अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना या जितेंद्र जैसे स्टार्स की कहानियों में उनकी कामयाब फिल्मों और तगड़ी फैन फॉलोइंग का जिक्र आता है. मगर सुपरस्टार धर्मेंद्र की बात निकलते ही इंडस्ट्री के लोग सबसे पहले उनकी शख्सियत, उनके स्वभाव की बात करते हैं. और फिर बात होती है उनके प्रोफेशनलिज्म की. धर्मेंद्र उस दौर के सुपरस्टार थे, जब फिल्म इंडस्ट्री को अपने स्टार्स की इमेज को बड़ा बनाकर पेश करना आ चुका था. राजेश खन्ना का 'सुपरस्टार हिस्टीरिया' सिर्फ उनकी कामयाब फिल्मों और फैन फॉलोइंग से ही नहीं बना था. इंडस्ट्री ने जिस तरह उन्हें ट्रीट किया उसमें भी ये 'सुपरस्टार हिस्टीरिया' नजर आता था. और इस बात की गवाही एक पुराने किस्से से मिलती है.
क्लैप देने टाइम पर पहुंचे सुपरस्टार धर्मेंद्र, हीरो राजेश खन्ना थे लेट
राजेश खन्ना ने जब 1966 में फिल्म डेब्यू किया, तबतक धर्मेंद्र बड़े स्टार बन चुके थे. उनकी दो-तीन फिल्में बॉक्स ऑफिस के टॉप 10 चार्ट्स में रहा करती थीं. राजेश खन्ना की फिल्मों ने शुरुआत में करीब तीन साल माहौल बनाया. उनका पीक दौर रहा 1969 से लगभग 1975-76 तक. इस दौरान राजेश की फिल्मों के नाम ही आपको उनकी कामयाबी की ऊंचाई बता देंगे— आराधना, द ट्रेन, आन मिलो सजना, कटी पतंग, हाथी मेरे साथी, अमर प्रेम, नमक हराम, रोटी वगैरह.
लेकिन उस दौर में धर्मेंद्र भी पीछे नहीं थे. शिकार, इज्जत, आंखें, मेरा गांव मेरा देश और शोले जैसी उनकी फिल्में इसी बीच आई थीं. यानी फिल्म बिजनेस के खाते में धर्मेंद्र अभी भी राजेश खन्ना से बड़े स्टार थे. और इसका एक सबूत ये था कि राजेश खन्ना की फिल्म 'आशिक हूं बहारों का' का मुहूर्त होने वाला था. और पहला क्लैप देने के लिए बतौर स्पेशल गेस्ट धर्मेंद्र को बुलाया गया था. मौका बड़ा था, प्रेस मौजूद थी. मगर उस दिन जो हुआ, वो इंडस्ट्री के 'सुपरस्टार' शब्द और प्रोफेशनलिज्म का रिश्ता बताता है.
मायापुरी मैगजीन में ऑलमोस्ट 50 साल पुरानी एक स्टोरी में इस पूरी घटना का जिक्र है. 'धर्मेंद्र- एक सच्चा इंसान' टाइटल की इस स्टोरी में राइटर ने बताया था कि राजेश खन्ना की उस फिल्म के सेट पर क्या हुआ था. संडे को सुबह 10 बजे फिल्म का मुहूर्त होना था. मगर इस वक्त तक ना फिल्म के हीरो राजेश खन्ना सेट पर आए थे, ना ही हीरोइन जीनत अमान. मगर क्लैप देने आए धर्मेंद्र एकदम टाइम पर सेट पर पहुंच चुके थे.
राजेश खन्ना फाइनली कब आए कब नहीं, इस बारे में इस स्टोरी में कुछ नहीं कहा गया था. मगर धर्मेंद्र के प्रोफेशनलिज्म का एक और किस्सा बताया गया था. सन एंड सैंड होटल में धर्मेंद्र की फिल्म 'लोफर' की सिल्वर जुबली का फंक्शन था. मगर धर्मेंद्र फिल्म 'चैताली' के सेट पर थे. उन्होंने 'लोफर' के प्रोड्यूसर से साफ कह दिया था कि साढ़े दस बजे, 'चैताली' का शूट खत्म होने के बाद ही निकल पाएंगे. इस प्रोफेशनलिज्म के कारण ही फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स धर्मेंद्र के फैन थे.
धर्मेंद्र को टॉप स्टार मानते थे डिस्ट्रीब्यूटर
एक लगभग 50 साल पुराने ट्रेड आर्टिकल में फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ने बताया था कि धर्मेंद्र काफी लंबे समय से बेहद पॉपुलर हैं और उनकी फिल्में धड़ाधड़ बिकती हैं. जबकि अब अमिताभ बच्चन उनके जितना पॉपुलर होने लगे हैं. ये आर्टिकल 'शोले' के बाद का है. इसी में एक डिस्ट्रीब्यूटर ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा था, 'हमें स्टार्स की आदतों के बारे में बहुत करीबी से पता होता है. हमें पता है कौन हमेशा लेट आता है, कौन प्रोड्यूसर्स को परेशान करता है. किसे डायलॉग और सीन बदलने की आदत है और जिसकी वजह से फिल्में लेट होती हैं.' इस डिस्ट्रीब्यूटर ने आगे कहा कि अगर सारे फैक्टर्स बराबर रखकर केवल फेस-वैल्यू की बात करें तो इंडस्ट्री के चार सबसे बड़े मेल स्टार्स कुछ यूं हैं:
1. धर्मेंद्र
2. राजेश खन्ना
3. अमिताभ बच्चन
4. ऋषि कपूर
इस डिस्ट्रीब्यूटर ने आगे कहा कि धर्मेंद्र उन स्टार्स में से नहीं हैं जो एक कामयाब फिल्म मिलते ही अपनी फीस बढ़ा देते हैं. या एक फ्लॉप पर घटा देते हैं. उन्होंने सालोंसाल अपनी फीस का एक ही स्तर मेंटेन किया है. और यही वजह है कि अब बाकी तीन स्टार्स भी धर्मेंद्र जितनी फीस डिमांड करने लगे हैं.
यानी धर्मेंद्र बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट तो थे ही. प्रोफेशनलिज्म में भी उनका कोई सानी नहीं था. और उनकी फीस भी कभी सबसे ज्यादा थी. उन्हें इस बात के लिए जाना जाता है कि जब उनकी एक बड़ी फिल्म के डायरेक्टर प्रोजेक्ट के बीच में ही चल बसे, तो उन्होंने उसके बेटे के साथ मिलकर वो फिल्म पूरी करवाई थी. धर्मेंद्र की वजह से कभी किसी का प्रोजेक्ट नहीं अटका. और ये एक बड़ी वजह है कि आज भी इंडस्ट्री के लोग उनका नाम बहुत प्यार और सम्मान के साथ लेते हैं.
सुबोध मिश्रा