बॉलीवुड एक्ट्रेस सैयामी खेर हाल ही में स्पेशल ऑप्स सीरीज में एक दमदार एजेंट का रोल निभाती दिखीं हैं. इससे पहले वो घूमर में स्पेशिली एबल्ड क्रिकेटर के रोल में दिखी थीं. उन्हें खुद एक्शन करना पसंद है, वो डेडिकेशन से हर किरदार निभाना पसंद करती हैं. बावजूद इसके कि कोई फिल्म मेकर उन्हें एक फिल्म के लिए चार साल इंतजार करने को कहे. सैयामी ने आजतक से एक्सक्लुसिव बात की, और अपनी फीलिंग्स शेयर करते हुए बताया कि जिस फिल्म में उन्हें मेहनत नहीं करनी पड़ती वहां उनका मन नहीं लगता. सैयामी को वहीं फिल्में पसंद आती हैं जहां उन्हें नया कुछ सीखने को मिले. पढ़ें पूरी बातचीत...
स्पेशन ऑप्स में केके मेनन के साथ शूट ना कर पाने का रहा मलाल?
सैयामी- स्पेशल ऑप्स के साथ मेरी बहुत लंबी जर्नी रही है क्योंकि मैंने ये सीरीज सात साल पहले साइन की थी. हम अक्सर दो सीजन्स के लिए एकसाथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करते है. तो ये जर्नी लंबी रही लेकिन बहुत अच्छी रही है. इस जर्नी में बहुत अच्छे लोग मिले. केके मेनन भी इस सीरीज में हैं, पर बदकिस्मती से उनके साथ मेरी कोई शूटिंग नहीं हुई. लेकिन जब भी उनसे मुलाकात हुई, वो बहुत ही ग्राउंडेड एक्टर हैं. मतलब इतने कि जैसे कहा जाता है वो दिग्गज कलाकार हैं, पर वो इतने जमीन से जुड़े और इतने नॉर्मल इंसान हैं, इसलिए उन का क्राफ्ट हमें जो दिखता है वो इतना रियल लगता है.
और नीरज सर जिन्होंने ये सीरीज डायरेक्ट की है, उनकी Wednesday मेरी सबसे फेवरिट फिल्म रही है, जब मैं स्कूल कॉलेज में थी तो नीरज सर के साथ काम करने का मौका मिल रहा था, तो उसमें ही मैं मैंने बहुत सेलिब्रेट किया था. तो मुझे लगता है कि मेरी जर्नी जो रही है अब की वो हमेशा अच्छे लोगों के साथ ही रही है, जो कि बेस्ट पार्ट है.
आसान नहीं रही जर्नी, एक्शन से क्यों है खास लगाव?
सीरीज में मुझे एक्शन करने का मौका मिला जो कि बेस्ट पार्ट है. क्योंकि तो मुझे एक्शन करना बहुत अच्छा लगता है. ये बहुत नैचुरल है मेरे लिए. मैं तो बहुत खुश थी. एक्शन सीन के लिए हम बहुत प्रैक्टिस करते हैं. जैसे डांस की कोरियोग्राफी होती है वैसे ही एक्शन की भी कोरियोग्राफी होती है. मुझे तो बहुत मजा आता है. ये सब रोल्स करना और बिल्डिंग से जंप करना मुझे बहुत मजा आता है. तो फॉर्च्यूनेटली अभी तक तो कोई चोट नहीं लगी है, ना ही मैंने कभी महसूस नहीं की है थैंकफुली.
मेरी शुरुआत एक लव स्टोरी मिर्ज्या के साथ हुई थी. फिल्म की कहानी हालांकि बहुत सीरियस थी. फिर उसके बाद मुझे लगता है मेरी जर्नी ऐसे रही नहीं है जैसे एक नदी बिना किसी रुकावट बहती जाती है, उसमें बहुत पड़ाव आए हैं.
मुझे नीरज पांडे सर का काम पहले से ही पसंद रहा है. स्पेशल ऑप्स की स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी. जैसे जब मुझे अग्नि मिली थी, उसकी स्क्रिप्ट कितनी अच्छी थी. इससे पहले इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में हमने कभी फायर फाइटर के बारे में बात ही नहीं की है. तो मैं ऐसे अपने काम को चूज करती हूं. ऐसा नहीं कि हजारों स्क्रिप्ट पड़ी हैं घर पर, वो सिचुएशन तो है नहीं. तो आपके पास मौका होता अच्छे डायरेक्टर्स और अच्छी स्क्रिप्ट पर काम करने का, जो मैं करती हूं, जिससे मुझे लोगों तक पहुंचने का मौका मिलता है.
