संंजय दत्त की जिंदगी अक्सर एक परेशान हीरो की तरह रही है, जिसमें ऊंचाइयां, गिरावटें और जबरदस्त विवाद शामिल हैं. शायद इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि फिल्ममेकर राजकुमार हिरानी ने उनके सफर को एक बायोपिक में दिखाने का फैसला किया. आखिरकार, उनकी जिंदगी में एक आकर्षक कैरेक्टर आर्क के सारे गुण मौजूद हैं. इसमें ड्रग्स, हथियार, जेल, घोटालों भरी लव लाइफ, माता-पिता के साथ उलझे रिश्ते शामिल हैं.
संजय की जिंदगी के सबसे विवादास्पद अध्यायों में से एक उनकी ड्रग एडिक्शन से लड़ाई रही है. खासकर अपनी मां और दिग्गज एक्ट्रेस रहीं नरगिस की मौत के बाद. संजय ने इस बारे में शायद ही कभी बात की हो, लेकिन अब उन्होंने खुलकर बात की है. द हिमांशु मेहता शो पर उन्होंने अपनी एडिक्शन की गहराई को समझने के उस पल और उसे छोड़ने की प्रेरणा के बारे में खुलासा किया.
ड्रग्स के नशे में रहते थे संजय
उन्होंने कहा, 'टर्निंग पॉइंट मैं खुद था. एक सुबह मैं उठा, बाथरूम गया और खुद को देखा, तो मैं डर गया. मैं देख सकता था कि मैं मर रहा हूं. मेरा चेहरा कुछ और ही लग रहा था. इसलिए मैं उस समय अपने पिता (सुनील दत्त) के पास मदद के लिए गया. उन्होंने मेरी मदद की और मेरे साथ खड़े रहे. मैं उन खुशकिस्मत लोगों में से एक था जिन्हें उन दिनों अमेरिका के एक रिहैब में भेजा गया. मैंने वहां दो साल बिताए.'
रिहैब में बिताए समय को याद करते हुए एक्टर ने बताया, 'उन दो सालों में मैं काउंसलरों के साथ बाहर घूमा, झील के किनारे गया, बारबेक्यू किया. मैं ज्यादा इंटरएक्टिव हो गया, ज्यादा बातूनी. मैं सिनेमा के बारे में बात करता, ये-वो सब कुछ. मैंने कहा, 'ये क्या बकवास है, मैं इतने साल बर्बाद कर रहा था?' इस खूबसूरत झील को देखने, बारबेक्यू करने, हाईवे पर मैराथन दौड़ने, बाइक राइड लेने की बजाय... ये कुछ और ही था, जो मैंने इतने सालों से कभी अनुभव नहीं किया था. मैंने कहा, 'चाहे कुछ भी हो, यही जिंदगी मैं चाहता हूं. जो मैं जी रहा था, वो नहीं.' यही टर्निंग पॉइंट था.'
रिहैब दोबारा जाना चाहते हैं?
संजय दत्त ने युवाओं से ऐसी गलतियों में न फंसने की अपील की और जोर देकर कहा कि बदलाव खुद से शुरू होता है. जब पूछा गया कि क्या ट्रीटमेंट पूरा करने के बाद कभी रिहैब वापस जाने की इच्छा हुई, तो उन्होंने साफ कहा, 'कभी नहीं. अब करीब 40 से ज्यादा साल हो गए. कभी नहीं. क्योंकि जब मैं उस जिंदगी को पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है 'वो मैं नहीं था', और मुझे नहीं पता मैं वो कैसे कर रहा था.'
इसी बातचीत में संजय दत्त ने एक और उथल-पुथल भरे अध्याय पर विचार किया. 1993 मुंबई बम धमाकों के बाद आर्म्स एक्ट के तहत उन्हें जेल हुई थी. उन्होंने याद किया, 'मेरे पिता को धमकियां मिल रही थीं, मेरी बहनों को धमकियां मिल रही थीं. उन्होंने कहा कि मेरे पास बंदूक थी, लेकिन वे इसे साबित नहीं कर सके. इसलिए मुझे नहीं पता कि आखिर क्या था जिसने मुझे अंदर डाला. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि उन्हें ये समझने में 25 साल क्यों लग गए कि मैं टाडा एक्ट में या बम ब्लास्ट केस में शामिल नहीं था. मुझे नहीं पता कि उन्हें ये समझने में 25 साल क्यों लग गए, और फिर आर्म्स एक्ट में बंदूक के बिना, बंदूक मिले बिना ही सजा सुना दी.'
जल्द संजय दत्त को फिल्म 'धुरंधर' में देखा जाएगा. ये पिक्चर 5 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इसमें रणवीर सिंह, सारा अर्जुन, अर्जुन रामपाल, आर माधवन और अक्षय खन्ना भी हैं. डायरेक्टर आदित्य धर ने इसे बनाया है.
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