मैसेज वाली फिल्मों से तंग आयुष्मान खुराना, बोले- सिर्फ पॉपकॉर्न एंटरटेनमेंट मूवी करूंगा

कंपलीट मसाला फिल्म के प्रति अपने झुकाव पर आयुष्मान का कहना है, इस फिल्म को करने के दौरान मेरे जेहन में यही था कि इसमें कोई सोशल मेसेज नहीं होना चाहिए. मुझे सोशल मेसेज से दूर रहकर अब बस पॉपकॉर्न एंटरटेनमेंट फिल्में बनानी हैं. आयुष्मान ने आजतक से खास बातचीत की और इसका कारण भी बताया.

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आयुष्मान खुराना आयुष्मान खुराना

नेहा वर्मा

  • मुंबई ,
  • 15 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

आयुष्मान खुराना को सोशल मेसेज ड्रिवन फिल्मों के लिए पहचाना जाता है. मुद्दा चाहे एलजीबीटी कम्यूनिटी का हो या स्पर्म डोनेशन या इरेक्टाइल डिसफंक्शन, असम में चल रहे कॉन्फ्लिक्ट्स, आयुष्मान ने हमेशा ही अनकन्वेंशनल फिल्मों को तवज्जों दी हैं. हालांकि अब आयुष्मान का कहना है कि वो हार्ड कोर एंटरटेनमेंट फिल्मों पर अपना फोकस करना चाहते हैं. आयुष्मान ने आजतक से बातचीत की और फिल्म फ्लॉप होने पर  फीस कम करने को लेकर भी बात की. 

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एक्शन फिल्म के लिए सीखी मार्शल आर्ट्स
अपनी अगामी फिल्म 'एन एक्शन हीरो' के बारे में बात करते हुए आयुष्मान कहते हैं, अगर कोई टिपिकल एक्शन हीरो यह फिल्म करता, तो शायद इतना मजा नहीं आता. इसे अलग नजरिए से लोग इसलिए देख रहे हैं क्योंकि मैं एक एक्शन हीरो नहीं हूं. मैं कन्वेंशनल एक्टर हो ही नहीं सकता, मैं जो भी करूंगा, थोड़ा अलग होगा. हां, इस फिल्म को करने के बाद मैं खुद को एक्शन हीरो मानने लगा हूं, क्योंकि इसके लिए एक्शन व मेहनत बहुत किया है. मैंने इसके लिए मिक्स मार्शल आर्ट किया था. मुझे बहुत वजन घटाना पड़ा है. अब तो मैं एक्शन हीरो के तौर पर तैयार हो चुका हूं.

अपने पसंदीदा एक्शन हीरो के बारे में आयुष्मान कहते हैं, बचपन से मेरे फेवरेट जैकी चैन रहे हैं, उनकी फिल्मों में एक्शन के साथ-साथ एक कॉमिक टच हुआ करता था, जो उन्हें बाकियों से अलहदा बनाता है. इसके अलावा अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ के एक्शन से मैं काफी प्रभावित हूं. 

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सोशल मेसेज वाली फिल्मों से बनाई दूरी
कंपलीट मसाला फिल्म के प्रति अपने झुकाव पर आयुष्मान का कहना है, इस फिल्म को करने के दौरान मेरे जेहन में यही था कि इसमें कोई सोशल मेसेज नहीं होना चाहिए. मुझे सोशल मेसेज से दूर रहकर अब बस पॉपकॉर्न एंटरटेनमेंट फिल्में बनानी हैं. इसका कारण बताते हुए आयुष्मान कहते हैं, हमारे यहां ऑडियंस बंटी हुई हैं. इंटेलिजेंट ऑडियंस का अलग हिस्सा, मास ऑडियंस का हिस्सा, इनको एक साथ लेकर आना बहुत बड़ा चैलेंज है. अब तो और ज्यादा बंटे हैं क्योंकि ओटीटी आ चुका है.

अब प्रोग्रेसिव ऑडियंस केवल ओटीटी में ही जाना चाहते हैं. वो तब तक बाहर नहीं आएंगे, जब तक आप उनको विजुअल डिलाइट या कम्यूनिटी वॉच न दें. यह सबसे बड़ा चैलेंज है कि हमें अपने कौन से ऑडियंस को क्या केटर करना है. मैं तो शुरू से ही मल्टीप्लेक्स वाला एक्टर रहा हूं. मुझे इसका ख्याल रखना है कि मैं इतनी इंटेलिजेंट फिल्में न दूं, जो मासेस के लिए न हो. अब मुझे कमर्शियल की तरफ झुकना होगा.

फीस पर बोले आयुष्मान
पिछले कुछ समय से एक्टर्स की फीस प्राइस बॉलीवुड में एक मुद्दा रहा है. खासकर ऐसे माहौल में जहां बिग बजट फिल्में लगातार धराशायी हो रही हैं, ऐसे में कई प्रोड्यूसर एक्टर की बढ़ी हुई फीस की शिकायत करते हैं. इस मुद्दे पर भी आयुष्मान ने अपनी राय रखी.  

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इंडस्ट्री में स्क्रिप्ट राइटर से ज्यादा फीस एक्टर्स को मिलते हैं. इसपर आयुष्मान रिएक्ट करते हुए कहते हैं, मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूं. एक स्क्रिप्ट राइटर को ज्यादा पैसे मिलने चाहिए. क्योंकि पूरी फिल्म का भार एक राइटर पर होता है. हम एक स्टार ड्रिवन इंडस्ट्री का हिस्सा हैं, लेकिन आने वाला समय... या यूं कह लें कि, कॉन्टेंट ड्रिवन इंडस्ट्री की शुरूआत हो चुकी है. अब वो समय आ चुका है. अब तो यह ट्रेंड आना चाहिए कि हर एक्टर को प्रोड्यूसर फ्रेंडली होना पड़ेगा. अगर कोई फिल्म प्रॉफिट कमाती है, तो ही एक्टर को उसका पैसा मिलना चाहिए.

वहीं बढ़ती टिकट प्राइसिंग पर आयुष्मान कहते हैं, मैंने देखा है कि फिल्म अगर अच्छी हो, तो टिकट के ज्यादा पैसे हो, तो भी चल जाती है. यह मेकर्स पर निर्भर करता है कि वो क्या कंटेंट दे रहे हैं. हां, ये बात अलग है कि यहां की तुलना में साउथ में टिकट के प्राइस कम हैं. उनकी ज्यादतर ऑडियंस सिंगल स्क्रीन वाली होती हैं. वहां के लोग अपने ऑडियंस को पहचानते हैं.

 

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