काम मिलने के लिए काम करते रहना जरूरी है- अक्षय कुमार से ली सीख?
नहीं, सच कहूं तो मुझे कई अलग-अलग किरदार ऑफर हुए थे. मैंने अग्नि की, अभिषेक बच्चन के साथ ब्रीद की थी, तो मैं चाहती हूं वो काम करूं जिसकी एक अलग पहचान हो. वो कहानी को आगे बढ़ाए. ऐसा नहीं कि बस काम कर रहे हैं. और रोमांटिक फिल्मों का ऑफर मिला था मुझे, पर कुछ बात बनी नहीं. वो कभी हुई नहीं, तो उसी के इंतजार में बैठे नहीं रह सकते. तो एक बार अक्षय कुमार के इंटरव्यू में मैंने देखा था और मुझे वो बहुत लाइन बहुत पसंद आई थी कि काम से काम मिलता है तो बिल्कुल. मेरे लिए तो वही हुआ है. मैंने अगली फिल्म चोक्ड की अनुराग कश्यप के साथ, इसके बाद अग्नि मिली, उसके बाद मैंने फाड़ू की, जो एक लव स्टोरी थी. एक के बाद एक काम मिला था. तो मुझे लगता है कि मुझे काम से काम मिल रहा है तो छोटा भी काम हो, बड़ा हो, सब ठीक है. जैसे घूमर की वजह से मुझे एक दूसरी फिल्म मिली. हर काम का एक इम्पैक्ट होना चाहिए.
हर फिल्म के लिए ली अलग और मुश्किल ट्रेनिंग, कभी किया रिग्रेट?
नहीं बिल्कुल नहीं. मुझे आसान काम करना ही नहीं है, क्योंकि उसमें मजा ही नहीं है. उस तरह का काम करने के लिए मैं यहां आई नहीं थी. क्योंकि अगर तैयारी नहीं होती, अगर कुछ प्रेस बैक स्टोरी नहीं होती तो मुझे ऐसा लगता है कि यार फिर मैं ये क्यों कर रही हूं. चैलेंजिंग ही नहीं है. मुझे एक्टिंग में सबसे ज्यादा मजा जो आता है वो प्रेशर में है. मेरे जो गुरु जी रहे है- दिलीप शंकर और आदिल हुसैन उनके साथ जो ट्रेनिंग करती थी, मैं हर कैरेक्टर के लिए एक बैक स्टोरी क्रिएट करती थी. अगर वो फिल्म है नहीं है तो भी. अगर घूमर की बात करें तो मैंने पैरा-एथलीट्स के साथ बहुत वक्त गुजारा, तीन चार लोगों के साथ बहुत बातें की. उनकी जिंदगी मैंने समझी. अग्नि के लिए फायर फाइटर्स के साथ बहुत वक्त गुजारा. मैंने उन की जिंदगी समझी. इसलिए मुझे एक्टिंग करना पसंद है क्योंकि हम अलग-अलग जिंदगियां जी सकते हैं. उसके अंदर घुसेंगे नहीं तो क्या मजा है.
कैसे अनुराग कश्यप से करवाई 'चोक्ड' की शूटिंग शुरू?
वो तो अनुराग सर की स्टाइल ही वैसी है. क्योंकि वो इतना सारा काम करते रहते हैं. नॉनस्टॉप कि मेरा नंबर चार साल बाद लगा. लेकिन अनुराग सर में मुझे एक बहुत अच्छे दोस्त मिले, बहुत अच्छे मेंटर मिले और आज भी कुछ भी होता है मैं अनुराग सर को फोन करती हूं और पूछती है करना चाहिए नहीं करना चाहिए. जो भी है मैं उनसे एक बार पूछ लेती हूं. फिल्म की बात करूं तो, मैंने तो गिव-अप कर दिया था. ऐसा हुआ था कि मैंने उनसे कह दिया था कि आप ये सब छोड़ दो, ये फिल्म तो आप करने ही नहीं वाले हो. मैंने तो कहा था कि मैं अब ये फिल्म की बात ही नहीं करने वाली हूं. छोड़ ही दो इस के बारे में, पर उस उसी दौरान एक्चुअली, वो कहते थे कि नहीं अभी मनमर्जियां होगी. फिर सेक्रेड गेम्स होगी फिर हम चोक्ड करेंगे. टेंशन मत ले, करेंगे.
