शाहरुख को टार्गेट करने चले थे हेटर्स... पर उल्टा पड़ा नफरत का दांव! KING को मिला मुफ्त का प्रमोशन

शाहरुख खान की फिल्म 'किंग' का अनाउंसमेंट वीडियो आया. वीडियो में शाहरुख एक नए लुक में नजर आए. लोग क्रेजी होने लगे. इसी बीच कुछ शाहरुख हेटर्स की नींद टूटी और वो शाहरुख के आउटफिट को, ब्रैड पिट की नकल बताने लगे. इसके बाद जो हुआ, वो अब एक वायरल ट्रेंड है.

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शाहरुख की 'किंग' को ट्रोल करने वाले, फिल्म का फ्री प्रमोशन कर गए (Photo: ITGD) शाहरुख की 'किंग' को ट्रोल करने वाले, फिल्म का फ्री प्रमोशन कर गए (Photo: ITGD)

सुबोध मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 06 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

सुपरस्टार शाहरुख खान का कद कितना ऊंचा है? इस सवाल का सटीक जवाब तो शायद ग्रोक भी ना दे पाए. मगर पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया इसका एक छोटा सा अनुमान दे रहा है. शुरुआत शाहरुख के जन्मदिन, 2 नवंबर को हुई. उनकी नई फिल्म 'किंग' का टाइटल रिवील वीडियो सामने आया. इस टीजर स्टाइल वीडियो में फिल्म की एक झलक भी मिली. 

शाहरुख एक ऐसे रूप में नजर आए जो उन्होंने इससे पहले कभी नहीं धरा. उनका ये भौकाली लुक देखने के बाद फैन्स में बिजलियां दौड़ गईं. 'किंग' का ये वीडियो हर तरफ छाने लगा. फिर पार्टी में शाहरुख हेटर्स की भी एंट्री हुई. कई सोशल मीडिया हैंडल्स ने उनके लुक की तुलना हॉलीवुड स्टार ब्रैड पिट से शुरू कर दी. ऐसे सोशल मीडिया पोस्ट्स का निचोड़ ये था कि 'शाहरुख ने एक हॉलीवुड स्टार का लुक कॉपी किया है'. मगर उसके बाद जो हुआ, वो अब शाहरुख के तगड़े कद का एक और उदाहरण बन चुका है. 

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शाहरुख बनाम ब्रैड पिट 
'किंग' में अपने किरदार के इंट्रो के बाद शाहरुख का एक शॉट है. इसमें वो जेल से निकल रहे हैं और उन्होंने टैन कलर की जैकेट के साथ, ब्लू कलर की शर्ट पहनी है. आंखों पर स्क्वायर शेप के सनग्लास हैं और कंधे पर उन्होंने एक बैग टांगा है. ये लुक देखकर शाहरुख फैन्स ही नहीं, आम फिल्म दर्शक भी मौज में आ गए. आखिर बॉलीवुड का ऐसा सुपरस्टार, जिसका करियर कुछ साल पहले निपटा हुआ माना जा रहा था, एक बार फिर से कुछ बहुत डिफरेंट लेकर आ रहा है. 

मगर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स को इसी साल आई हॉलीवुड फिल्म 'F1' याद आ गई. इसके एक सीन में ब्रैड पिट, बिल्कुल वैसी ही आउटफिट में नजर आए थे, जैसा शाहरुख ने 'किंग' में पहना है- टैन जैकेट के नीचे, ब्लू शर्ट. थोड़ी ही देर में दोनों सुपरस्टार्स के एक जैसे लुक वाले फोटोज का कोलाज पूरे सोशल मीडिया पर फैलने लगा. 

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शाहरुख के स्टारडम ने तोड़ा नेगेटिविटी का चक्रव्यूह
कुछ देर तो सोशल मीडिया पर शाहरुख और ब्रैड पिट के एक जैसे आउटफिट वाले फोटो खूब चले. तबतक किसी यूजर ने 2017 में आई फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' से एक फोटो शेयर किया, जिसमें शाहरुख के कपड़ों का कॉम्बिनेशन ऐसा ही था- टैन जैकेट, ब्लू शर्ट. साबित हुआ कि शाहरुख, ब्रैड पिट से पहले भी इस स्टाइल में नजर आ चुके हैं. 

