दिलीप कुमार के निधन से दुखी सितारे, इमोशनल हुईं तबस्सुम, मुकेश खन्ना ने याद किए पुराने दिन

दिलीप कुमार के साथ फिल्म ‘सौदागर’ में काम कर चुके मुकेश खन्ना ने आजतक से बात करते हुए दिलीप साहब के साथ बिताए पलों को याद किया. उन्होंने कहा कि आज हमारी फिल्म इंडस्ट्री ने अपना सबसे बड़ा हीरा खो दिया है, दिलीप कुमार साहब अपने आप में एक्टिंग के स्कूल थे, बहुत सारे कलाकारों ने उनसे एक्टिंग सीखी है.

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दिलीप कुमार दिलीप कुमार

जयदीप शुक्ला

  • मुंबई,
  • 07 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST
  • दिलीप कुमार को स्टार्स की श्रद्धांजलि
  • इमोशनल हुईं तबस्सुम
  • मुकेश खन्ना ने याद किए पुराने दिन

एक्टर दिलीप कुमार फिल्मी दुनिया के वो महान कलाकार जिनकी नकल करके कई सितारों ने एक्टिंग सीखी. जिन्हें बड़े बड़े सितारें भी एक्टिंग में अपना गुरु कहते हैं. 98 साल की उम्र में आज सुबह बुधवार को दिलीप कुमार का मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में देहांत को गया, वो काफी समय से बीमार चल रहे थे.

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दिलीप कुमार के साथ फिल्म ‘सौदागर’ में काम कर चुके मुकेश खन्ना ने आजतक से बात करते हुए दिलीप साहब के साथ बिताए पलों को याद किया. उन्होंने कहा, ‘आज हमारी फिल्म इंडस्ट्री ने अपना सबसे बड़ा हीरा खो दिया है, दिलीप कुमार साहब अपने आप में एक्टिंग के स्कूल थे, बहुत सारे कलाकारों ने उनसे एक्टिंग सीखी है, मैं बचपन से ही उनकी फिल्में देखता था, और जब मैं बड़ा हुआ और मैं खुद एक्टिंग करने लगा तब मेरी जिंदगी में ऐसा वक्त आया जब मुझे फिल्म सौदागर में दिलीप साहब के बेटे का रोल सुभाष घई जी ने ऑफर किया. उस वक्त सीरियल महाभारत सफलता के चरम पर चल रहा था, सुभाष घई जी ने मुझसे कहा कि आप इस फिल्म में दिलीप साहब के गुस्सैल बेटे का किरदार निभा रहे हो.’

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मुकेश खन्ना आगे कहते हैं, ‘फिल्म सौदागर की शूटिंग के दौरान मुझे दिलीप साहब को करीब से जानने का मौका मिला और दिलीप साहब के बारे में मैंने मन में जैसी छवि बनाई हुई थी. वो काफी कुछ रियल लाइफ में वैसे ही निकले. वो अपनी जिंदगी का एक-एक पल खुलकर जीते थे. दिलीप साहब अपने काम को लेकर इतने गंभीर थे कि रात के 2.30 बजे भी अपने रोल कि प्रैक्टिस किया करते थे ताकि वो स्क्रीन पर अच्छे से अच्छा परफॉर्म कर पाएं.’

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एक्ट्रेस तबस्सुम ने रुंधे गले से दी श्रद्धांजलि

दिलीप साहब के बारे में बात करते हुए एक्ट्रेस तबस्सुम काफी इमोशनल हो गईं और रोने लगीं. रुंधे गले के साथ तबस्सुम कहती हैं, ‘जब मैं कोरोना से बीमार पड़ी थी उस वक्त भी मुझे इतना बुरा नहीं लगा था जितना बुरा मुझे आज लग रहा है, कोरोना से अगर मैं मर गई होती तो मुझे आज ये मनहूस खबर सुनने को नहीं मिलती, दिलीप साहब सिर्फ एक महान एक्टर ही नहीं थे बल्कि वो एक शानदार और प्यारे इंसान भी थे.’

तबस्सुम कहती हैं (रोते हुए) ‘मैंने दिलीप साहब के साथ बचपन में बहुत काम किया है, मैंने उनके साथ फिल्म जोगन, दीदार और मुगल-ए-आजम में काम किया है. दिलीप साहब की सबसे प्यारी बात मुझे ये लगती थी कि जब मैं अच्छी एक्टिंग करती थी तो वो खुश होकर प्यार से मेरा माथा चूम लेते थे. उनके प्यार और मोहब्बत को मैं आज भी महूसस कर रही हूं, दिलीप साहब आज भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी कला, दर्शकों के लिए उनका प्यार कभी कम नहीं होगा, इसका मुझे पूरा यकीन है.’

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मेरे पिता दारा सिंह के अच्छे दोस्त थे दिलीप साहब- विंदु दारा सिंह

दिलीप साहब और दारा सिंह काफी अच्छे दोस्त थे. इस बारे में बात करते हुए दारा सिंह के बेटे विंदु दारा सिंह कहते हैं, ‘मैं बचपन में दिलीप साहब से कई बार मिला हूं, मुझे याद है कि जब हमारी फिल्म ‘रुस्तम’ का मुहूर्त था तब वो चीफ गेस्ट बनकर आए थे, और मुझे जीवन में कई बार उनसे मिलने का मौका मिला क्योंकि वो मेरे पिताजी के काफी अच्छे दोस्त थे और उनके साथ खिंचवाई फोटोज आज भी हमारे पास है, मैं सायरा बानो जी को भी दिल से सलाम करता हूं जिन्होंने इतने प्यार से दिलीप साहब की सेवा की और उनका इतने सालों तक ख्याल रखा, दिलीप साहब की यादें हमारे साथ जिंदगी भर रहने वाली हैं.’
 

 

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