यूपी में ब्राह्नण वोटों का वो समीकरण जिसकी वजह से अजय मिश्रा टेनी पर एक्शन नहीं ले पा रही सरकार

लखीमपुर खीरी मामले में एसआईटी रिपोर्ट के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के इस्तीफे की मांग को लेकर किसान संगठनों से लेकर तमाम विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खेल रखा है. इसके बावजूद आखिर क्या मजबूरी है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व मंत्री अजय मिश्रा पर कार्रवाई करने से बच रहा है? 

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केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी मिश्रा केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी मिश्रा

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 16 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST
  • एसआईटी के खुलासा से घिरे अजय मिश्रा टेनी
  • टेनी का नहीं होगा मंत्री पद से इस्तीफा
  • यूपी में ब्राह्मणों की नाराजगी का बीजेपी को डर

कृषि कानूनों की वापसी के लिए किसान आंदोलन खत्म हो चुका है और दिल्ली की सीमाओं से किसान भले ही अपने-अपने घरों को लौट गए हैं, लेकिन लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर हुई हिंसा ने बीजेपी की परेशानी बढ़ा रखी है. एसआईटी रिपोर्ट के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के इस्तीफा की मांग को लेकर किसान संगठनों से लेकर तमाम विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसके बावजूद आखिर क्या मजबूरी है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व मंत्री अजय मिश्रा पर कार्रवाई करने से बच रहा है? 

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सूत्रों की मानें तो बीजेपी नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में नहीं. विपक्ष और किसानों की मांग के बाद भी अजय मिश्रा को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से नहीं हटाया जाएगा. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि एसआईटी की रिपोर्ट अंतिम नहीं है. बता दें कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के विपक्ष के इस्तीफे की मांग पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है. 

पार्टी का मानना है कि अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है. ऐसे में बेटे की करतूतों की सजा पिता को नहीं दी जा सकती है. हालांकि, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने पत्रकारों के साथ अजय मिश्रा के इस रवैये को गलत बताया है. उन्हें हिदायत दी गई कि आगे से ऐसी घटना न हो.

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लखीमपुर मामले में घिरे टेनी मिश्रा

लखीमपुर खीरी मामले में एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है. एसआईटी के मुताबिक लखीमपुर की घटना अचानक नहीं हुई थी, बल्कि किसानों को मारने के मकसद से ही गाड़ी चढ़ाई गई थी. एसआईटी ने अदालत से धाराओं को और बढ़ाने का अनुरोध किया है. एसआईटी का कहना है कि घटना स्थल और इलेक्ट्रानिक गैजेट के जरिए जो जानकारी मिली है उससे पता चलता है कि गलत इरादे से आरोपियों ने घटना को अंजाम दिया. एसआईटी के इस खुलासे के बाद राजनीति तेज हो गई है और अजय मिश्रा टेनी के बयान पर ही अब उनको घेरा जा रहा है.

दरअसल, लखीमपुर खीरी के तिकोनिया हिंसा के बाद जब आशीष मिश्रा का नाम सामने आया और फिर गिरफ्तारी हुई तो टेनी मिश्रा ने कहा था कि कानून अपना काम कर रहा है. हमारा बेटा निर्दोष है. अगर उसके खिलाफ जांच में कुछ भी गलत पाया गया तो हमसे बात करिएगा. उन्होंने ऐसी स्थिति में पद छोड़ने तक के संकेत दिए थे. 

वहीं, एसआईटी ने अब तिकोनिया हिंसा मामले पर खुलासा करते हुए साजिश करार दिया है. मामले में कोर्ट में अर्जी दायर कर आरोपियों पर धारा बदलने की मांग की गई है. ऐसे में अब विपक्ष ने अजय मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और गृह मंत्री पद से उनके इस्तीफे की मांग तेज कर दी है, लेकिन 2022 के चुनाव और ब्राह्मण वोटों के समीकरण को देखते हुए बीजेपी किसी तरह से कार्रवाई से बच रही है. 

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बता दें कि अजय मिश्रा टेनी की मोदी कैबिनेट में एंट्री ब्राह्मण होने के कारण मिली है. राजनीतिक विश्लेषकों ने भी माना था कि ब्राह्मण वोट बैंक को यूपी चुनाव में साधने के मद्देनजर अजय मिश्रा को केंद्र में मंत्री बनाया. वहीं, इतने आरोप और हमलों के बाद भी उनको केंद्रीय कैबिनेट से बाहर नहीं किए जाने का बड़ा कारण ब्राह्मण वोट बैंक को बीजेपी नाराज नहीं करना चाहती है. इसीलिए बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने टेनी मिश्रा के इस्तीफा नहीं लेना का फैसला किया. 

अजय मिश्रा यूपी की तराई बेल्ट से आते हैं और ब्राह्मण समाज के मजबूत चेहरा माने जाते हैं. लखीमपुर और आसपास के जिलों में टेनी मिश्रा का अच्छा खासा प्रभाव है. ऐसे में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाकर ब्राह्मणों की नाराजगी नहीं मोल लेना चाहती है, क्योंकि ब्राह्मण वोटर पहले ये ही बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं. विपक्ष दल लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी करार देने में जुटा है. 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों को साधने के लिए ही बीजेपी ने कांग्रेस से जितिन प्रसाद को लाकर एमएलसी और योगी सरकार में मंत्री बनाया है. सूबे में चुनाव सिर पर है और बीजेपी किसी भी तरह से ब्राह्मणों की नाराजगी का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहती है. इसीलिए  विपक्ष दलों के घेराबंदी के बाद भी बीजेपी अजय मिश्रा पर कार्रवाई से बच रही है और एसआईटी को अंतिम रिपोर्ट नहीं मान रही है. 

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