क्योंकि मुझे भी वो किरदार करना था. मतलब मैं इतनी डेस्परेटली इसे करना चाहती थी कि राइटर के साथ मिलकर खुद से फोटोशूट करा लिया. एक दोस्त की मदद ली, कॉटन साड़ी ली और फोटो खिंचवा कर अनुराग सर को दिखाए. तो वो इतने खुश हुए कि उन्होंने कहा कि यार यही सरिता है. तूने लूक टेस्ट भी कर दिया अब तो फिल्म करनी ही है. तो मैं हिसाब से जो बन सकता है करती रहती हूं. फिल्म तो वो बनाते ही पर हां पीछे पड़ने से थोड़ी जल्दी हो गई.
स्पोर्ट्स या एक्टिंग- क्या है प्रायोरिटी?
मैं बचपन से स्पोर्ट्स करती आ रही हूं. एक्टिंग उसके बाद शुरू की. पर मैं जो भी करती हूं संयम से करती हूं, तो मेरा जो नाम है उसे मैं ध्यान में रख के सब जो भी है करती हूं. एक्टिंग ऑब्वियसली मेरी प्रायोरिटी है और मुझे एक्टिंग करना बहुत ज्यादा पसंद है पर, स्पोर्ट्स मुझे एक आइडेंटिटी भी देती है, जो अलग है. मुझे मेंटली स्टेबल रखता है तो इसीलिए मैं स्पोर्ट करती हूं. मैं मैं खेलती हूं तो बैलेंस रहती हूं- प्रोफेशनली या पर्सनली.
मेरी स्कूलिंग नासिक में हुई है. मेरे मम्मी-डैडी नासिक में रहते हैं. मैं इलेवेंथ स्टैंडर्ड के लिए मुंबई आई थी और वहां मैंने थिएटर शुरू करना स्टार्ट किया क्योंकि जेवियर्स में थिएटर कल्चर बहुत रिच है. जब आप पंद्रह-सोलह साल के हो तो आप इंडिया के लिए नहीं खेलते हो. तब मैं इंडिया के लिए नहीं खेल रही थी. प्रोफेशनली आप समझ जाते हो कि यहां तो कुछ नहीं हो पाएगा. मैं 8 या 9 नंबर पर थी. तो मैंने थियेटर करना स्टार्ट किया. वहां से फिर एक के बाद एक कुछ ऑडिशन देने लगे. तो वहां से जर्नी शुरू हुई एक्टिंग की.
सपोर्ट्स मेरे जहन से कभी बाहर जा ही नहीं सकता, ये मेरा फर्स्ट लव है. हमारी जो इंडस्ट्री है वो हमें जो इंस्टाग्राम पर दिखती है वो जिंदगी है नहीं असल में. बहुत मुश्किल जिंदगी है और बहुत अप्स एंड डाउन आते हैं जिंदगी में, बहुत कठिन पल होते हैं. जहां कई बार काफी टॉक्सिक लोगों से सामना होता है. सोशल मीडिया पर काफी टॉक्सिक बातें होती है. और अगर लोगों की बातें आप पर इफेक्ट करने लगी तो जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा. तो स्पोर्ट्स मेरे अपने सेल्फ बिलीफ को जगाता है. ऐसे नहीं कि मुझे इंडिया के लिए मेडल वेडल कुछ लेने है. मैं ये अपने लिए अपनी खुशी के लिए करती हूं.
घूमर के लिए की जी-तोड़ मेहनत, हुई फ्लॉप, टूटा दिल?
नहीं, घूमर से बहुत साल पहले मैं शर्माजी की बेटी साइन कर चुकी थी. लेकिन फिर डायरेक्टर ताहिरा कश्यर बीमार पड़ गईं तो वो फिल्म शेल्व हो गई. इसके बाद मुझे मेरे स्पोर्ट्स बैकग्राउंड को देखते हुए ही घूमर ऑफर की गई थी. आर बाल्की सर ने क्योंकि मुझे क्रिकेट खेलते वक्त देखा था. और स्क्रिप्ट इतनी अच्छी थी कि मुझे और मेहनत करना कारगर ही लगा. उसे तो मैं कभी ना नहीं कह सकती थी.
सही मायने में अगर मैं कहूंगी कि बॉक्स ऑफिस पर फेल होना घूमर का बुरा नहीं लगा तो झूठ होगा. लेकिन वहीं मुझे उस फिल्म से एक बड़ी सीख मिली थी कि एक एक्टर के तौर, जब लास्ट डे शूट का कट कॉल होता है तो मैं पूरी तरह से कटऑफ हो जाती हूं. क्योंकि मेरा काम है एक्शन से कट, जब बुलाएंगे तो प्रमोशन करना है. क्योंकि अगर उसी में खुद की सारी उम्मीद लगा दूं तो मुश्किल हो जाएगा. एक एक्टर के तौर पर ये दिक्कत दे सकता है. क्योंकि उसके बाद की चीजें मेरे हाथ में नहीं हैं. मैंने आजतक जो भी काम किया है अच्छे-बुरे सभी तरह के ओपिनियिन्स आए, लेकिन घूमर के लिए एक इंसान ने नहीं कहा कि अरे यार क्या बकवास फिल्म कर डाली. मुझे इसके लिए बिल्कुल हेट नहीं मिला. बस हमारी टाइमिंग रिलीज के लिए गलत रही, लेकिन वो मेरे हाथ में नहीं है. तो क्या कर सकते हैं.