इसी कड़ी में कोई 'शिवाजी- द बॉस' से इसी स्टाइल में रजनीकांत की तस्वीर निकाल लाया. तो जवाब में कोई 90s से इसी स्टाइल में शाहरुख की पुरानी तस्वीर निकाल लाया. किसी ने ऐसे ही स्टाइल में सलमान की पुरानी फोटो खोज ली, तो कोई अजय देवगन की ऐसी फोटो ले आया. 'किंग' का टाइटल रिवील वीडियो आए सिर्फ तीन दिन हुए हैं. आज राजेश खन्ना से लेकर देव आनंद तक और ऋतिक रोशन से लेकर, उनके एलियन दोस्त जादू तक की वो तस्वीरें खोजी जा चुकी हैं, जिनमें ये टैन और ब्लू कलर का कॉम्बिनेशन है. 
और ये सब होने की सिर्फ एक वजह है— सवाल शाहरुख पर उठा था. 

शाहरुख के 'किंग' वाले स्टाइल में हर एक्टर की तस्वीरें खोज चुका है इंटरनेट (Photo: X/@Fir3lordZuk0)

शायद पहली बार ये सवाल उठाने वाले को अंदाजा ही नहीं था कि वो क्या करने जा रहा है. शायद उसे ये आईडिया ही नहीं था कि शाहरुख के जिस स्टाइल को वो 'चोरी' बताना चाह रहा है, वो पुरुषों का एक एवरग्रीन स्टाइल है. शाहरुख को 'नकलची' साबित करने निकले इन ट्रोल्स की हरकत का अंजाम ये हुआ कि पूरा सोशल मीडिया शाहरुख और 'किंग' की बात कर रहा है. यानी मुफ्त का प्रमोशन, वो भी इतना तगड़ा! 

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नफरत से पैसे कमाने का सोशल मीडिया गेम 
क्या आपने 'रेज-बेट' सुना है? या 'रेज-फार्मिंग'? 'रेज' का मतलब होता है गुस्सा. और 'बेट' का मतलब चारा. यानी गुस्से का चारा डालकर, सोशल मीडिया से एंगेजमेंट (और पैसा) बटोर लेना कहलाता है रेज-फार्मिंग. लॉकडाउन के बाद से ये काम जोरों पर है. बॉलीवुड इस खेती के लिए एक परफेक्ट जमीन भी है क्योंकि वहां से कंटेंट तो खूब निकलता ही है. 

लॉकडाउन और उसके ठीक बाद वाले सालों में इंडस्ट्री में ड्रग्स को लेकर, सेलेब्स के बिहेवियर को लेकर तमाम तरह के आरोप लगे. इससे ऑडियंस में इंडस्ट्री को लेकर एक नेगेटिव परसेप्शन बना. इन आरोपों के बलबूते खड़े हुए कानूनी केस और शिकायतें आज कहां है, ये पूछने वाला कोई नहीं है. मगर इस नेगेटिव परसेप्शन को रेज-फार्मिंग वाले खूब भुनाते हैं. जब भी किसी फिल्म का पोस्टर-टीजर-ट्रेलर-गाना आएगा, थोड़ी देर बाद उसमें मीन-मेख निकालने वाला कंटेंट भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगता है. 

करण जौहर, दिनेश विजन जैसे तमाम बड़े प्रोड्यूसर बताते-बताते थक चुके हैं कि ये रेज-फार्मिंग कैसे बॉलीवुड को नुकसान पहुंचाता है. क्योंकि हर फिल्म को एक नेगेटिव परसेप्शन तक सीमित कर दिया जाता है. दर्शक को कोई फिल्म दिलचस्प लग भी रही हो तो केवल एक सोशल मीडिया पोस्ट देखते ही उसका मोरल डाउन हो जाता है— 'अरे यार ये भी कॉपी है!' लेकिन इन प्रोड्यूसर्स की सुने कौन... वो खुद रेज फार्मिंग के शिकार बन चुके हैं. उन्हें लेकर ही जनता में नेगेटिव परसेप्शन बनाया जा चुका है.

