'झूम बराबर झूम शराबी' के सिंगर अजीज नाजां ने कभी नहीं छुई थी शराब, घर से भागकर सीखा था संगीत

अजय देवगन की फिल्म 'दे दे प्यार दे 2' में गाना आया है 'झूम शराबी'. इस गाने में आइकॉनिक कव्वाली 'झूम बराबर झूम शराबी' को रीक्रिएट किया गया है, जिसे अजीज नाजां ने गाया था. लोगों को लगता है कि अजीज तो पक्के शराबी रहे होंगे. मगर अब उनकी पत्नी ने AajTak.in को उनकी पूरी कहानी बताई है.

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'5 राइफल्स' फिल्म से बहुत पॉपुलर हुआ था 'झूम बराबर झूम शराबी' गाना (Photo: AI Generated) '5 राइफल्स' फिल्म से बहुत पॉपुलर हुआ था 'झूम बराबर झूम शराबी' गाना (Photo: AI Generated)

सुबोध मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST

अजय देवगन की आने वाली फिल्म 'दे दे प्यार दे 2' का गाना 'झूम शराबी' बुधवार को रिलीज हुआ और ये लोगों को नॉस्टैल्जिया में डुबकी लगवा रहा है. हनी सिंह ने गाने में रैप किया है और अतहर हयात ने इसे गाया है. मगर ये गाना असल में एक आइकॉनिक गाने 'झूम बराबर झूम शराबी' का रीमेक है, जिसे बेहद पॉपुलर कव्वाल अजीज नाजां ने गाया था. अधिकतर लोगों को ये गाना, आई एस जौहर की फिल्म '5 राइफल्स' से याद रहता है.

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इस कव्वाली का क्रेज ऐसा है कि जिन लोगों को अजीज नाजां का नाम भी नहीं पता होगा, उन्होंने भी कहीं ना कहीं इसका मुखड़ा 'झूम बराबर झूम शराबी' जरूर सुना होगा. इस गाने की मस्ती, इसका अंदाज और फील ऐसा है जो शराब का शबाब बढ़ा देता है. मगर क्या कभी आपने सोचा है कि इसे गाने वाले अजीज नाजां का शराब से रिश्ता कैसा था? 

फिल्म आने से पहले पॉपुलर हो चुका था गाना
आई एस जौहर की फिल्म '5 राइफल्स' 1974 में रिलीज हुई थी और 'झूम बराबर झूम शराबी' कव्वाली इसका हिस्सा थी. जौहर अपने दौर के अनूठे कलाकार थे और उनकी बी ग्रेड फिल्में बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों, कस्बों और दूर-दराज के इलाकों के थिएटर्स में खूब चलती थीं. '5 राइफल्स' में उन्होंने राजेश खन्ना और शशि कपूर के हमशक्लों को कास्ट किया था, जिसकी वजह से इसे खूब चर्चा भी मिली थी. लोग जब फिल्म देखने पहुंचे तो इसमें उन्हें 'झूम बराबर झूम शराबी' गाना मिला. उस दौर में शराब और शराबियों के माहौल को बयान करता ऐसा गाना दर्शकों के लिए एक नई चीज थी. 

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लेकिन असल में '5 राइफल्स' रिलीज होने से पहले ही 'झूम बराबर झूम शराबी' एक पॉपुलर गाना बन चुका था. बल्कि जौहर ने भी इसकी पॉपुलैरिटी की वजह से ही इसे फिल्म में लिया था. इस गाने के सिंगर अजीज नाजां की पत्नी मुमताज ने AajTak.in के साथ बातचीत में इस गाने की कहानी बताई. 

महेंद्र कपूर, अजीज नाजां, किशोर कुमार (Photo: Mumtaz Aziz Naza)

मुमताज ने बताया कि अजीज साहब ने पहली बार 1969 में ये गाना रिकॉर्ड किया था. वो दौर आज की तरह इंटरनेट का नहीं था. तब कोलंबिया के मोटे वाले रिकॉर्ड्स का दौर था. इस दौर में गाने धीरे-धीरे लोगों तक पहुंचा करते थे. गाना पहुंचना शुरू हुआ तो रिकॉर्ड्स की डिमांड भी बढ़ी. पॉपुलैरिटी को देखते हुए तीन साल बाद, 1972 में अजीज नाजां ने फिर से इस गाने को रिकॉर्ड करवाया और इस बार गाने की पॉपुलैरिटी और बढ़ने लगी. प्राइवेट रिकॉर्डिंग से निकला ये गाना पॉपुलर होने के बाद आई एस जौहर के कानों तक पहुंचा, जिन्होंने इसे '5 राइफल्स' के लिए अजीज साहब से फिर से रिकॉर्ड करवाया. 

