करवा कर हम कोई चांस नहीं लेना चाहते हैं. एक वक्त था कि जब मेकर्स मुझे पॉजिटिव रोल्स देने से डरते थे.
सक्सेस के लिए सोनू का मंत्र भी है. वो कहते हैं कि अगर आप इम्यून नहीं होंगे, तो शायद सरवाइव ही नहीं कर पाएंगे. दुख वाली बात यह है कि आप चाहे कहीं से भी हो, लोग आपको सक्सेसफुल नहीं देखना चाहते. ये मेरी ही नहीं हर किसी के जीवन की सच्चाई है, लोग चाहते ही नहीं है कि आप कामयाब हों. अगर आप इन सबको हैंडल कर सरवाइव कर जाते हो, तो यही आपका अचीवमेंट होता है. सक्सेस मेरे लिए यही है कि आप पानी के अंदर कितनी देर तक सांस रोक कर खड़े रह सकते हो. मैं वही कर रहा हूं.
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शूटिंग के दौरान का एक वाकया सोनू बताते हैं कि जब मैं पृथ्वीराज के सेट पर गया, तो वहां लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे. ये लोग वो थे, जिन्होंने आकर मुझसे कहा कि सर आप मेरी मां का इलाज कर रहे हो, सर आपने मेरे घर राशन पहुंचाया है, ये लोग गेटअप्स में थे. मैं शायद इनसे कभी मिला भी नहीं होऊंगा, कहीं न कहीं मैंने उनकी जिंदगी को छुआ है. यह मेरे जीवन का सबसे बेस्ट मोमेंट था. मेरे लिए अब यही सक्सेस है. मुझे पहले बहुत डर लगता था कि फिल्म चलेंगी या नहीं, मिलेगी या नहीं, को-एक्टर्स आपके साथ काम करना चाहेंगे या नहीं चाहेंगे. मैंने पिछले दो साल की यह जिंदगी जो जी है, अब मैं इन सब चीजों से आगे निकल चुका हूं. अब मुझे फर्क ही नहीं पड़ता है कि आप फिल्में ऑफर करें या न करें. मैं सिक्यॉर हूं या इनसिक्यॉर हूं. मैं अब इन लोगों के साथ ज्यादा इंजॉय करता हूं. अभी भी घर के बाहर सौ से दो सौ लोग खड़े होते हैं. मैं उनसे मिलता हूं, बात करता हूं. इसी में सुकून हैं.
सोनू सूद की हर कोई तारीफ ही कर रहा हो ऐसा नहीं है. एक वर्ग ऐसा भी था जिसने उनकी मंशा पर सवाल उठाए. हालांकि सोनू इससे परेशान नहीं दिखते. वो कहते हैं- मां हमेशा कहती थीं कि तुम जिस रास्ते में चल रहे हो और तकलीफें आती रहें, तो समझना कि तुमने सही रास्ता चुना है. मेरे रास्ते में बड़ी तकलीफें आती हैं. धीरे-धीरे वो ठीक भी हो जाता है.
नेहा वर्मा