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किसी भी फिल्म, सीन, या गाने को बिना सोचे-समझे 'कॉपी-चोरी' कह देना इतना आम हो गया है कि अगर ऐसा करने वालों पर प्रोड्यूसर्स मानहानि का केस करने लगें, तो शायद बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से ज्यादा कमा लेंगे! मगर ये वायरस है कि थमने का नाम ही नहीं लेता. साउथ में इससे ठीक उलट है. लोगों में फिल्मों का दीवानापन है. कोई सीन, गाना, एक्टर का स्टाइल सच में कॉपी हो भी तो लोग फिल्म देखने से नहीं चूकते. उनके लिए थिएटर में सिनेमा का एक्सपीरियंस इस बात से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि कंटेंट इंस्पायर्ड है, चोरी है, कॉपी है, रीमेक है या नहीं. 

'सब कुछ नकल ही तो है'
आर्ट्स की दुनिया में एक बहुत मार्के की लाइन चलती है- 'नो आर्ट इज ऑरिजिनल.' यानी कोई भी कला ऑरिजिनल नहीं है. हर आर्टिस्ट जब एक आईडिया देखता है, तो उसे अपने विचार के साथ पेश करने की तलब यकायक उठती है. इस नए विचार को फिर कोई नया आर्टिस्ट, एक नए चश्मे से जनता को दिखाता है. ये सर्कल इसी तरह-गोल-गोल चलता जाता है. 1962 में शक्ति सामंत ने शम्मी कपूर को लेकर 'चाइनाटाउन' फिल्म बनाई. कहानी में सड़कों पर गाने वाले सिंगर को, एक गैंगस्टर की जगह लेकर, उसकी हत्या करनी है. क्योंकि दोनों की शक्ल एक जैसी है... कितना मजेदार आईडिया था न! 

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ये प्लॉट आपको अमिताभ बच्चन की 'डॉन' (1978) की याद दिलाएगा. फिर 'डॉन' वाली जमीन पर ही रजनीकांत की 'बिल्ला' (1980) बनी. 'बिल्ला' टाइटल से 2007 में अजित कुमार की तमिल में; और 2009 में प्रभास की फिल्में भी आईं. इन सभी फिल्मों की जड़ में एक ही आईडिया है- गैंगस्टर के संसार में, साधारण जिंदगी जीने वाले उसके हमशक्ल की एंट्री. मगर इन सारी फिल्मों के ट्रीटमेंट का फर्क आपको दिखेगा, सबका अपना स्टाइल था, सबका अपना स्वैग था. और कमाल देखिए, ये सारी फिल्में कामयाब थीं. हिट भी नहीं, बड़ी-बड़ी ब्लॉकबस्टर थीं. 

शेक्सपियर के 'रोमियो एंड जूलियट' से इंस्पायर होकर लगभग हर दशक में, कम से कम एक बॉलीवुड फिल्म बनी है. लिस्ट देखिए- बॉबी (1973), एक दूजे के लिए (1981), कयामत से कयामत तक (1989), सौदागर (1991), इशकजादे (2012), राम लीला (2013) वगैरह. क्या इनमें से कोई फिल्म फ्लॉप है या पॉपुलर नहीं है?! 

फर्क सिर्फ इतना है कि ये सोशल मीडिया की रेज-फार्मिंग का शिकार नहीं हुईं. वरना संजय लीला भंसाली की 'रामलीला' को तो ट्रोल्स सिर्फ ये बताकर फ्लॉप करवा देते कि इसकी कहानी, पिछले साल आई 'इशकजादे' जैसी है. शायद ऐसे ही किसी ने शाहरुख के 'किंग' वाले लुक को 'हॉलीवुड फिल्म की नकल' बताने की कोशिश की होगी. हालांकि, हो उल्टा गया और फ्री में फिल्म की तगड़ी मार्केटिंग हो गई. अब तो 'किंग' कभी भी आए, इसके लिए दमदार माहौल तैयार हो चुका है.

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और ये सिर्फ इसलिए कि अब शाहरुख अलग लेवल पर हैं. उनकी पॉपुलैरिटी अलग लेवल पर है. ये रेज-फार्मिंग जैसे टोटके उनपर असर करना बंद कर चुके हैं. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इस रेज-फार्मिंग का असली शिकार कौन था? ये टोटका करने वाले को किससे उम्मीद रही होगी कि शाहरुख को, या किसी भी फिल्म-सीन-गाने को 'नकल' बताकर सोशल मीडिया पर पैसे पीटे जा सकते हैं? कहीं वो आप तो नहीं!

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