Gangubai Kathiawadi का नाम बदला जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने भंसाली से पूछा

गंगूबाई काठियावाड़ी रिलीज से पहले मुश्किलों में घिर गई है. एक एक कर फिल्म को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं. मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. आलिया की फिल्म के टाइटल गंगूबाई पर भी सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा, आइए जानते हैं.

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गंगूबाई काठियावाड़ी का पोस्टर गंगूबाई काठियावाड़ी का पोस्टर

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:15 PM IST
  • 25 फरवरी को रिलीज हो रही गंगूबाई काठियावाड़ी
  • रिलीज से पहले विवाद में फंसी आलिया की फिल्म

सिनेमाघरों में रिलीज से 2 दिन पहले आलिया भट्ट की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी कानूनी पचड़े में फंस गई है. फिल्म पर उठा विवाद सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने इसके निर्माता संजय लीला भंसाली प्रोडक्शन को सुझाव दिया है कि क्या इस फिल्म का नाम बदला जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट में क्या क्या हुआ?

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अदालत ने कहा कि उसने ये सुझाव इसलिए दिया क्योंकि फिल्म पर रोक को लेकर कई मुकदमे विभिन्न अदालतों में साल भर से ज्यादा समय से लंबित हैं. इस मालमे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी सुनवाई होगी.सुप्रीम कोर्ट में करीब दो घंटे चली सुनवाई के दौरान जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली पीठ ने गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म बनाने वाले निर्माता संजय लीला भंसाली से पूछा है कि क्या इस फिल्म का नाम बदला जा सकता है? 

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इसके याचिकाकर्ता गंगुबाई के दत्तक पुत्र बाबूजी रावजी शाह ने इस फिल्म के नाम सहित कई बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए फिल्म की रिलीज रोकने की गुहार लगाई है. याचिका में इस फिल्म को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं. इस याचिका पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके महेश्वरी की पीठ गुरुवार को भी सुनवाई करेगी.

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गंगूबाई के दत्तकपुत्र बाबूजी रावजी शाह ने बॉम्बे हाई कोर्ट में फिल्म के निर्माता, नायिका की भूमिका अदा कर रही अभिनेत्री आलिया भट्ट और उपन्यास कथा 'द माफिया क्वीन्स ऑफ बॉम्बे' के लेखक के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल कर कई मुद्दों पर आपत्ति दर्ज करा रखी है. शाह ने इनके खिलाफ अपराधिक मानहानि के मुकदमे भी दर्ज करा रखे हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शाह की याचिका खारिज कर दी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.


शाह की याचिका मुंबई की सत्र अदालत ने पिछले साल फरवरी में खारिज कर दी थी. फिर वो उच्च न्यायालय गए. वहां जस्टिस नितिन सांबरे की पीठ ने भी इसे खारिज कर दिया.


 

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