Barhaj Assembly Seat: 4 बार जीती है कांग्रेस, अभी बीजेपी का विधायक... 2022 में क्या होगा?

बरहज विधानसभा क्षेत्र में ही क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल की समाधि है. बरहज विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी के सुरेश तिवारी विजयी रहे थे.

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राम प्रताप सिंह

  • देवरिया,
  • 08 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST
  • देवरिया जिले की एक सीट है बरहज विधानसभा सीट
  • बीजेपी के सुरेश तिवारी हैं बरहज सीट से विधायक

यूपी के देवरिया जिले की एक विधानसभा सीट है बरहज विधानसभा सीट. बरहज नगर का इतिहास लगभग दो सौ साल पुराना है. यह एक ऐतिहासिक, पौराणिक और व्यावसायिक कस्बा है. यह घाघरा नदी के तट पर स्थित है जिसे सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है. यह महर्षि देवरहवा बाबा की तपोस्थली और प्रसिद्ध गांधीवादी संत बाबा राघव दास की कर्मस्थली रहा है. पौहारी आश्रम की शुरुआत भी यहीं से हुई थी. इस आश्रम के पहले महंत लक्ष्मी नारायण पांडेय थे. आज पूरे देश मे पौहारी आश्रम की 365 कुटी है.

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बरहज नगर का स्वतंत्रता संग्राम से भी गहरा नाता रहा है. बाबा राघव दास आश्रम में क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की समाधि है. बिस्मिल की इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को सरयू नदी में विसर्जित किया जाए. उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए बाबा राघव दास ने गोरखपुर जेल से बिस्मिल की फांसी होने के बाद उनकी अस्थियों को बरहज में प्रवाहित कर आश्रम में उनकी समाधि बनवाई जो आज भी है. बरहज के पैना गांव में सतिहड़ा शहीद स्मारक स्थल स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान की गवाही देता है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

बरहज विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये इलाका कभी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का गढ़ रहा. इसके बाद कांग्रेस का दौर आया और 1952 से लेकर 2017 तक के चुनावी अतीत पर नजर डालें तो सन 1952 में कांग्रेस के देवकी नंदन शुक्ला, 1957, 1962 और 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उग्रसेन विधायक निर्वाचित हुए. 1969 में कांग्रेस के अवधेश प्रताप मल्ल, 1974 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, 1977 और 1980 में जनता पार्टी के मोहन सिंह जीते.

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बरहज विधानसभा सीट से 1985 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, 1989 में निर्दलीय स्वामी नाथ, 1991 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दुर्गा प्रसाद मिश्रा, 1993 में स्वामी नाथ सपा से विधायक निर्वाचित हुए. 1996 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रेम प्रकाश सिंह, 2002 में निर्दल उम्मीदवार दुर्गा प्रसाद मिश्रा, 2007 में बसपा के राम प्रसाद जायसवाल और 2012 में सपा के प्रेम प्रकाश सिंह विजयी हुए.

2017 का जनादेश

बरहज विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बसपा छोड़कर पार्टी में आए सुरेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे सुरेश तिवारी ने 26 साल बाद इस सीट पर कमल खिला दिया. बीजेपी के सुरेश तिवारी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के मुरली मनोहर जायसवाल को हरा दिया था.

सामाजिक ताना-बाना

बरहज विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब तीन लाख मतदाता हैं. सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक यादव मतदाता हैं. यादव बाहुल्य बरहज सीट पर दलित और ब्राह्मण मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कुशवाहा, निषाद, क्षत्रिय, भूमिहार के साथ ही अल्पसंख्यक मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

बरहज विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के सुरेश तिवारी का जन्म 18 जनवरी 1946 को रुद्रपुर के बनिएनी गांव में हुआ था. बाद में उनका परिवार बगल के गांव रनिहवा में रहने लगा. इनके दो बेटे संजय तिवारी और चन्द्रशेखर तिवारी, एक बेटी ममता पांडेय हैं. सुरेश तिवारी पहली दफे 2007 में बसपा के टिकट पर रुद्रपुर सीट से विधानसभा पहुंचे थे. 2012 में भी रुद्रपुर से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. 2017 में बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और बरहज सीट से जीते भी. विधायक का दावा है कि उनके कार्यकाल में क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया गया है. गांवो में जर्जर बिजली के तार बदलने और ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने के कार्य कराए गए हैं.

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