अमिताभ ने लिखी चिट्ठी, अभिषेक को हुई जलन?
मुझे अमित जी ने चिट्ठी लिखी थी जो अक्सर लिखते हैं और वो मेरे लिए नेशनल अवार्ड के बराबर है. वो चिट्ठी देखकर तो अभिषेक बच्चन अभी भी हंसते भी हैं और रोते भी हैं कि आज तक उन्हें चिट्ठी मिली नहीं है, उनके पिता जी से. तो एक एक्टर के तौर पर ये अच्छा लगता है. मिस्टर. बच्चन अक्सर जिनका काम अच्छा लगता है, उन्हें एक फूलों का गुलदस्ता और एक चिट्ठी देते हैं. तो मेरे लिए वो किसी सपने जैसा था. जब घूमर रिलीज हुई और घंटी बजी क्योंकि मैं बिल्कुल एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी. मेरे लिए वो सही में नेशनल अवार्ड की तरह है. मैंने उस चिट्ठी को फ्रेम करके रखा है. अभिषेक बच्चन भी उतने ही बेहतरीन कलाकार और इंसान हैं. उनके साथ काम करने में मजा आता है. उनसे हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता है.
नॉर्थ-साउथ की डिबेट, कास्टिंग काउच ट्रेंड पर क्या बोलीं सैयामी?
मेरा ओपिनियन यही कहता है की यार आपको हिंदी में, तेलुगु में, गुजराती में, किसी भी लैंग्वेज में फिल्म बनानी है, बनाओ लेकिन अच्छी कहानी बताओ तो वो फिल्म चलेगी. ये पॉलिटिक्स और लैंग्वेज डिवाइड में मैं कभी घुसती नहीं हूं. मलयालम फिल्म मुझे पसंद आई क्योंकि वो स्टोरी अच्छी है. मुझे मराठी फिल्म इतने सारे मिले क्योंकि स्टोरी अच्छी थी. ऐसे नहीं कि चलो उसकी पैकेजिंग करो या बढ़ा चढ़ा कर बात करो. आप सैयारा को देख सकते हैं, कितना अच्छा बिजनेस कर रही है. मैंने देखी नहीं है लेकिन सुना है कि कहानी और गाने अच्छे हैं, तो भाषा कोई भी हो फिल्म की कहानी अच्छी होगी तो चलेगी.
ये नॉर्थ-साउथ के बारे में नहीं है. मुझे लगता है कि ये बिल्कुल पर्सनल एक्सपीरियंस है. मैं बहुत लोगों को जानती हूं, जिन्होंने पंजाबी और हिंदी दोनों जगहों पर इसका सामना किया है. ये प्रोजेक्ट बेस्ड भी होता है कि इस पर काम करते हुए मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा. यहां किसी पर्टिकुलर जगह की बात नहीं आती. आपसे कोई बुरा बर्ताव करता है तो ये इंसानी प्रॉब्लम है. ये इंडस्ट्री की रिएलिटी है और लोग आसानी से बचकर निकल भी जाते हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि ये जल्द ही बदलेगा. हां, पर ये होता है लेकिन नॉर्थ-साउत के बेसिस पर नहीं, ये पूरी तरह से इंसान और उस प्रोजेक्ट पर निर्भर करता है.
इकलौती एक्ट्रेस जिन्होंने दो बार कम्प्लीट की आयरन मैन रेस. एक्टिंग और स्पोर्ट्स है ओनली लव?
आयरनमैन और रेस का गोल तो मेरा हमेशा रहेगा. ये मेरी सुबह उठने की वजह है. तो हर साल कुछ ना कुछ मुझे करना तो. लेकिन अभी मेरे पास फिल्में लाइन-अप हैं. जिनकी शूटिंग अगस्त में शुरू होंगी. मेरी लव लाइफ में सिर्फ स्पोर्ट्स और एक्टिंग है. इतना वक्त कहां रहता है. उसी में सब लग जाता है. बाकी वो कहते हैं ना कि 'नेवर से नेवर'. पर अभी तो नहीं.
आरती गुप्ता