CBFC के घूस वाले मामले में एक्स चेयरपर्सन पहलाज निहलानी से जब आजतक डॉट इन ने बातचीत की, तो उनका कहना था, मेरी यही राय है कि इंडस्ट्री की भलाई के लिए प्रसून जोशी को इस्तीफा दे देना चाहिए. अगर वो वक्त नहीं दे पा रहे हैं, तो उनका कोई हक नहीं बनता है कि वो उस कुर्सी पर बैठे रहें. वो चेयरमैन ऑफिस में बैठते ही नहीं है और सारा पॉवर सीओ को दे रखा है. क्लीयरेंस का काम चेयरमैन का होता है, लेकिन वहां तो सीओ कर रहा है. सीओ का काम बस एडमिनिस्ट्रेशन देखने का है. सेंसरबोर्ड ऑफिस में जो हो रहा है, वो बहुत शर्मनाक है.
पहलाज आगे कहते हैं, उस प्रोड्यूसर बंदे ने तो अब जाकर हिम्मत दिखाई है. लेकिन बता दूं ये करप्शन का सिलसिला बहुत समय से चल रहा है. मुझे कई प्रोड्यूसर्स के मेसेजस आते हैं, वो कहते हैं कि सर आप नहीं थे तो हमें कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब जो है, वहां बिना पैसे के कुछ होता ही नहीं है. यहां तक कि लोग फिल्में भी नहीं देखते हैं. इन कंपलेन के बाद मैंने सीबीएफसी के कंर्सन मेंबर से कहा भी था कि मामले की गंभीरता को समझो. मेरा एक जानकार है, उसने कन्नड़ फिल्म बनाई थी, उसे भी हिंदी डब की सर्टिफिकेट के लिए टाला गया और बाद में पैसे लेने के बाद उसकी फिल्म को सर्टिफिकेट दिया गया. यहां करप्शन इतना खुल्लम-खुल्ला हो रहा है. अब देखना कई प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर सामने आएंगे और अपनी व्यथा बताएंगे.
अब तो प्रोड्यूसर्स की हिम्मत बढ़ेगी और वो इस करप्शन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे. पहले तो रिश्वत हजारों में होती थी लेकिन तब्दील होकर लाखों में बदल गई है. पहले ट्रिब्यूनल हुआ करता था, लेकिन गर्वनमेंट ने ट्रिब्यूनल का ऑप्शन ही खत्म कर दिया है. सरकार ने यह तय किया कि अब डायरेक्ट सीबीएफसी ही सारा क्लीयरेंस देगी और अगर किसी प्रोड्यूसर को आपत्ति है, तो वो कोर्ट का दरवाजा खटखटाए, तो जाहिर तौर पर करप्शन बढ़ेगा.
क्या है मामला
विशाल की फिल्म मार्क एंटनी, 15 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. फिल्म का हिंदी वर्जन 28 सितंबर को रिलीज होगा. इस बीच एक्टर ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है. विशाल ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानी CBFC को लेकर बड़ा दावा किया है. विशाल का कहना है कि अपनी फिल्म के हिंदी वर्जन का सेंसर सर्टिफिकेट लेने के लिए उन्हें CBFC को 6.5 लाख रुपये की घूस देनी पड़ी. विशाल का कहना है कि अपने दावों को सही साबित करने के लिए उनके पास सबूत भी हैं. उन्होंने वीडियो जारी कर अपनी बात को दुनिया के सामने रखा है. इससे सभी को बड़ा झटका लगा है.
'हमने सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन भरा था और हमें आखिरी पल में यहां आना पड़ा क्योंकि कोई तकनीकी दिक्कत हो गई थी. लेकिन मुंबई के CBFC ऑफिस में जो हमारे साथ हुआ उससे हम हैरान थे. जब मेरे साथी उस ऑफिस पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि 6.5 लाख रुपये जमा करवा दीजिए आपको आज ही सर्टिफिकेट मिल जाएगा. हमें और कोई ऑप्शन नहीं दिया गया. CBFC में स्क्रीनिंग के लिए हमें 3 लाख देने थे और सर्टिफिकेट पाने के लिए और 3.5 लाख.'
नेहा वर्मा