घर से बगावत करके संगीत में उतरे थे अजीज नाजां
बॉम्बे में जन्मे अजीज नाजां, मालाबार (केरल) से आए एक मुस्लिम परिवार से आते थे. उनके घरवाले धार्मिक शिक्षाओं को लेकर काफी सख्त थे इसलिए गाना-बजाना हराम माना जाता था. मगर बचपन से ही अजीज की दिलचस्प गानों में ऐसी जागी कि घर से भागकर महफिलों में पहुंच जाते. उनके घर के नजदीक ही इस्माइल आजाद का घर हुआ करता था. शहंशाह-ए-कव्वाली कहे जाने वाले इस्माइल को लोग 'हमें तो लूट लिया मिलके हुस्न वालों ने' से पहचानते हैं. 

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इस्माइल को डर भी लगता था क्योंकि अजीज का परिवार, बॉम्बे का नामी परिवार था. लेकिन अजीज मानते ही कहां थे! वो इक्का पकड़कर इस्माइल के घर पहुंच जाया करते, महफिलों का हिस्सा बनते. बड़े गुलाम अली खां साहब का घर भी अजीज के घर के पास ही था, वो वहां भी पहुंचे रहते थे. सुन-सुन के सीखने के बाद उन्होंने फिर म्यूजिक की ट्रेनिंग भी ली. अपने दौर के बेहतरीन म्यूजिक डायरेक्टर, गुलाम मोहम्मद के भाई, उस्ताद इब्राहिम खान से उन्होंने संगीत सीखा. 

इब्राहिम खां के उस्ताद, रफीक गजनवी से भी अजीज ने संगीत सीखा था, जो 'सिकंदर' (1941) और 'तकदीर' (1943) जैसी आइकॉनिक फिल्मों में म्यूजिक दे चुके थे. सीखकर खुद गाना शुरू किया और महफिलों में परफॉर्म करने लगे. लोग उनकी आवाज और अंदाज के कायल होने लगे. इसी तरह बात लाइव परफॉरमेंस से रिकॉर्डिंग तक जा पहुंची थी. और जिस घर में गाना हराम था, वहां अब मशहूर कव्वाल अजीज नाजां से मिलने वाले पहुंचने लगे थे.  

अजीज ने खुद कभी नहीं पी थी शराब 
'झूम बराबर झूम शराबी' गाना ऐसा है कि कोई इसे गुनगुनाने लगे, तो सामने वाले को शक होने लगेगा कि उसने शराब पी है. ऐसे में अजीज को लोगों ने कितना बड़ा शराबी समझा होगा, ये अंदाजा लगाया जा सकता है. मगर विडंबना ये है कि शराबियों का एंथम गाने वाले अजीज ने खुद कभी शराब छुई भी नहीं थी.

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उनकी पत्नी मुमताज हंसते हुए बताती हैं कि अजीज ने कभी एक बूंद शराब नहीं चखी थी. उन्होंने कहा, 'वो तो शराब से डरा करते थे. जब कभी होटलों में परफॉर्म करने जाते थे तो कांच के गिलास में पानी पीने से डरते थे कि कहीं किसी ने उसमें शराब ना हो.' 

'झूम बराबर झूम शराबी' भले महफिलों में खूब पॉपुलर रहा हो मगर शराब पर बने अपने गानों में ये उनका फेवरेट नहीं था. मुमताज ने बताया कि अजीज जब कभी महफिलों में ये गाना गाते थे, तो इसके साथ अपना एक और गाना जरूर सुनाते थे- 'आ गई बहार जरा जाम उठा साकिया.' वो सुनने वालों को बताते भी थे कि ये गाना उन्हें 'झूम बराबर झूम शराबी' से ज्यादा पसंद है. 

1992 में अजीज नाजां ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. मगर 'झूम बराबर झूम शराबी' आज भी खूब सुना जाता है. इस गाने की पॉपुलैरिटी पहले ही बहुत थी. अब 'दे दे प्यार दे 2' में दोहराए जाने के बाद, लोगों में ये और भी पॉपुलर हो रहा है. 

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